सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के राजस्व राज्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की 'सत्ता के अहंकार' में वरिष्ठ अधिकारियों के सुझाव को दरकिनार किए जाने पर फटकार लगाई। सर्वोच्च न्यायालय ने सांविधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर एक निजी कंपनी को भूमि आवंटित करने में अपनी मनमानी करने के कारण मंत्री को फटकार लगाई है।
न्यायमूर्ति एच.एल. गोखले और न्यायमूर्ति जे. चेलामेश्वर की पीठ ने अपने आदेश में कहा, "उन्होंने (आनंदीबेन पटेल) ने इस बात को नजरअंदाज किया है कि आप चाहे जितने ऊंचे पद पर हों, कानून आपसे भी ऊपर है। इसमें और कोई मामला नहीं है, बल्कि उन्होंने सचिवों के सुझाव के प्रति सिर्फ इसलिए लापरवाही बरती क्योंकि मुख्यमंत्री के सचिव ने एक चिट्ठी लिख दी थी और क्योंकि वह मुख्यमंत्री से सीधा संबंध रखती हैं।"
न्यायालय ने अपने आदेश में आगे कहा, "सिर्फ इस पूर्वग्रह के आधार पर कि यह औद्योगिक विकास के हित में होगा, भुज के कलेक्टर को मनमाने तरीके से काम करने के लिए बाध्य करना संविधान द्वारा बनाए गए कानून एवं जनादेश का उल्लंघन हा साबित होता है।"
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