वित्त मंत्री पी चिदंबरम का कहना है कि लोकसभा चुनाव में किसी एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा या कोई दल बहुमत के करीब भी नहीं पहुंच पाएगा। उनके मुताबिक आम आदमी पार्टी (आप) का असर काफी हद तक शहरों में है और यह ज्यादा समय तक नहीं रहेगा।
चिदंबरम ने बुधवार को दावोस में कहा, 'दिल्ली में शहरी वोटरों ने मेनस्ट्रीम पार्टियों को नकार दिया, इसलिए आप जीती। हालांकि पिछले 3-4 हफ्तों में लोगों का उससे मोहभंग हुआ है।' वह दावोस में वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की मीटिंग में शामिल होने गए हैं। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के पीएम कैंडिडेट को लेकर अटकलों को भी खत्म कर दिया।
चिदंबरम ने कहा कि अगर चुनाव के बाद कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए बुलाया जाता है, तो राहुल गांधी पार्टी के प्रधानमंत्री होंगे। क्या राहुल में पार्टी को लीड करने का दमखम है? इस पर चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने पिछले शुक्रवार को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी में जो भाषण दिया था, वह जोशीला था। इससे विपक्षी दलों के इस आरोप की हवा निकल गई है कि राहुल एग्रेसिव नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी की ज्वाइंट लीडरशिप 2004 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद पैदा हुए हालात का नतीजा है। इसलिए यह मानना गलत होगा कि कांग्रेस में आगे भी ऐसा ही होगा।
चिदंबरम ने बीजेपी के बारे में कहा कि वह सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व नहीं करती। उन्होंने याद दिलाया कि पिछले 3 चुनावों में गुजरात में बीजेपी ने एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया है। चिदंबरम ने कहा, 'बीजेपी देश के सभी वर्गों की नुमाइंदगी नहीं करती और कई इलाकों में उसका नामोनिशान भी नहीं है।' उन्होंने मल्टी-ब्रांड रिटेल में फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट पर बीजेपी के विरोध पर तंज किया। चिदंबरम ने कहा, 'आप यह कैसे मान सकते हैं कि एफडीआई से बेरोजगारी बढ़ेगी?'
उन्होंने कहा कि पिछले साल भर में इकनॉमी स्टेबल हुई है और देश 8 पर्सेंट ग्रोथ की राह पर लौटने के लिए तैयार है। इस फिस्कल ईयर में उन्होंने ग्रोथ 5 पर्सेंट रहने की उम्मीद जताई। चिदंबरम ने कहा कि 2014-15 में इकनॉमी की रफ्तार 6 पर्सेंट के पार पहुंच सकती है। इसका मतलब यह भी है कि इस फाइनेंशियल ईयर में ग्रोथ पिछले साल के बराबर रहेगी, जो 10 साल में सबसे कम थी।
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