- राष्ट्रीय व्यापारी महाधिवेशन 27 - 28 को नई दिल्ली में
आगामी लोकसभा चुनावों पर अपनी नजर गड़ाएं और उन चुनावों में व्यापारियों की भूमिका को महतवपूर्ण बनाने के लिए देश भर के व्यापारियों ने अपने आपको एक वोट बैंक में बदलने की कवायद शुरू कर दी है और इसके लिए देश के प्रमुख व्यापारी नेता विभिन्न राज्यों के सघन दौरे पर निकल पड़े हैं जिस से देश भर के व्यापारियों को लामबंद किया जा सके ! इसी उद्देश्य के तहत व्यापारियों के शीर्ष संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आगामी 27 -28 फरवरी को नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय व्यापारी महाधिवेशन बुलाया है जिसका उद्घाटन गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी करेंगे ! महाधिवेशन में देश के सभी राज्यों के व्यापारी हजारों की संख्यां में भाग लेंगे !
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी. सी. भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने आज यहाँ बताया की कैट ने कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी सहित देश के प्रमुख राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय राजनैतिक दलों के शीर्ष नेताओं जिनमें भाजपा, कांग्रेस, जदयू , सी पी एम, सी पी आई, अन्नाद्रमुक,द्रमुक, शिव सेना, अकाली दल, तेलगुदेशम, तृणमूल कांग्रेस, राजद, सपा, बसपा, आदि शामिल हैं ! महाधिवेशन में सभी नेताओं को एक " व्यापारी चार्टर " देकर उनसे चार्टर पर अपना रूख स्पष्ट करने की मांग की जायेगी !
श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने अफ़सोस व्यक्त करते हुए कहा की आजादी से लेकर अब तक देश की राजनैतिक व्यवस्था ने पूर्ण रूप से देश के व्यापारी वर्ग की गहरी उपेक्षा की है और सदा ही व्यापारियों पर सवारी करने की कोशिश ही की है लेकिन अब ऐसा नहीं हो, इसके लिए देश भर के व्यापारियों ने कमर कस ली है ! उन्होंने कहा की देश भर में काम कर रहे 6 करोड़ से अधिक व्यापारी जो लगभग वर्ष भर में 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार करते हैं और राष्ट्रीय जी डी पी में 15 प्रतिशत का योगदान देते हैं को अब तक न तो किसी सरकार ने अथवा न ही किसी राजनैतिक दल ने अपनी प्राथमिकता पर रखा है और इसीलिए देश भर के व्यापारियों को लगता है की उनके साथ राजनैतिक व्यवस्था ने छल किया है ! लोकसभा चुनाव व्यापारियों के लिए एक अवसर हैं और व्यापारी इस मौके पर राजनैतिक परिदृश्य और भारतीय अर्थव्यवस्था में अपनी महत्तवता को साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे !
श्री भरतिया एवं सही खंडेलवाल ने कहा की व्यापारियों पर लागू बहुस्तरीय एवं जटिल कर प्रणाली, सदियों पुराने क़ानून एवं नियम, अधिकारीयों के हाथों व्यापारियों का उत्पीड़न और शोषण, व्यापारियों के लिए किसी राष्ट्रीय व्यापार नीति का न होना, बैंकिंग सेक्टर से व्यापारियों को कोई वित्तीय सहायता का न मिलना, छोटे व्यापारियों को समाप्त करने की सरकार के विभिन्न नीतियां व्यापारियों के लिए बोझ बन गयी हैं और अफ़सोस तो यह है की जो सत्ता में बैठे हैं उन्हें कतई भी व्यापारियों की परवाह तक नहीं है ! रिटेल व्यापार में ऍफ़ डी आई, रिटेल ऍफ़ डी आई ई कॉमर्स व्यापार में, यूरोपियन एवं अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते आदि और ज्वलंत मुद्दे है जो व्यापारियों की चिंता का विषय हैं !
श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा की देश भर के व्यापारियों ने इस प्रकार की व्यवस्था का पुरजोर विरोध करने का निर्णय लिया है और यदि जरूरत पड़ी तो व्यापारी इसके लिए लोकसभा चुनावों के दौरान एक राष्ट्रीय अभियान छेड़ने में भी पीछे नहीं हटने वाले हैं ! नई दिल्ली का महाधिवेशन व्यापारियों के अगले रूख की रणनीति तय करेगा लेकिन यह निश्चित है की देश भर का व्यापारी अब अपने आपको वोट बैंक में तब्दील करेगा क्योंकि देश में वोट बैंक राजनीति ही अब महतवपूर्ण हो गयी है !
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