आंध्र प्रदेश के बंटवारे से संबंधित विधेयक का पुरजोर विरोध करते हुए मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी ने बुधवार को कहा कि यह उनका दुर्भाग्य है कि जब वे राज्य के नेता हैं तब राज्य विधानसभा में इस विधेयक पर चर्चा हो रही है। विधेयक पर चर्चा के लिए राष्ट्रपति से और समय मिलने पर संशय बरकरार रहने के बीच उन्होंने विधेयक पर विधानसभा में अपनी बात रखनी शुरू की। विधेयक पर राय जाहिर करने की समयसीमा गुरुवार को समाप्त हो रही है।
आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2013 पर चर्चा के लिए और चार सप्ताह दिए जाने का आग्रह भेजने पर राज्य सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। पृथक तेलंगाना राज्य के गठन से संबंधित ऐतिहासिक विधेयक पर मुख्यमंत्री ने अपना भाषण शुरू कर दिया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पिछले महीने संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत विधेयक पर अपनी राय जाहिर करने के लिए विधानसभा के पास भेजा था। विधानसभा को कहा गया था कि अपनी राय के साथ वह इसे 23 जनवरी तक वापस भेज दे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे विधेयक का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा, "यह मेरा दुर्भाग्य है कि जिस समय मैं राज्य का मुख्यमंत्री हूं उसी समय राज्य के बंटवारे से संबंधित विधेयक पर चर्चा हो रही है।" किरण रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस ने यह फैसला तब लिया जब सभी पार्टियों ने राज्य के बंटवारे के पक्ष में समर्थन किया। उन्होंने सदन से कहा कि यद्यपि उनकी पार्टी ने यह फैसला लिया है, फिर भी वे इसका विरोध करते हैं क्योंकि एकजुट रहने पर ही राज्य का विकास हो सकता है और यह समृद्ध हो सकता है।
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के विधायकों ने मुख्यमंत्री के भाषण में बाधा डालते हुए उनसे यह साफ करने के लिए कहा कि विधेयक का विरोध वे व्यक्तिगत स्तर पर कर रहे हैं या सदन के नेता के रूप में। तेलंगाना क्षेत्र से आने वाले पंचायत राज मंत्री के. जना रेड्डी ने भी मुख्यमंत्री से स्पष्टीकरण की मांग की।
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