नेपाल में मोहन बैद्य के नेतृत्व वाले माओवादी धड़े ने सोमवार को कहा कि उस 12 सूत्री समझौते को खारिज किया जाता है, जिसकी पहल भारत ने नेपाल में शांति स्थापना के लिए वर्ष 2005 में की थी। भारत द्वारा समर्थित 12 सूत्री समझौता नेपाल की शांति प्रक्रिया की आधारशिला है और इसी के तहत 2008 और 2013 के संविधान सभा के चुनाव संपन्न हुए हैं।
नेपाल की माओवादी पार्टी में पिछले वर्ष 18 जून को विभाजन हुआ था। वरिष्ठ उपाध्यक्ष विद्या उर्फ किरण कई अन्य नेताओं के साथ पार्टी से निकलकर नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी का गठन किया। नई पार्टी ने 19 नवंबर को संपन्न हुए दूसरे संविधान सभा के चुनाव का बहिष्कार किया। उसने राजनीतिक प्रक्रिया से नाखुशी जाहिर की।
भारत समर्थित 12 सूत्रीय समझौते पर 20 नवंबर, 2005 को हस्ताक्षर हुए थे। इससे संघीय, लोकतांत्रिक और गणतांत्रिक नेपाल की नींव पड़ी। केंद्रीय समिति की एक सप्ताह चली बैठक के बाद विद्या ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "12 सूत्री समझौते की सार्थकता खत्म हो गई है। व्यापक शांति समझौता भी खत्म हो चुका है।"
उन्होंने कहा कि नई परिस्थितियों के अनुसार पैदा नई चुनौतियों से निपटने के लिए नया राजनैतिक प्रस्ताव आना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों के बीच एक गोलमेज सम्मेलन होना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर उन्होंने विद्रोह की धमकी दी।
उन्होंने 19 नवंबर को चुनाव के दौरान हुए एक बम विस्फोट की भी जिम्मेदारी ली, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी और दर्जनों लोग घायल हो गए थे। विद्या ने कहा, "मेरे कैडर ने सोचा कि यह जरूरी है इसलिए ऐसा किया।"
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