उदयपुर 7 दिसम्बर 2013। जयनारायण विश्वविद्यालय्ा, जोधपुर (राजस्थान) द्वारा श्रीमती रिंकू देवड़ा को विद्यावाचस्पति (पीएच.डी) की उपाधि प्रदान की गई है। विश्वविद्यालय्ा के हिन्दी विभाग के अन्तर्गत श्रीमती देवड़ा ने ‘‘हिन्दी जैन कथा साहित्य और पुष्करमुनि का कथा संसार‘‘ विषय पर अपना शोध प्रबन्ध प्रस्तुत कर यह उपलब्धि हासिल की। डाॅ. रिंकू देवड़ा ने डाॅ. राजकृष्ण दुग्गड़ के निर्देशन अपना शोध कार्य संपन्न किया है।
डाॅ. रिंकू ने अपने शोध प्रबन्ध में उपाध्याय श्री पुष्करमुनिजी के साहित्यिक व्यक्तित्व को उजागर करते हुए बताया कि उन्होंने प्राकृत-संस्कृत के आगम और आगमेतर साहित्य की सभी कथाओं को आधुनिक हिन्दी भाषा में प्रस्तुत किया। प्राचीन भारत की अनेक सांस्कृतिक छवियाँ प्रस्तुत करते हुए कथाकार श्री पुष्कर मुनि जी ने अपनी प्रस्तुति में पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों को पर्याप्त स्थान दिया है। कथाओं के पात्र जीवन के विविध रंगों में नहाते हैं, लेकिन प्रायः हर कथा का उपसंहार निवृŸिामय करके पुष्कर मुनि जी ने जीवन के चरम लक्ष्य मोक्ष का स्मरण कराया है। डाॅ. रिंकू ने बताया कि श्रमणसंघीय सलाहकार पूज्य श्री दिनेष मुनि जी की प्रेरणा और आषीर्वाद से यह शोधकार्य सम्पन्न हुआ।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. पर वर्ष 2004 में श्रीमती डाॅ. अनीता गन्ना ने मोहनलाल सुखाडिय्ाा विश्वविद्यालय्ा के जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग के पूर्व सह आचायर््ा डाॅ. उदय्ाचंद जैन के निर्देशन में उपाध्याय पुष्कर मुिन के अमरसूरि महाकाव्य का समीक्षात्मक अध्ययन पर तथा वर्ष 2005 में महासती डाॅ. प्रज्ञाश्री ने भी डाॅ. जैन के निर्देशन में उपाध्याय पुष्कर मुनि का जैन हिन्दी कथा साहित्य एवं अनुशीलन विषय पर एवं श्रीमती डाॅ. चेतना मेनारिया ने वर्ष 2012 में सुखाडिय्ाा विश्वविद्यालय्ा के जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग के आचायर््ा डाॅ. एच. सी. जैन के निर्देशन में ‘उपाध्याय पुष्कर मुनि के साहित्य में प्रतिपादित समाज‘‘ पर एवं श्रीमती पुष्पा जैन (खोखावत) ने वर्ष 2012 में विद्यापीठ विश्वविद्यालय्ा के हिन्दी राजस्थानी विभाग के मानविकी संकाय के पूर्व निदेशक डाॅ. देव कोठारी के निर्देशन में ‘‘उपाध्याय पुष्कर मुनि का साहित्य: एक समीक्षात्मक अनुशीलन‘‘ विषय पर (पीएच.डी) की उपाधि प्राप्त की थी।
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