"पालक", "परिजन" शब्द का भारतीय समाज
में बहुत महत्व रहा है, और इनसे जुड़े कर्त्तव्य और
जिम्मेदारिया और भी बढ़ कर है। इतिहास में राजाओ को प्रजा का पालक या परिजन बताया
गया है, जिसकी जिम्मेदारी प्रजा के
सुख-दुःख में भागीदार बनना और वो सारे कदम उठाना रहा है, जो प्रजा के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए आवश्यक हो। आज के
परिवेश में देश का प्रजातान्त्रिक व्यवस्था का प्रमुख ही पालक या परिजन है, जिस पर देश और देश की जनता के सुख-दुःख की जिम्मेदारी है। राष्ट्र
में यह प्रमुख, प्रधानमंत्री और राज्य में
मुख्यमंत्री ही होता है। मध्यप्रदेश वर्षो से कुपोषण ग्रसित जनता का राज्य रहा है, और आजादी के बाद से मौजूद केंद्र और राज्य की सरकारों की सामाजिक, आर्थिक, और स्वास्थ्य सम्बन्धी वार्षिक
विवरण यह दर्शाता रहा है। हाल ही प्रस्तुत यूनिसेफ के रिपोर्ट और जनगणना में
मध्यप्रदेश में घर बना चुकी कुपोषण की वर्तमान स्तिथि का उल्लेख मिलता है।
मध्यप्रदेश में विपक्षी दल और केंद्र में शासित कांग्रेस पार्टी ने मध्यप्रदेश की
भाजपा सरकार पर कुपोषण से समुचित तरीके से न लड़ पाने और प्रदेश में कुपोषण के और
पैर पसारने का का आरोप लगाया है। इसमें कोई भी संशय नहीं है कि राज्य में कुपोषण
एक बीमारी की तरह फैला है, और इससे मिटाने के लिए राज्य, केंद्र और अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी काम कर रहे है, परन्तु क्या आरोपों की यह राजनीती उचित है? क्या विपक्ष का कार्य सिर्फ आरोपों तक सीमित है या उनके और भी
कर्त्तव्य है?
प्रदेश में भाजपा की सरकार दिसम्बर
२००३ में उमा भारती जी के नेतृत्व में आई जो बाद में बाबूलाल गौर जी और वर्तमान
में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में कार्य कर रही है| हर १००० पुरुषो में,
महिलाओ का अनुपात जो २००१
में ९१९ था, वह बढ़ कर ९३० हुआ। वन्ही शिशु
मृत्यु दर जो २००४ में ७६ थी वह कम हो कर २०१० में ६२ और २०१३ में ५६ हो गयी है| भारत सरकार के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण NFHS-I, NFHS-II, NFHS-III में कुपोषण का विवरण दिया गया है| राज्यवार सर्वेक्षण का विवरण निचे दर्शित है. ध्यान रखे NFHS-I और NFHS-II में लिए गए पैमाने NFHS-III
में लिए गए पैमाने से थोड़े
भिन्न है परन्तु यह सर्वेक्षण कम से कम उपरी तौर से एक प्रदेश की स्तिथि दर्शंता
है।
बाल पोषण (कम वजनी बच्चो का %) और
खाद्य व्यवहार (Child Nutrition (Underweight %) and Feeding Practices)
State
|
Underweight %
|
Infants 6-9 m
receiving semisolids NFHS - 3 |
Infants 6-9 m
receiving semisolids NFHS - 3 |
||
NFHS-1
1991-92
|
NFHS-2
1998-99
|
NFHS – 3
2005-06
|
|||
Delhi
|
40.9
|
34.7
|
33.1
|
37.0
|
59.8
|
Andhra Pradesh
|
45.0
|
37.7
|
36.5
|
59.4
|
63.7
|
Arunachal Pradesh
|
38.4
|
24.3
|
36.9
|
||
Assam
|
49.2
|
36.0
|
40.4
|
58.5
|
59.6
|
Chhatisgarh
|
0
|
60.8
|
52.1
|
||
Gujarat
|
48.1
|
45.1
|
47.4
|
46.5
|
57.1
|
Himachal Pradesh
|
43.7
|
43.6
|
36.2
|
61.3
|
66.0
|
Haryana
|
34.6
|
34.6
|
41.9
|
41.8
|
44.8
|
Jammu & Kashmir
|
0
|
34.5
|
29.4
|
38.9
|
58.3
|
Karnataka
|
50.6
|
43.9
|
41.1
|
38.4
|
72.5
|
Kerala
|
27.0
|
26.9
|
28.8
|
72.9
|
93.6
|
Meghalaya
|
44.4
|
37.9
|
46.3
|
77.1
|
76.3
|
Maharashtra
|
51.4
|
49.6
|
39.7
|
30.8
|
47.8
|
Manipur
|
26.8
|
27.5
|
23.8
|
86.8
|
78.1
|
Madhya Pradesh
|
0
|
53.5
|
60.3
|
27.3
|
51.9
|
Orissa
|
52.4
|
54.4
|
44.0
|
30.1
|
67.5
|
Punjab
|
46.0
|
28.7
|
27.0
|
38.7
|
50.0
|
Rajasthan
|
44.3
|
50.6
|
44.0
|
17.5
|
38.7
|
Tamil Nadu
|
45.7
|
36.7
|
33.2
|
55.4
|
77.9
|
Uttaranchal
|
0
|
41.8
|
38.0
|
60.2
|
77.6
|
Uttar Pradesh
|
0
|
51.8
|
47.3
|
17.3
|
45.5
|
West Bengal
|
54.8
|
48.7
|
43.5
|
46.3
|
55.9
|
अब आप सोचेंगे ये आंकड़े तो सिर्फ
२००५-०६ तक के है, और अगर कुपोषण देश में
व्यापक है तो सर्वेक्षण के आंकड़े हर वर्ष होना चाहिए ताकि सरकार के द्वारा किये गए
प्रयासों की जाँच की जा सके, लेकिन आश्चर्य यही है कि
केंद्र सरकार ने यह सर्वेक्षण २०१५ में करने का फैसला किया है जो की ठीक १० साल
बाद है। समस्या यह भी है कि कुपोषण के कारणों का अध्ययन और उसके निवारण के सही
तरीको का अनुसन्धान आसान नहीं है। अब हम देखते है कि अगर मध्यप्रदेश में कुपोषण इस
बुरी तरह फैला तो बाकि राज्यों की क्या स्तिथि है? अगर हम कुपोषण से झुझ रहे
राज्यों की स्तिथि देखे तो पाएंगे सभी बड़े छोटे राज्य इस समस्या से झुझ रहे है, जिसमे कांग्रेस की सरकारे भी है, भाजपा की और अन्य दलों की।
जानने लायक तथ्य यह भी है कि सम्पूर्ण देश में ४२.५% बच्चे आज भी कुपोषित है और
इसकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों की है। आरोपों प्रत्यारोपो की
राजनीती में उलझा के हम इससे और बिगाड़ने का कम कर रहे है। एक और आश्चर्य का तथ्य
यह भी है कि कुपोषण न सिर्फ ग्रामीण और आदिवासी इलाको में फैला है, बल्कि यह शहरी इलाको में भी उतना ही है। शहरी इलाको में फैला यह
कुपोषण बढती अमीर-गरीब के बीच खाई, गाँव के किसान और युवाओं
का पलायन, परिवारों में खाद्य अशिक्षा और बढती गन्दी बस्तियों को दर्शाता है।
सबसे ज्यादा बुरी स्तिथि आदिवासी इलाको की है, जन्हा सरकारे आज भी
आदिवासी भाइयो को नक्सलवादी समस्या से निजात नहीं दिला पाई है, तो कुपोषण की समाप्ति एक स्वप्न ही है। देश में कुपोषण की आज की
स्तिथि के आंकड़े उपस्थित न होने पर, लोकसभा में केंद्र सरकार
सांसदों की समिति की डांट खा चुकी है. आइये जाने की शहरी और ग्रामीण इलाको में
राज्यवार कुपोषण पीड़ित बच्चो की स्थिति, जो यह दर्शाती की सभी
राज्य किस तरीके से इस समस्या से जूझ रहे है और यह किस तरीके से हमारे भविष्य को
कमजोर बना रहा है:-
कम वजनी बच्चो (5 वर्ष से कम) का शहरी, ग्रामीण, अन्य पिछड़े में राज्यवार और अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में फैलाव - एनएफएचएस 3 (2005-06)
S.No
|
State
|
% Underweight children (below 5 yrs of
age)
|
||||
Urban
|
Rural
|
Other
backward class
|
Scheduled
Tribe
|
Total
|
||
1
|
Madhya
Pradesh
|
51.3
|
62.7
|
57.8
|
71.4
|
60
|
2
|
Jharkhand
|
38.8
|
60.7
|
55.7
|
64.3
|
56.5
|
3
|
Bihar
|
47.8
|
57
|
55
|
---
|
55.9
|
4
|
Meghalaya
|
39.6
|
50.3
|
---
|
48.5
|
48.8
|
5
|
Chhattisgarh
|
31.3
|
50.2
|
46.5
|
52.8
|
47.1
|
6
|
Gujarat
|
39.2
|
47.9
|
46.4
|
64.5
|
44.6
|
7
|
Uttar
Pradesh
|
34.8
|
44.1
|
43.7
|
61.2
|
42.4
|
8
|
Orissa
|
29.7
|
42.3
|
38.1
|
54.4
|
40.7
|
9
|
Rajasthan
|
30.1
|
42.5
|
36.7
|
46.8
|
39.9
|
10
|
Haryana
|
34.6
|
41.3
|
46
|
---
|
39.6
|
11
|
Tripura
|
32.2
|
40.8
|
45.1
|
36.5
|
39.6
|
12
|
West
Bengal
|
24.7
|
42.2
|
22.7
|
59.7
|
38.7
|
13
|
Uttrakhand
|
24.3
|
42.1
|
46.8
|
50.4
|
38
|
14
|
Karnataka
|
30.7
|
41.1
|
37.9
|
41.9
|
37.6
|
15
|
Maharashtra
|
30.7
|
41.6
|
33
|
53.2
|
37
|
16
|
Himachal
Pradesh
|
23.6
|
37.8
|
57
|
25
|
36.5
|
17
|
Assam
|
26.1
|
37.1
|
29.1
|
18.2
|
36.4
|
18
|
Andhra
Pradesh
|
28
|
34.8
|
32.6
|
41.5
|
32.5
|
19
|
Arunachal
Pradesh
|
21
|
36.3
|
52.9
|
29.6
|
32.5
|
20
|
Tamil
Nadu
|
27.1
|
32.1
|
26.3
|
---
|
29.8
|
21
|
Delhi
|
26.5
|
22.5
|
27.7
|
---
|
26.1
|
22
|
J&K
|
15.8
|
27.9
|
28.1
|
35.7
|
25.6
|
23
|
Nagaland
|
19.3
|
26.6
|
25.8
|
23
|
25.2
|
24
|
Goa
|
19.8
|
31.6
|
21
|
43.9
|
25
|
25
|
Punjab
|
21.4
|
26.8
|
23.3
|
---
|
24.9
|
26
|
Kerala
|
15.4
|
26.4
|
21.5
|
---
|
22.9
|
27
|
Manipur
|
19.1
|
23.3
|
23.4
|
24.2
|
22.1
|
28
|
Mizoram
|
15.1
|
24.1
|
---
|
---
|
19.9
|
29
|
Sikkim
|
21.2
|
19.4
|
18.5
|
18
|
19.7
|
India
|
32.7
|
45.6
|
43.2
|
54.5
|
42.5
|
केंद्र सरकार ने कुपोषण से
लड़ाई करने के लिए राज्यों को “राज्य पोषण परिषद्”/ State
Nutrition Council की स्थापना का आदेश दिए, ताकि इस सामाजिक और
स्वास्थ्य अनियमितता को मिटाया जा सके। कई राज्यों ने तत्परता दिखाई और इस मिशन की
स्थापना की, हालाकि कई राज्य ऐसे है जिन्होंने अभी तक इसकी स्थापना नहीं की है।
जब कांग्रेस पार्टी खुद मध्यप्रदेश सरकार पर आरोप लगाती है तब वह यह भी बताएगी कि
क्यों उसके शासित राज्य “राज्य पोषण परिषद्” क्यों नहीं बना पाए है? निचे सभी राज्यों की कुपोषण स्तिथि और मिशन स्थापना की स्तिथि कुपोषण
ग्रसित बच्चो के प्रतिशत के साथ दर्शायी गयी है:-
राज्यों में “राज्य पोषण परिषद् (SNC)” मिशन की स्थापना की स्तिथि
S.No
|
State
|
Status
of SNC/Mission
|
Government
|
Malnutrition %
|
1
|
Andhra
Pradesh
|
Not
constituted
|
Congress
|
32.5%
|
2
|
Arunachal
Pradesh
|
Constituted
|
Congress
|
32.5
|
3
|
Assam
|
Not
constituted. [Nutrition Board - with Director.
|
Congress
|
36.4
|
4
|
Bihar
|
Not
constituted
|
JDU(S)
|
55.9
|
5
|
Chandigarh
|
Not
constituted
|
Union Territory
|
|
6
|
Chhattisgarh
|
Not
constituted
|
BJP
|
47.1
|
7
|
Delhi
|
Constituted
|
Congress
|
26.1
|
8
|
Goa
|
Not
constituted
|
BJP
|
25
|
9
|
Gujarat
|
Nutrition
Mission on the anvil. Being Constituted.
|
BJP
|
44.6
|
10
|
Haryana
|
SNC
under the chairmanship of Hon’ble CM has been constituted.
|
Congress
|
39.6
|
11
|
Himachal
Pradesh
|
Not
constituted. Being constituted now.
|
Congress
|
36.5
|
12
|
Jammu
& Kashmir
|
Not
constituted
|
National
Conference/Congress
|
25.6
|
13
|
Jharkhand
|
State
have a committee with members including Child Development, World Bank, UNICEF
and District Nutrition Mission etc. headed by Chief Minister. It is
operational and had a meeting also.
|
Congress/JMM
|
56.5
|
14
|
Karnataka
|
Constituted.
To be made operational.
|
Congress
|
37.6
|
15
|
Kerala
|
Not
constituted [Have a State Nutrition Bureau headed by a State nutrition
officer under the administrative control of the Health Services]
|
Congress
|
22.9
|
16
|
Madhya
Pradesh
|
On
14th May, 2010, the State Assembly adopted ATAL BAL AAROGYA EVAM POSHAN
MISSION referred to as Atal Bal Mission
|
BJP
|
60
|
17
|
Maharashtra
|
Mata
Jijau Mission existing.
|
Congress
|
37
|
18
|
Manipur
|
Not
constituted
|
Congress
|
22.1
|
19
|
Meghalaya
|
Not
constituted
|
Congress
|
48.8
|
20
|
Mizoram
|
Constituted
|
Congress
|
19.9
|
21
|
Nagaland
|
Not
constituted
|
NPF
|
25.2
|
22
|
Orissa
|
Nutrition
Council under the chairmanship of CM is available.
|
BJD
|
40.7
|
23
|
Punjab
|
Nutrition
Council under the chairmanship of CM Punjab is available.
|
Akali Dal/BJP
|
24.9
|
24
|
Rajasthan
|
State
Nutrition Council and District Nutrition Council formed.
|
Congress
|
39.9
|
25
|
Sikkim
|
Not
constituted
|
SDF
|
19.7
|
26
|
Tamil
Nadu
|
SNC
constituted
|
AIADMK
|
29.8
|
27
|
Tripura
|
Not
constituted. Being constituted
|
CPM
|
39.6
|
28
|
Uttar
Pradesh
|
Not
constituted State Nutrition Policy is available.
|
Samajwadi Party
|
42.4
|
29
|
Uttarakhand
|
Constituted
|
Congress
|
38
|
30
|
West
Bengal
|
Not
constituted. [WB formulated a ‘State Nutrition Strategy 2008 - 2017’ under
HSDI in 2007 for selected districts. Taking into account the nutrition goals
of 11thFive Year Plan and lessons learnt of implementing the ‘State Nutrition
Strategy 2008 - 2017’. The formulation of State Nutrition Policy and a
Nutrition Council is under process.
|
Trinamol Congress
|
38.7
|
31
|
Puducherry
|
Constituted
|
Union Territory
|
कुपोषण राष्ट्रीय शर्म है और इसके लिए केंद्र
और राज्य दोनों बराबर से जिम्मेदार है। यह
लेख लिखा गया ताकि हम जान सके की किस तरह कुपोषण को आरोपों की राजनीती में धकेल, देश के भविष्य के साथ राजनीती की जा रही है। चूँकि हम यंहा बात कर
रहे थे कांग्रेस के द्वारा मध्यप्रदेश सरकार पर लगाये कुपोषण से न लड़ पाने और
बढ़ाने का आरोप तो जाने कांग्रेस पार्टी ने क्या प्रयास किये है. पूछे उनसे कुछ
प्रश्न:-
१.
प्रधानमंत्री जी ने कुपोषण तो “राष्ट्रीय शर्म” कहा फिर क्यों हर ६
साल में होनी वाली NFHS का सर्वेक्षण २००५ के बाद क्यों नहीं
कराया गया। कुपोषण भारत के सामाजिक, आर्थिक
विकास और देश के भविष्य निर्माण में सबसे बढ़ी बाधा है। यह संसदीय समिति का दबाव था
कि सरकार अब इस सर्वेक्षण को हर ३ साल में करने को तैयार है।
२.
पिछले १० सालों से केंद्र में रहने के बाद भी क्यों सरकार आंगनवाडी
केन्द्रों को कंप्यूटर और इन्टरनेट से जोड़ नहीं पाई, ताकि संचार तेज़ हो और बच्चो और उनके स्वास्थ्य से जुडी जानकारी तेजी
से मिल सके।
३.
क्यों शिशु मृत्यु दर अभी भी ३० प्रति १००० जन्म दर से ज्यादा है, जबकि यह लक्ष्य २०११-१२ तक था। क्यों
सरकार अभी तक इधेर नहीं पंहुच पाई है.
४.
क्या मध्य प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेता, दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, कांतिलाल भूरिया, ज्योतिरादित्य
सिधिया, सुरेश पचौरी, सत्यव्रत चतुर्वेदी, राहुल भैया यह बताएँगे की पिछले १०
सालों में उन्होंने राज्य सरकार को कुपोषण से लड़ने में क्या सलाह दी या कितनी बार
उन्होंने अपने से मुख्यमंत्री से मिलकर योजना में भागीदारी की बात की, या सिर्फ उन्होंने आरोपों की राजनीती
की है? क्या मध्यप्रदेश के विकास और इसे
कुपोषण से बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की है, क्या विपक्ष और विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी की कोई
जिम्मेदारी नहीं है। विपक्ष की जिम्मेदारी सिर्फ आरोपों पर ख़त्म नहीं होती।
५.
WHO
के मानको के मानने वाली केंद्र सरकार, क्यों अभी तक राष्ट्रीय स्तर के मानक
नहीं बना पाई। क्या हमारे देश में खाद्य प्रणाली और व्यवस्था के अनुसार अनुसन्धान
इस क्षेत्र में नहीं होना चाहिए।
६.
क्या कांग्रेस पार्टी यह बताएगी कि अगर मध्यप्रदेश में कुपोषण राज्य
सरकार की विफलता है, तो उन राज्यों में जन्हा कांग्रेस
पार्टी की सरकार है, और वंहा कुपोषण काफी ज्यादा फैला है
वंहा कौन दोषी है?
७.
जब केंद्र सरकार यह जानती है कि कुपोषण देश ५०% से ज्यादा बच्चों की
मौत में एक बड़ा घटक है तो क्या सरकार को व्यापक अभियान नहीं चलाना चाहिए? क्या योजनाओ के निष्कर्ष और उनसे आने
वाले परिणामो का अध्यन वार्षिक नहीं हो चाहिए?
८.
कांग्रेस पार्टी ने मध्य प्रदेश में ५० वर्षो तक शासन किया, क्या उन्हें यह नहीं बताना चाहिए की
क्यों वह इससे दूर नहीं कर पाए?
९.
क्या दिग्विजय सिंह जी यह बताएँगे की कैसे सिकल सेल रोग उनके शासन
में प्रदेश में फैला और इससे जूझने में प्रशासन विफल रहा? सन २००० में मंडला और आस पास में तेजी
से बढे इस रोग को आप क्यों नहीं रोक पाए?
१०.
क्या कांग्रेस पार्टी ये बताएगी की क्यों महाराष्ट्र, आँध्रप्रदेश, राजस्थान, और अन्य वो राज्य जन्हा आपकी सरकार है
वंहा गरीबी और कुपोषण क्यों अभी भी पैर पसरे है?
कुपोषण से लड़ने के लिए, केंद्र सरकार द्वारा चलित योजनाये
१.
समेकित बाल विकास सेवाए- http://icds.gov.in/
५.
इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना - http://socialwelfare.icdsbih.gov.in/hindi/Schemes_Programmes/Schemes_Programmes.php?grpID=4&SubGroupID=4
६.
लक्ष्यित सार्वजनिक वितरण प्रणाली
९.
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी
योजना-
http://rural.nic.in/ruralhindi/hindisites/Programme-Schemes.asp
१३. सूचना
शिक्षा और संचार अभियान (आईईसी) कुपोषण
के खिलाफ जागरूकता पैदा करने के लिए अभियान
कुपोषण से लड़ने के लिए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा चलायी
गयी योजनाये
स. क्र.
|
योजना का नाम
|
योजना का विवरण
|
योजना का लाभ प्राप्त करने की शतॅ
|
योजना का लाभ प्राप्त करने की प्रक्रिया/विधि
|
१
|
पूरक पोषण आहार
|
06
माह से
06 वर्ष तक के बच्चों एवं गर्भवती/धात्री माताओं को पूरक पोषण आहार उपलब्ध कराना ।
|
आंगनबाडी क्षेत्र में निवास करने वाली प्रत्येक गर्भवती/धात्री माता व जन्म के समय से 06 वर्ष तक के बच्चों।
|
योजना का लाभ प्राप्त करने के लिये पात्र हितग्राही को अपना नाम अपने क्षेत्र की आंगनबाडी केन्द्र में दर्ज कराना होगा।
|
२
|
लाडली लक्ष्मी योजना
|
कन्याओं के जन्म के समय उनके नाम से राशि जमा करने की योजना जिसके तहत कन्या की आयु
21 वर्ष होने पर उसे एक लाख रुपये मिलेंगे। योजना के तहत पात्र कन्या के नाम से प्रतिवर्ष 6000 रुपये लगातार पाँच वर्षों तक कुल रुपये 30,000 के राष्ट्रीय बचत पत्र क्रय किये जायेंगे। बेटी के कक्षा 6 मे प्रवेश पर रुपये
2000/- कन्या के कक्षा 9 मे प्रवेश पर 4000/- कन्या के कक्षा 11 में प्रवेश पर रुपये
7500/- कक्षा 11 एवं 12 में पढाई के समय
2 वर्ष तक रुपये 200/- प्रतिमाह ।
21 वर्ष की होने पर कुल राशि रुपये 1.00 लाख से अधिक का प्रदाय।
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जन्म के
1 वर्ष के अन्दर आंगनबाडी में पंजीकृत हो ।
1. माता पिता मध्य प्रदेश के मूल निवासी हों । 2. जिनकी दो या दो से कम संतान हो और उन्होंने आवेदन करने के पूर्व परिवार नियोजन अपना लिया हो। 3. जो आयकर दाता न हो; की ऎसी बालिका संतान, जो राज्य के किसी भी आंगनबाडी केन्द्र में पंजीकृत हो एवं जिसकी आंगनबाडी में उपस्थिति साधारणत: नियमित हो। 4. ऎसी बालिका जो राज्य के किसी अनाथालय अथवा किसी बालिका अनुरक्षण गृह मे निवासरत हो एवं जिसका जन्म
1 जनवरी 2006 को या उसके पश्चात हुआ हो योजना हेतु पात्र होगी।
5. 12वीं की परीक्षा में सम्मिलित होना अनिवार्य है । 6. 18 वर्ष की आयु से पहले विवाह न हुआ हो।
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माता-पिता को आंगनबाडी कार्यकर्ता से आवेदन पत्र लेकर पूरी तरह भरा हुआ आवेदन पत्र बालिका के जन्म के 1 वर्ष के अंदर आंगनबाडी कार्यकर्ता को प्रस्तुत करें। अनाथ बालिका की दशा में अनाथालय/संरक्षण गृह के अधीक्षक द्वारा बालिका के अनाथालय में प्रवेश के 1 वर्ष से
6 वर्ष की होने से पूर्व सम्बन्धित परियोजना अधिकारी को आवेदन पत्र प्रस्तुत करें। बालिका की जन्म दिनांक वह मानी जयेगी जो अनाथालय मे प्रवेश के समय अंकित की गई थी।
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३
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किशोरी शक्ति योजना
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प्रत्येक आंगनबाडी केन्द्र से
2 किशोरी बालिका,
1 आंगनबाडी कार्यकर्ता,
एवं 1 ए.एन.एम. को मास्टर ट्रेनर का 2-दिन का प्रशिक्षण 1-1 माह के अंतराल से दिया जाता है। इन मास्टर ट्रेनर के द्वारा ग्राम पंचायत स्तर पर चयन की गई किशोरी बालिकाओं को व्यवसायिक, स्वास्थ्य प्रशिक्षण,
साफ-सफाई का प्रशिक्षण दिया जाता है।
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11
से 18 वर्ष तक की किशोरी बालिकाओं का चयन किया जाता है। किशोरी शक्ति योजना के अंतर्गत वे बालिकाये जिन्होने किसी भी कारणवश शाला छोड दी हो (शालात्यागी बालिकाये)
तथा जो गरीबी रेखा या उसके नीचे आती है ,उन्हे प्राथमिकता दी जाती है इसमे बालिकाओ की आयु
11 से 18 वर्ष रखी जाती है। ग्राम की
2 बालिकाओ को लाभ दिया जाता है
6 माह तक,
उसके बाद ग्राम की अन्य 2 बालिकाओ को इस प्रकार प्रक्रिया चलती है । इसमे बालिकाओ को आँगनवाडी की सभी सुविधाओ का लाभ दिया जाता है जैसे स्वास्थ्य जाँच
,पूरक पोषण आहार संबंधी सेवाये आदि।
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आंगनबाडी क्षेत्र में आने वाले समस्त पात्र बालिकाओं को योजना का लाभ दिया जाता है।
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४
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अशासकीय संस्थाओं को सहायक अनुदान
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महिला एवं बाल कल्याण के क्षेत्र में कार्य करने वाले अशासकीय संस्थाओं को कार्य मूल्यांकन के आधार पर सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है।
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महिला एवं बाल कल्याण के क्षेत्र में कम से कम
3 वर्षों से कार्य करने वाली ऐसी संस्था जिनका रजिस्ट्रार फार्म एवं सोसायटी में पंजीकरण हो।
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मान्यता प्राप्त संस्थाओं को आवेदन जिला कार्यालय में प्रस्तुत करना होता है। निरीक्षण उपरांत कार्य मूल्यांकन के आधार पर पात्रतानुसार प्रथम स्वीकृति तथा
1-लाख से कम राशि के अनुदान के प्रकरण जिला स्तर परतथा रु.1-लाख एवं उससे अधिक के प्रकरण शासन द्वारा स्वीकृत किये जाते हैं
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५
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मंगल दिवस
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आंगनबाडी में दर्ज पात्र बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं की गोदभराई,
6-माह के बच्चे का आंगनबाडी केन्द्र पर अन्नप्राशन,
माह विशेष में आने वाले बच्चों का सामुहिक जन्म दिन एवं किशोरी बालिका दिवस आयोजित कर मंगल दिवस मनाने हेतु मध्य प्रदेश शासन, महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा विशेष योजना बनाई गई है।
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अपने क्षेत्र में आने वाली आंगनबाडी में पंजीकृत होना अनिवार्य है।
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आंगनबाडी क्षेत्र में आने वाले समस्त पात्र हितग्राहियों को लाभ प्रदान किया जाता है।
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६
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ग्रामीण बसाह्टों/
ग्रामों में पेयजल व्यवस्था
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ग्रामीण बसाह्टों/
ग्रामों में
40 लीटर प्रतिदिन जल प्रदाय के निर्धारित मापदंडों के आधार पर पेयजल व्यवस्था हेतु योजना का आकार/प्रकार निर्धारित किया जाता है। पेयजल व्यवस्था सामान्यत: नलकूपों पर हैंडपम्प स्थापना कर की जाती है अधिक जनसंख्या वाले ग्रामों मे संधारण हेतु पंचायतों की सहमति होने पर पाइप लाइन के माध्यम से भी नलजल योजनाएं क्रियांवित की जाती है ।
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ग्राम में आधा कि.मी. की परिधि में
40 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन जल प्रदाय हेतु पर्याप्त स्त्रोत उप्लब्ध नही हो ।
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सभी बसाह्टों में पेयजल व्यवस्था की जाती है वहां संबधित पंचायत को योजना के संचालन संधारण की सहमति तथा आय/व्यय विवरण के साथ प्रस्ताव आवश्यक है
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७
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कन्या साक्षरता प्रोत्साहन योजना
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अ.जा./अ.ज.जा. की छात्राओं को कक्षा 5वीं,
8वी, एवं
10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने पर प्रोत्साहन स्वरुप राशि स्वीकृत की जाती है। कक्षा
5वीं उत्तीर्ण होने पर तथा कक्षा
6 वीं में प्रवेश लेने पर 500/-, कक्षा 8वीं उत्तीर्ण होने पर तथा कक्षा 9 वीं में प्रवेश लेने पर 1000/-, कक्षा 10वीं उत्तीर्ण होने पर तथा कक्षा
11वीं में प्रवेश लेने पर 3000/-
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शास./अशास.
शालाओं में अध्ययनरत होने पर छात्रवृत्ति दिये जाने का प्रावधान है। अभिभावक आयकर दाता न हों ।
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शैक्षणिक संस्थाओ के माध्यम से।
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८
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आदिवासी उपयोजनाओं के अंतर्गत आयोडीन नमक का वितरण
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म.प्र.
के समस्त आदिवासी विकास खण्डो में
1रु प्रति किलो की दर से
APL. BPL, एंव अंत्योदय कार्ड धारीयो को प्रति राशन 1 कि. वन्या नमक का प्रदाय किया जाएगा ।
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म.प्र.
के समस्त आदिवासी विकास खण्डो मे निवास करने वाले आदिवासी के माह में एक बार नमक का प्रदाय किया जाएगा ।
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अपना राशन कार्ड दिखा कर अपने क्षेत्र की उचित मुल्य की दुकान से प्राप्त कर सकते है
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९
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मुख्यमंत्रि अन्नपूर्णा योजना
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बी.पी.एल – 20 किलो (गेहूं – रू
3.00, चावल – रू 4.50),1.5 किलो शक्कर – रू
13.50 बी.पी.एल 5 लीटर केरोसीन – रू
14.73 से रू
16.08 तक
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बी.पी.एल का राशन कार्ड धारी होना आवश्यक है
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हितग्राही अपना राशन कार्ड क्षेत्र की उचित मुल्य की दुकान पर प्रस्तुत करने पर विक्रेता द्वारा सामग्री(खाद्यान्न)
प्रदान की जायेगी |
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१०
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जननी सुरक्षा योजना
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शासकीय एवं प्राइवेट अस्पताल(सरकार से मान्यता प्राप्त)
में प्रसव कराने पर ग्रामीण गर्भवती महिला को रू 1400 तथा शहरी गर्भवती महिला को रू
1000 दिये जाते हैं.महिला के साथ आने वाले प्रेरक को ग्रामीण क्षेत्र में रू
350 तथा शहरी क्षेत्र में रू 200 दिये जाते हैं । परिवहन की व्यवस्था प्रेरक अथवा परिवार द्वारा कराने पर रू
250 दिये जाते हैं
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1.
सरकारी अस्पताल के जनरल वार्ड में भर्ती होने वाली प्रत्येक गर्भवती महिला । 2. प्राइवेट अस्पताल में बी.पी.एल\अंत्योदय में आने वाले परिवारों की गर्भवती महिला । इसके लिये नीला\पीला राशन कार्ड अथवा परिवार स्वास्थ्य कार्ड प्रस्तुत करना पडेगा ।
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शासकीय अस्पताल में भर्ती होने पर चिकित्सक खुद ही राशि उपलब्ध करायेंगे,
प्राइवेट अस्पताल में बी.पी.एल.वालो को प्रमाण पत्र या परिवार स्वास्थ्य कार्ड प्रस्तुत करना पडेगा ।
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११
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जननी एक्सप्रेस योजना
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प्रसव हेतु शासकीय अस्पताल जाने के लिये दूरभाष द्वारा सूचना दिये जाने पर परिवहन सुविधा उपलब्ध कराई जाती है ।
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1.समस्त गर्भवती महिलाएं 2.चिकित्सालय आने के लिये संबंधित संस्था\वाहन चालक को फोन द्वारा सूचना दी जानी चाहिये
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चिकित्सालय में आने के लिये सम्बन्धित संस्था
\वाहन चालक को फोन द्वारा सूचना दी जानी चाहिये
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१२
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दीनदयाल चलित अस्पताल
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चलित अस्पताल में एक चिकित्सक, एक नर्स,व कम्पाउंडर की सेवाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं. ये अस्पताल नियत मार्ग पर स्थित ग्रामों एवं हाट बाजार में नियत दिन व समय पर पहुँच कर निम्न सेवाएँ देतें हैं 1.चिकित्सक द्वारा जाँच एवं उपचार 2. परिवार नियोजन के साधनों की जानकारी
3.दवाईयों का वितरण 4.टीकाकरण 5.प्रसव पूर्व एवं प्रसव बाद स्वास्थ्य जांच एवं आवश्यक दवाईयों का वितरण 6.सरकारी अस्पताल में रेफर करना 7.मलेरिया एवं टी.बी.
की जांच
8. स्वास्थ्य से जुडे विषयों तथा योजनाओं की जानकारी ।
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सभी को पात्रता है
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चलित अस्पताल निर्धारित स्थान एवं तिथि पर सेवा प्रदान करता है । समय पर पहुंच कर सेवाएँ प्राप्त की जा सकती हैं ।
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१३
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मुख्यमंत्री नि:शुल्क औषधि वितरण योजना ।
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इस योजना अंतर्गत राज्य की चिकित्सा संस्थाओ में प्रत्येक वर्ग(
ए.पी.एल./ बी.पी.एल./ अंतोदय) के सभी रोगियो को निरंतर नि:शुल्क दवाईया जेनेरिक उपलब्ध करवाने हेतु दवा केन्द्रो की स्थापना की जा रही है ताकी वर्तमान दवा वितरण व्यवस्था को सृद्रढ किये सके।
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प्रत्येक वर्ग(ए.पी.एल./बी.पी.एल./अंतोदय)के बाह्य रोगी विभाग के रोगी एवं भर्ती रोगी
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प्रदेश के सभी चिकित्सालयो,
मे सभी रोगियो को नि:शुल्क जेनेरिक दवाईया उपलब्ध कराई जाने के लिये चिकित्सालयो मे बाह्य रोगी विभाग के रोगियो एवं भर्ती रोगियो सर्वाधिक उपयोग मे आने वाली जेनेरिक दवाईया निरंतर
(24x7)उपलब्ध कराई जाएंगी इस केन्द्र का नाम "मुख्यमंत्री नि:शुल्क वितरण केन्द्र होगा"।
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१४
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अस्वच्छ धंधा छात्रवृत्ति
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अस्वच्छ धंधो मे लगे परिवारों के बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में प्रोत्साहित करना और आरिथिक सहायता पहुंचाना
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इस योजना मे छात्र-छात्राओं के पालक/अभिभावक के अस्वच्छ धंधे में संलग्न होने का प्रमांण-पत्र संबंधित राजस्व अधिकारी से प्राप्त करना होता है। किसी मान्यता प्राप्त संस्था के नियमित छात्र-छात्रा हैं। कक्षा 1 से 10 वीं तक विद्यार्थियों को रू 1850/- वार्षिक दिया जाता है ।
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संस्था प्रमुख से संपर्क कर आवेदन करना
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यूनिसेफ के द्वारा दी गयी कुपोषण की विश्व के विभिन्न देशो में स्तिथि -२०१२
SL.No.
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Country
and Territories
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%
of underweight children under five years *
|
1
|
India
|
43.0
|
5
|
South
Asia
|
42.0
|
4
|
Asia
|
27.0
|
2.
|
Africa
|
19.0
|
3
|
Sub
-Saharan Africa
|
20.0
|
6
|
East
Asia and Pacific
|
10.0
|
7
|
Latin
America and Caribbean
|
4.0
|
World
|
16.0
|
यह यूनिसेफ का डाटा एशिया
और विश्व का है जिसमे चीन का डाटा मौजूद नहीं है और इसे २००६-२०१० तक विभिन्न देशो में एकत्रित किया गया था।
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