हिमाचल प्रदेश में सेवानिवृत अधिकारियों की एक संस्था ने आम आदमी पार्टी (आप) से प्रभावित होकर सोमवार को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से आग्रह किया कि मंत्रियों एवं सरकारी अधिकारियों के वाहनों से लालबत्ती और भोंपू हटा दिए जाएं। कांगड़ा जिले के पालमपुर शहर स्थित सामाजिक संगठन पीपुल्स वॉयस के उपाध्यक्ष के.बी.रल्हन ने कहा कि मुख्यमंत्री को अपने काफिले से वाहनों की संख्या भी घटानी चाहिए। उन्होंने कहा, "हम तीन सालों से मंत्रियों एवं अधिकारियों के वाहनों से लालबत्ती हटाने की मांग कर रहे हैं।"
लालबत्ती को सत्ता का प्रतीक करार देते हुए उन्होंने कहा, "अब जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने वीआईपी संस्कृति समाप्त करने का फैसला किया है, तो मुख्यमंत्री को भी उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।" सर्वोच्च न्यायाल ने महीने की शुरुआत में कारों पर लालबत्ती के धड़ल्ले से हो रहे इस्तेमाल पर फटकारा लगाई थी और कहा था कि यह काम संभवत: विश्व के अन्य लोकतंत्रों में नहीं होता।
इस संस्था में सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी, सैन्य कर्मी और न्यायाधीश शामिल हैं। संस्था के अध्यक्ष दिलीप शर्मा ने कहा कि सड़कें पैदल चलने वालों के लिए भी होती हैं और उन्हें चलने का हक है। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा था कि शिमला पैदल चलने वालों का शहर है और पैदल यात्रियों को निर्बाध चलने का हक है।
न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजय करोल की खंडपीठ ने 30 दिंसबर, 2011 को जिला प्रशासन को निर्देश दिया था कि वाहन का परमिट देते वक्त शहर के ऐतिहासिक पहलू को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
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