उत्तराखंड की विस्तृत खबर (23 जनवरी ) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 23 जनवरी 2014

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (23 जनवरी )

कायदे कानूनों में अपनी सुविधा के अनुसार परिवर्तन करती रही हैं राज्य सरकारें
  • स्वर्ग सिधार जाने के बाद आमजन को मिलती है राहत राशि

khanduri
देहरादून 23 जनवरी । उत्तराखण्ड प्रदेश के नेताओं का भी क्या कहने अपने लिए नियम कुछ और ,और आमजन के लिए तमाम कानूनी औपचारिकतायें। प्रदेश में सफेदपोश और अधिकारी अपने और अपनों के सुविधानुसार राज्य के कायदे कानूनों में राज्य निर्माण के बाद से लेकर अब तक परिवर्तन करते रहे हैं। हालिया परिवर्तन वर्तमान प्रदेश सरकार ने स्टाम्प ड्यूटी में चोरी करने वालों को जेल की जगह मात्र आर्थिक दण्ड लगा कर किया है इससे पहले स्टाम्प ड्यूटी में चोरी करने वालों को चोरी साबित होने पर जेल की सजा का प्रावधान था। यह नियम परिवर्तन मुख्यमंत्री बहुगुणा की अध्यक्षता में बीते दो दिन पूर्व हुये मंत्रिमंडल की बैठक में किया गया। वहीं प्रदेश के गरीब तबके के लोगों को मुख्यमंत्री राहत कोष से इलाज के लिए दिये जाने वाले मद में तमाम औपचारिकतायें लगाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री खण्डूरी ने खुद तो आठ लाख रूपये से ज्यादा अपनी सेहत में सुधार के लिए प्रदेश सरकार से ले लिये लेकिन प्रदेश के आमजन को उसकी बीमारी के निदान को लेकर प्रदेश सरकार इतने चक्कर कटवाती है कि या तो उप पैसे को पाने से पहले बीमार स्वर्ग सिधार जाता है या वह पैसा  उसके मर्ज को ठीक करने को इतना कम होता है कि वह बाद में थक हारकर कर्ज के गर्त में जा फंसता है। वरिष्ठ पत्रकार बिजेन्द्र रावत को राज्य सचिवालय प्रशासन से सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खण्डूड़ी के इलाज पर सरकार ने 2009-10 में 356077.00 रू. तथा 2011- 12 में 505500.00 रू. खर्च किये हैं। जानकारों के अनुसार उनका एक बार प्रोस्टेट का आपरेशन हुआ था। मगर दूसरी बार का पता नहीं चल पाया है। पार्टी के अन्दर ही उनके शुभ चिन्तकों का कहना है कि 80 साल से अधिक उम्र में वह इतने लम्बे चैड़े संसदीय क्षेत्र में पहले की तरह दौड़भाग कर लेंगे, इस पर संदेह है। 
जानकारों के अनुसार सामान्यतः किसी साधारण बीमारी के इलाज पर इतना खर्च नहीं आता है। राज्य सरकार उनके इलाज पर अब तक 861577 रुपये खर्च कर चुकी है। वह घर से भी सम्पन्न हैं, इसलिये कुछ पैसा उन्होंने स्वयं भी अपने पर लगाया होगा। वह सेना से रिटायर हैं इसलिये उन्हें छोटे से एमएच से लेकर दिल्ली स्थित रेफरल हास्पीटल (आरआर) में भी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। ऐसी स्थिति में उनके चैकअप आदि पर अन्य लोगों की तुलना में कम खर्च आया होगा। इससे पहले तिवारी सरकार में पर्यटन और आबकारी मंत्री रहे लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) तेजपाल सिंह रावत ने भी प्रोस्टेट का आपरेशन कराया था, लेकिन उन पर राज्य सरकार को इतना धन खर्च नहीं करना पड़ा। इन तमाम बातों को ध्यान में रख कर उनके समर्थक चिन्तित इस बात के लिये हैं कि आखिर खण्डूड़ी को ऐसी कौन सी बीमारी लग गयी जिस के इलाज पर अकेली राज्य सरकार को ही इतना भारी भरकम खर्च करना पड़ा। वरिष्ठ पत्रकार बिजेन्द्र रावत के अनुसार जिस प्रदेश के पहाड़़ी इलाकों में चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में लोग दम तोड़ रहे हों उस राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य पर इतना अधिक खर्च करना हैरानी का विषय है। रावत कहते हैं कि खण्डूड़ी के राज में लोगों को अपने इलाज के लिये मात्र 5 हजार की सरकारी सहायता के लिये पटवारी से लेकर डीएम तक के पचास चक्कर काटने पड़े। उस राज्य के मुख्यमंत्री ने अपने पर 861577 रुपये फूंक डाले। वहीं बीते दो दिन पूर्व हुए कैबिनेट बैठक में प्रदेश मंत्रिमंडल के इस फैसले को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है कि प्रदेश सरकार में बैठे कुछ लोगों के चहेतों के कारण राज्य मंत्रिमंडल ने स्टाम्प चोरी में होने वाली जेल के प्रावधान को आखिर क्यों हटाया। चर्चाओ ंकं अनुसार यह भी हो सकता है कि वर्तमान में बाबा रामदेव के खिलाफ स्टाम्प चोरी के लगभग 85 मामले दर्ज हैं और सरकार व रामदेव के बीच कुछ ‘‘डील‘‘ हुई है कि स्टाम्प चोरी के मामलों में जेल की सजा को मात्र अर्थदण्ड में परिवर्तित कर प्रदेश सरकार ने बाबा को सजा का प्रावधान हटाकर राहत दी है। वहीं सूत्रों का यह भी कहना है कि प्रदेश सरकार में बैठे कुछ नेताओं व अधिकारियों के स्टाम्प शुल्क में मामले में फंसने की आशंका के बाद प्रदेश सरकार ने इस तरह के नियमों में शिथिलता की है। भूमि व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार के इस निर्णय के बाद राज्य सरकार को स्टाम्प शुल्क में मिलने वाले पैसे में काफी गिरावट आ सकती है क्योंकि पहले लोगों को इस तरह की चोरी में में सख्त सजा का डर रहता था जो इस निर्णय के बाद समाप्त हो जायेगा। बिजेन्द्र रावत के अनुसार उनके पड़ोस के गाँव में बचन सिंह नामक एक व्यक्ति गम्भीर बीमारी से पीडि़त था उसकी घर की हालत बेहद माली थी, इसलिए जब उसके परिजन मुख्यमंत्री खण्डूड़ी के पास मदद के लिये गये तो खडूड़ी ने नियम इतने कठोर बनवा दिये थे कि बचन सिंह के आवेदन ने जब तक पटवारी और डीएम से होते हुए सीएम तक का सफ़र तय किया तब तक यमराज ने इन्तजार नहीं किया और वह मर गया। खंडूड़ी का एक मामूली रकम का राहत चैक उनके पास तब पहुंचा जब मौत के बाद बचन सिंह की तेहरवीं की रस्म भी पूरी हो चुकी थी लिहाजा वह चैक घरवालों ने वापस कर दिया।

राज्य आन्दोलनकारी बाबा बमराड़ा की सुध नहीं ले रही सरकारः टीम अन्ना

देहरादून, 23 जनवरी (निस)। वयोवृद्ध उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के महानायक बाबा मथुराप्रसाद बमराड़ा पिछले कई दिनों से राज्य सरकार की उपेक्षा का शिकार बनें हुए हैं। वह विगत दो माह से राज्य आन्दोलनकारियों को सम्मान दिलाने के साथ-साथ राज्य की कांग्रेस सरकार की नीतियों के खिलाफ अनशन पर हैं। उनके स्वास्थ्य में आई गिरावट के चलते हाल ही में उन्हे श्रीनगर बेस अस्पताल से दून अस्पताल रेफर किया गया था। इस दौरान उनका हाल चाल जानने के लिए सरकार का कोई भी प्रतिनिधि अभी उनके पास नहीं गया है। वास्तव में राज्य आन्दोलनकारियों के साथ प्रदेश सरकार का यह रवैया उसकी निरंकुशता व हटधर्मिता को उजागर कर रहा है। यह बात गुरूवार को यहां प्रेस को जारी अपने एक बयान में जनतंत्र मोर्चा (टीम अन्ना) के प्रदेश प्रवक्ता निशीथ सकलानी ने कही। जनतंत्र मोर्चा (टीम अन्ना) के प्रदेश प्रवक्ता निशीथ सकलानी ने कहा है कि यदि प्रदेश की कांग्रेस सरकार राज्य आन्दोलनकारियों के प्रति थोडा बहुत भी संवेदनशील है तो वह बाबा मथुराप्रसाद बमराड़ा जैसी धरोहरों का सम्मान करते हुए उनकी मांगों पर गंभीरता पूर्वक विचार-विमर्श करते हुए समाधान का प्रयास करे। उन्होने कहा कि बाबा बमराड़ा के गिरते स्वास्थ को देखते हुए सरकार तत्काल उनके अनशन को समाप्त करवाने का प्रयास करे। सकलानी ने कहा कि यदि प्रदेश सरकार ने राज्य आन्दोलन के महानायक बाबा बमराड़ा की अनदेखी करना बन्द नहीं किया तो शीध्र ही जनतंत्र मोर्चा पूरे प्रदेश में सरकार के खिलाफ जनआन्दोलन का बिगुल फूंक देगा। निशीथ सकलानी ने कहा कि प्रदेश सरकार चिन्हित राज्य आन्दोलनकारियों के साथ हो रहे पक्षपात व भेदभाव को तत्काल बंद करे और आन्दोलनकारियों के वर्गीकरण की सुनियोजित चाल की अपनी राजनीतिक पर विराम लगाये। सकलानी ने कहा कि 10 प्रतिशत आरक्षण हेतु सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मुकदमें की पैरवी करने वाले उत्तराखण्ड आन्दोलनकारी विरोधी सरकारी अधिवक्ता यू0 के0 उनियाल को तत्काल प्रभाव से निलम्बित किया जाये। उन्होने कहा कि महा अधिवक्ता कोे निलम्बित करने की मांग को लेकर पिछले दिनों जनतंत्र मोर्चा ने प्रदेश के महामहिम राज्यपाल से मिलकर उन्हे एक पत्र भी सौंपा है। उन्होने कहा कि जिन राज्य आन्दोलनकारियों को चिन्हित किया गया है उन सभी को एक श्रेणी में रखते हुए एक समान पेंशन , एक समान नौकरी, एवं एक समान आरक्षण दिया जाये। 

कोई टिप्पणी नहीं: