बिहार : मुद्दों पर सोचना , समझना तथा बोलने की कला को विकसित करना चाहिए - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 21 जनवरी 2014

बिहार : मुद्दों पर सोचना , समझना तथा बोलने की कला को विकसित करना चाहिए

bihar news
कुर्सेला। कटिहार जिले के कुर्सेला प्रखंड के एक सामुदायिक भवन में प्रगति ग्रामीण विकास समिति के तत्तावधान में दो दिवसीय कैडर प्रशिक्षण शिविर का समापन हो गया। इसके पूर्व शिविर का उद्घाटन दीनानाथ जी ने किया। दीनानाथ जी ने अपने ओजस्वी तथा प्रेरणादायक विचारों से आगत कैडरों के मन मोह लिये। जमकर विकासोन्मुक विचारों को रखा। इस अवसर पर उपस्थित 32 महिलाएं और 30 पुरूषों ने प्रोत्साहन के तौर ताली बजाने में कोई कंजूसी नहीं किये। 

इस कैडर प्रशिक्षण शिविर का क्या रहा उद्देश्य?: प्रगति ग्रामीण विकास समिति के कटिहर जिले के जिला समन्वयक संजय कुमार प्रसाद ने बताया कि अव्वल अपनी समस्या को ग्रामीण कैडर समझे। अपनी समझदारी को गांवघर में इस्तेमाल करें। ये लोग गांवघर में नेतृत्व प्रदान करने में सक्षम हो गये हैं। कैडरों को भूमि अधिकार से जुड़ी समस्याओं के साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में परिपक्व बनाया गया। खासकर आवासीय भूमि की समस्या व राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना पर ध्यान केन्द्रित किया गया। इन ग्रामीण युवाओं के बीच में समझदारी एवं जागरूकता लाया गया। समस्याओं के मूल से उत्पन्न जन संगठन निर्माण और संघर्ष और संवाद से उत्पन्न समाधान की दिषा में पहल अहिंसात्मक ढंग से हो। सरकार और उसके प्रशासनिक ढांचा को समझाया गया। 

गांवघर में अनेकानेक समस्याः गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति के द्वारा कुछ चुनिंदा मुद्दों पर ही जनाधारित कार्य करती है। उनमें प्रमुख भूमि की समस्या है। इसके इतर हमारे गांव में मुसहर समुदाय के साथ कुछेक अन्य दलित समुदायों के लोगों के पास रहने को खुद की जमीन नहीं है। ऐसे लोग गांव के किसी मालिक के जमीन के अलावे बिहार सरकार की जमीन पर रहते हैं। ऐसे लोगों को नदी, पइन,नहर,रेलवे पटरी आदि के किनारे बसे देखे जा सकते हैं। गौरतलब है कि इन ग्रामीण वासिंदों को जमीन खरीदकर सरकार 3 डिसमिल जमीन देने की घोषणा कर रखी है। इन दिनों महादलितों को सरकार वासगीत पर्चा भी देने को कटिबद्ध है। 

क्या कह गये पंकज जी नेः गांव में स्थित उप स्वास्थ्य केन्द्र में डाक्टर नहीं आते और न ही रहते हैं। यहां तक गांव घर में ए.एन.एम. दीदी की भी कमी है। इसके अलावे ग्रामीणों को सरकारी योजना से लाभ ही नहीं मिलता है। खासकर महादलित और दलित समुदाय के लोग लाभ से महरूम हो जाते हैं। इसका मुख्य कारण है कि लोगों को केन्द्र और राज्य सरकार के द्वारा संचालित योजनाओं के बारे में लोगों की जानकारी नहीं है। इसके आलोक में यह प्रशिक्षण कैडरों के लिए अत्यंत ही लाभकारी रहा। वैसे तो सभी लोगों को ज्ञान के संसार बढ़ाना ही चाहिए। 

भगवान ने मानव के शरीर के प्रत्येक अंग को काम के आधार पर बनायाः दिमाग को सोचने के कार्य करना है। सोच विचार करके काम करना है। जो वंदा जितना सोचता है उसका दिमाग उतना ही त्रीव संचालित होता है। हां, प्रत्येक प्राणीयों में अलग-अलग सोचने की क्षमता है। हम कान से सुनते है। जो बातों को ध्यान से सुनने का काम करता है। अव्वल अच्छे कैडरों को अच्छी तरह से सुनने और समझने को वरीयता देना चाहिए। गांव के मुद्दे को आधार बनाकर अपने मुद्दे को दूसरों के समक्ष परोसना चाहिए। कैडरों को शक्तिशाली बनना है। उनको धैर्य से सुनने के बाद ही मुंह से उवाच करना है। मुद्दों पर सोचना चाहिए, समझना चाहिए तथा बोलने की कला को विकसित करना चाहिए। 

गांव में कौन-कौन सी समस्याः गांव में किनकिन तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं? किन मुद्दों पर काम करना है? इस सभी लोगों का अलग-अलग मतैक्य हो सकता है। विचारधारा भिन्न होने पर भी मुद्दा पर एका होना जरूरी है। समस्याओं के आलोक व आधार पर ही सभी को एक होकर काम करना अनिवार्य है। 

गांव में बसे हुए समुदाय के आधार पर संरचनाः हम दलित एवं मुसहर समुदाय के बीच में काम करते हैं। इनकी समस्या यह है कि ये लोग आवासहीन एवं भूमिहीन हैं। सरकारी योजना को लाभ भी इन्हें नहीं मिल पाता है। खेल-खेल के माध्यम से कैडरों का दिमाग खोला गया। इस खेल के माध्यम से दिमाग पर दबाव बनाया गया। सोचने पर मजबूर किया गया। क्या नये-नये प्रयोग हो सकता है? इनोवेशन करने पर बल दिया गया। सभी लोगों ने खेल को उपयोगी करार दिय। इस प्रकार से कैडरों के दिमाग, जो जंग पकड़ लिया था। उसे खोलने का काम किया गया। इस खेल पर चर्चा की गयी। बोलने एवं संगठित होने का एहसास कराया गया। क्यों हमें संगठन बनना जरूरी है? इसके बाद एक अन्य सवाल उठाया गया कि मान लिया जाए कि आप जिस रास्ते से गुजर रहे हैं। वह पहाड़ी जगह है। जहां से गुजर रहे हैं बीच रास्ते पर एक बहुत बड़ा पत्थर है। इसके चलते गांव के रास्ते अवरूद्ध हो गया है। इस उछाले गए सवालों पर कैडरों ने कई तरह के जवाब दिये। किसी ने कहा कि पत्थर को तोड़कर हटा देंगे। किसी ने कहा कि इस पत्थर को सरकार हटायेगी। किसी ने कहा कि अलग से रास्ता से निकल जाएंगे। इसके बाद भी और दिमाग पर जोर लगाकर सोचने को कहा गया। किसी ने कहा कि गांव के लोगों को बुलाकर संगठित करके हटाने का प्रयास किया जाना चाहिए। अब प्रश्न है कि पत्थर को हटाने के लिए गांव के लोगों को संगठन बनाना होगा। एकजूट कर पत्थर को हटाना होगा। गांव के लोगों को समस्या को अलग करने का गुर सीखाया गया। बैठक को बुलाकर अपनी बात को लोगों के सामने रखना।

क्या कहेंगे कैडरः अखिलेश कुमार ने कहा कि हमलोगों को सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलता है। हमारे यहां पीने का पानी की समस्या है। एक चापाकल से 50 परिवार पानी पीते हैं। बिन्देश्वरी पासवान ने कहा कि आवासीय भूमि नहीं है। हमस ब मालिक के जमीन में बंसे हैं। इस भूमि का पर्चा भी नहीं है। निर्मली देवी ने कहा कि गांव में भूमि नहीं है। कहां रहेंगे? पानी पीने का भी दिक्कत है।

उपलब्धिः इस कैडर प्रशिक्षण से गांव के कैडरों को समस्याओं पर बोलने का क्षमता बढ़ा है। धैर्य के साथ सुनने की क्षमता बढ़ी है। सोचने की क्षमता तथ दिमाग पर बल देकर सोचने को मजबूर किया गया जिससे सोचने की क्षमता भी बढ़ी है। संगठित रहने एवं संगठन बनाने के गुण को विकसित किया गया। इससे लाभ मिला। समस्या के माध्यम से खेल। खेल के माध्यम से संगठन करने की क्षमता को बढ़ाने की कोशिश की गयी। छोटे-छोटे समूह बनाकर एक संगठन का निर्माण करना। मेहनत करके काम करना चाहिए। समस्याओं के निदान के सिलसिले में त्वरित और निरन्तर कार्रवाई करते रहना। 
आलोक कुमार

 

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