अखबार मालिक हॉकरों को प्रमाण पत्र दें। इस प्रमाण पत्र के आलोक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत स्मार्ट कार्ड निर्गत करके इलाज करवाने की व्यवस्था हो। इसके अलावे असंगठित कामगार एवं शिल्पकार शताब्दी योजना के तहत भी लाभान्वित करवाया जाए। अखबार मालिकों के द्वारा जारी पहचान पत्र के आलोक में परिचय पत्र धारक हॉकरों को भी सूची में शामिल कर लिया जाए।
गया। बिहार में दैनिक भास्कर नामक अखबार के आगमन से बिहार में भूचाल खड़ा हो गया है। दैनिक भास्कर की जुबानी जंग से अखबार मालिकों ने अपनी अखबार की कीमत घटा दी। इससे प्रभावित होकर अब दैनिक भास्कर ने सुधि पाठकों के समक्ष पहुंचने वाली अखबारों की क्वालिटी में सुधार करने पर बल दिया गया है।
फिलवक्त अखबारों की जंग में पाठकों और हॉकर के बीच में बहार आ गया है। इन दोनों को ख्याल किया जा रहा है। अव्वल पाठकों को कम कीमत पर अखबार मिल रही है। वहीं कीमत घटाने के बाद भी हॉकरों के कमीशन में कमी नहीं की गयी है। तब भी और अब भी कमीशन बतौर 1.20 पैसा मिल रहा है। हिन्दुस्तान,दैनिक जागरण, प्रभात खबर और राष्ट्रीय सहारा ने 4 रू. ,3.50 और अब 2.50 पैसा में अखबार बेचने पर 1.20 पैसा कमीशन मिलता है। जिसे जारी रखा गया है। आज व आई नेक्स अखबार की कीमत एक रूपया है। इसमें पचास पैसा कमीशन मिलता है। और नवविहार की मूल्य 2.00 है। एक रूपया कमीशन है। इंगलिश अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया, हिन्दुस्तान टाइम्स और टेलिग्राफ 4.00 में बेचा जाता है। हॉकरों को 1.20 पैसा कमीशन मिलता है। सूबे में इंगलिश अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया और हिन्दुस्तान टाइम्स के रहते टेलिग्राफ का आगमन हुआ था। किसी तरह का हंगामा नहीं हुआ। मगर देश के बड़े अखबार के आगमन पर बिहार में जमे अखबारों के पैर डगमगाने लगा है।
हॉकर राजकुमार और धनंजय कुमार यादव का कहना है कि सुबह 4 बजे भोर में उठकर अखबार लाने के लिए जाना पड़ता है। वहां पर अखबार एजेंट को नकदी रकम देते हैं। एजेंट कमीशन छोड़कर रकम नकदी लेते हैं तब जाकर अखबार देते हैं। हम नकदी खरीदकर अखबार लाते हैं। यहां पर उधार अखबार देनी पड़ती है। कई बार तो ग्राहक पैसा लेकर नौ दो ग्यारह हो जाते है। वहीं आजकल हॉकरों को फायादा हो रहा है। पाठाकों को खुदरा नहीं है। कहकर ढाई रूपए के बदले तीन रूपए ले रहे है।अखबार बेचने में कोई 4 से 5 घंटे लग ही जाता हैं सभी पाठक सुबह से सुबह ही अखबार लेकर पढ़ना चाहते हैं। इसके आलोक उनको जल्द से जल्द अखबार पहुंचा दी जाती है।
इस बीच हॉकरों को नहीं डगमगाने और पाला नहीं बदले को रोकने के लिए अखबार मालिकों ने हॉकरों पर भी डोरा डालने लगे हैं। सभी हॉकर चाहते हैं कि अखबारों की जंग में हॉकरों को भी फायदा हो। हॉकरों की मंशा भापकर अखबार मालिकों ने भी हॉकरों को लुभावने लगे हैं। दैनिक जागरण ने हॉकरों को बीमा करवा दिया है। एक साल के लिए दैनिक जागरण ने हॉकरों को सामूहिक बीमा ‘दी ओरिएण्टल कम्पनी’ से करवा दिया है। 2 अप्रैल,2013 से 1 अप्रैल,2014 तक प्रभावित रहेगा। मृत्यु के पश्चात एक लाख रूपए मिलेगा। वहीं हॉकर चाहते हैं कि हर मौसम में सुबह में उठकर अखबार लाने वालों को सुरक्षा और चिकित्सा की व्यवस्था हो। हॉकर चाहते हैं कि अखबार मालिक हॉकरों को प्रमाण पत्र दें। इस प्रमाण पत्र के आलोक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत स्मार्ट कार्ड निर्गत करके इलाज करवाने की व्यवस्था हो। इसके अलावे असंगठित कामगार एवं शिल्पकार शताब्दी योजना के तहत भी लाभान्वित करवाया जाए। अखबार मालिकों के द्वारा जारी पहचान पत्र के आलोक में परिचय पत्र धारक हॉकरों को भी सूची में शामिल कर लिया जाए।
गया। बिहार में दैनिक भास्कर नामक अखबार के आगमन से बिहार में भूचाल खड़ा हो गया है। दैनिक भास्कर की जुबानी जंग से अखबार मालिकों ने अपनी अखबार की कीमत घटा दी। इससे प्रभावित होकर अब दैनिक भास्कर ने सुधि पाठकों के समक्ष पहुंचने वाली अखबारों की क्वालिटी में सुधार करने पर बल दिया गया है।
फिलवक्त अखबारों की जंग में पाठकों और हॉकर के बीच में बहार आ गया है। इन दोनों को ख्याल किया जा रहा है। अव्वल पाठकों को कम कीमत पर अखबार मिल रही है। वहीं कीमत घटाने के बाद भी हॉकरों के कमीशन में कमी नहीं की गयी है। तब भी और अब भी कमीशन बतौर 1.20 पैसा मिल रहा है। हिन्दुस्तान,दैनिक जागरण, प्रभात खबर और राष्ट्रीय सहारा ने 4 रू. ,3.50 और अब 2.50 पैसा में अखबार बेचने पर 1.20 पैसा कमीशन मिलता है। जिसे जारी रखा गया है। आज व आई नेक्स अखबार की कीमत एक रूपया है। इसमें पचास पैसा कमीशन मिलता है। और नवविहार की मूल्य 2.00 है। एक रूपया कमीशन है। इंगलिश अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया, हिन्दुस्तान टाइम्स और टेलिग्राफ 4.00 में बेचा जाता है। हॉकरों को 1.20 पैसा कमीशन मिलता है। सूबे में इंगलिश अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया और हिन्दुस्तान टाइम्स के रहते टेलिग्राफ का आगमन हुआ था। किसी तरह का हंगामा नहीं हुआ। मगर देश के बड़े अखबार के आगमन पर बिहार में जमे अखबारों के पैर डगमगाने लगा है।
हॉकर राजकुमार और धनंजय कुमार यादव का कहना है कि सुबह 4 बजे भोर में उठकर अखबार लाने के लिए जाना पड़ता है। वहां पर अखबार एजेंट को नकदी रकम देते हैं। एजेंट कमीशन छोड़कर रकम नकदी लेते हैं तब जाकर अखबार देते हैं। हम नकदी खरीदकर अखबार लाते हैं। यहां पर उधार अखबार देनी पड़ती है। कई बार तो ग्राहक पैसा लेकर नौ दो ग्यारह हो जाते है। वहीं आजकल हॉकरों को फायादा हो रहा है। पाठाकों को खुदरा नहीं है। कहकर ढाई रूपए के बदले तीन रूपए ले रहे है।अखबार बेचने में कोई 4 से 5 घंटे लग ही जाता हैं सभी पाठक सुबह से सुबह ही अखबार लेकर पढ़ना चाहते हैं। इसके आलोक उनको जल्द से जल्द अखबार पहुंचा दी जाती है।
इस बीच हॉकरों को नहीं डगमगाने और पाला नहीं बदले को रोकने के लिए अखबार मालिकों ने हॉकरों पर भी डोरा डालने लगे हैं। सभी हॉकर चाहते हैं कि अखबारों की जंग में हॉकरों को भी फायदा हो। हॉकरों की मंशा भापकर अखबार मालिकों ने भी हॉकरों को लुभावने लगे हैं। दैनिक जागरण ने हॉकरों को बीमा करवा दिया है। एक साल के लिए दैनिक जागरण ने हॉकरों को सामूहिक बीमा ‘दी ओरिएण्टल कम्पनी’ से करवा दिया है। 2 अप्रैल,2013 से 1 अप्रैल,2014 तक प्रभावित रहेगा। मृत्यु के पश्चात एक लाख रूपए मिलेगा। वहीं हॉकर चाहते हैं कि हर मौसम में सुबह में उठकर अखबार लाने वालों को सुरक्षा और चिकित्सा की व्यवस्था हो। हॉकर चाहते हैं कि अखबार मालिक हॉकरों को प्रमाण पत्र दें। इस प्रमाण पत्र के आलोक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत स्मार्ट कार्ड निर्गत करके इलाज करवाने की व्यवस्था हो। इसके अलावे असंगठित कामगार एवं शिल्पकार शताब्दी योजना के तहत भी लाभान्वित करवाया जाए। अखबार मालिकों के द्वारा जारी पहचान पत्र के आलोक में परिचय पत्र धारक हॉकरों को भी सूची में शामिल कर लिया जाए।
आलोक कुमार
बिहार
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