उच्चतम न्यायालय ने 16 दिसंबर के सामूहिक बलात्कार कांड की पीड़िता के पिता की उस याचिका पर आज केंद्र को नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया है कि एक आरोपी के किशोर वय का होने या नहीं होने की बात आपराधिक अदालत द्वारा तय किए जाने की जरूरत, है न कि किशोर न्याय बोर्ड द्वारा।
न्यायमूर्ति बी एस चौहान की अगुवाई वाली पीठ ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को चार सप्ताह के अंदर इस संबंध में अपना जवाब दाखिल करने को कहा कि जघन्य मामलों में शामिल अपराधी के नाबालिग होने की बात को तय कैसे किया जाए। पीठ ने सभी रिकार्ड भी मांगे हैं जिनकी वजह से किशोर अपराधी का नाम इस सनसनीखेज मामले में आया। उन रिकार्ड में पीड़िता का बयान भी शामिल है।
पीड़िता के पिता ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाकर उससे उस आरोपी के खिलाफ आपराधिक अदालत द्वारा सुनवाई कराने की मांग की है, जो तब (अपराध के समय) नाबालिग था। पीड़िता के पिता ने इसके लिए उस कानून को खारिज करने की मांग की, जो किशोरों पर ऐसे अभियोजन चलाने पर रोक लगाता है। घटना के समय किशोर की उम्र 18 साल पूरे होने में छह महीने बाकी थी। उसे 23 साल की लड़की से सामूहिक बलात्कार एवं उसकी हत्या के जुर्म में दोषी ठहराया गया ,लेकिन उसे किशोर न्याय बोर्ड से किशोर कानून के तहत महज तीन साल की कैद की सजा ही मिली है जो इस कानून में अधिकतम सजा है।
जब 31 अगस्त को बोर्ड का फैसला आया था, तभी पीड़िता के पिता ने कहा था कि उनके परिवार को यह फैसला मंजूर नहीं है। उन्होंने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है और कहा है कि वे (उनका परिवार) किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं रक्षा) अधिनियम, 2000 को चुनौती दे रहे हैं, चूंकि ऐसा कोई संबंधित प्राधिकार नहीं है जहां वे ऐसी राहत के लिए संपर्क करते, अतएव उन्होंने यह कदम उठाया है। उन्होंने उस स्थिति में इस कानून को असंवैधानिक करार देने की मांग की है जब यह कानून भादसं के अंतर्गत किए जाने वाले अपराधों के लिए किशोर अपराधियों पर सुनवाई करने से आपराधिक न्यायालय को वंचित करता है। उन्होंने वकील अमन हिंगोरानी के माध्यम से यह याचिका दायर की है।
याचिका में निचली अदालत के उस फैसले का हवाला दिया गया है जिसमें चार बालिग आरोपियों को दोषी ठहराया गया और मृत्युदंड सुनाया गया। याचिका में किशोर अपराधी पर भी ऐसी ही सुनवाई की मांग की गयी है जो अब बालिग हो गया है।
याचिका में कहा गया है, एक आरोपी (प्रतिवादी नंबर 2 किशोर) पर इस आधार पर आपराधिक अदालत में भारतीय दंड संहिता में किए गए अपराधों के लिए सुनवाई नहीं की गयी कि वह किशोर है और 17 साल का है। याचिका में केंद्र और आरोपी को प्रतिवादी बनाया गया है।
उल्लेखनीय है कि 16 दिसंबर, 2012 की रात को चलती बस में छह व्यक्तियों ने 23 साल की लड़की से सामूहिक बलात्कार किया और उसके साथ नशंसता की। इन छह व्यक्तियों में यह किशोर भी शामिल था, जिस पर किशोर न्याय बोर्ड ने सुनवाई की।
लड़की ने 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया। एक त्वरित अदालत ने चार बालिग आरोपियों की सुनवाई की और उन्हें मृत्युदंड सुनाया। अब यह सजा सत्यापन के लिए दिल्ली उच्च नयायालय के समक्ष है। एक आरोपी-राम सिंह 11 मार्च को तिहाड़ जेल में अपनी कोठरी में मत मिला था और उसके खिलाफ सुनवाई रोक दी गयी थी।
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