80 के दशक के उत्तरार्द्ध में भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने राममंदिर निर्माण के लिए रथय़ात्रा निकाली, तो देश में रथयात्राओं का दौर - दौरा शुरू हो गया। एक के बाद एक कई नेता रथों पर सवार होकर यात्रा पर निकल पड़े। आडवाणी के रथ के पहिए समय की रेत में धंस गए, तो सभी नेताओं ने मानों अपने - अपने रथों को गैराज में बंद कर दिया। अब समय के रथ का पहिया ऐसा घूमा है कि देश में नेताओं व चर्चित हस्तियों की जेलयात्रा का दौर शुरू हो गया। राजनीति से लेकर पत्रकारिता , सिने जगत व अध्यात्म के क्षेत्र की चर्चित हस्तियां जेल जा रही हैं। पहले कथित संत आसाराम जेल पहुंचे। कुछ दिन बाद लालू यादव भी जेल चले गए। जेल जाते ही मानों दोनों का जलवा भी छूमंतर भी हो गया। कई प्रकार की योग साधना सिखाने और तरह - तरह की जड़ी -बूटी युक्त दवाएं बेचने वाला आसाराम के चेहरे की रंगत चंद घंटों में ही उतर गयी।
इससे साबित हो गया कि प्रवचनों में चाहे कोई कितनी ही समभाव की महिमा गा ले। लेकिन प्रतिकूल परिस्थितयों में बाबा लोग भी वैसे ही टूटते हैं, जैसे आम आदमी। चैनलों पर रात - दिन छाए रहने वाले लालू यादव के जेल जाते ही मीडिया के लिए जैसे उनका वैल्यू खत्म ही हो गया। लिहाजा जेल के भीतर की उनसे जुड़ी खबरें कम होते -होते बिल्कुल खत्म हो गई। इस क्रम में फिल्म अभिनेता संजय दत्त व हंसोड़ अभिनेता राजपाल यादव भी जेल पहुंच गए। पता नहीं क्यों चैनल वालों ने संजय की तरह राजपाल की जेलयात्रा से जुड़े किस्सों को ज्यादा महत्व नहीं दिया। लेकिन सुनते हैं कि राजपाल भी जेल में काफी घबराए हुए हैं। यह सिलसिला यही नहीं रुका। करोड़ों के भ्रष्टाचार में पश्चिम बंगाल के एक डीएम साहब को एक रात हिरासत में बितानी पड़ी। दूसरे दिन अदालत से उन्हें जमानत मिल गई, औऱ वे सहज - सरल भाव से वहां से चले गए। राज्यसभा सांसद व पेशे से पत्रकार कुणाल घोष भी इस समय पुलिस हिरासत में है। गिरफ्तारी की आशंका जतलाने के लिए बुलाई गई प्रेस मीट में तो कुणाल घोष फूट - फूट कर रो पड़े। लेकिन अब पुलिस हिरासत से अदालत आने - जाने के क्रम में वे खुद को सहज - सरल और हंसमुख दिखाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं। जेलयात्रा का ताजा प्रकरण आसाराम के बेटे नारायण साईं की गिरफ्तारी का है।
यदि गिरफ्तारी और जेलयात्रा के दौरान चेहरे पर समभाव रखने की कोई बिग बास या कौन बनेगा करोड़पति टाइप प्रतियोगिता हो, तो बेशक चैंपियनशिप का सेहरा इसी नारायण साईं के सिर बंधेगा। क्योंकि पुलिस हिरासत में यह शख्स बिल्कुल फ्रेश और खुशमिजाज नजर आ रहा था। शायद इसके पिता आसाराम अपने प्रवचनों में ऐसे ही समभाव की बातें किया करते थे। बड़े लोगों की जेलयात्रा का यह दौर कब खत्म होगा, यह तो पता नहीं लेकिन मानना पड़ेगा कि हवालात पहुंचने वाले अभी तक कि बड़ी हस्तियों का चैंपियन नारायण साईं है। जो प्रवचनकर्ता तो है ही, उसके भीतर एक घाघ नेता व मंजे हुए अभिनेता के गुण भी हैं, जो चोरी पकड़े जाने के बाद भी जेल जाते हुए मुस्करा सकता है।
तारकेश कुमार ओझा,
खड़गपुर ( पशिचम बंगाल)
संपर्कः 09434453934
लेखक दैनिक जागरण से जुड़े हैं।
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