आज दिल्ली विधानसभा का सत्र शुरू होने के बाद सदन में जबर्दस्त हंगामा हुआ, लेकिन हंगामे के बीच अरविंद केजरीवाल ने जनलोकपाल बिल पेश कर दिया. यह बिल विधानसभा की मंजूरी के बगैर पेश किया गया. बिल पेश होने के समय सदन में भारी हंगामा हो रहा था और विपक्ष एलजी की चिट्ठी पर वोटिंग की मांग कर रही थी.
जिसके कारण सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पडी थी. भाजपा ने स्पीकर से यह मांग की कि वे उपराज्यपाल द्वारा भेजे गये पत्र को सदन के पटल पर रखें. स्पीकर ने इस पर यह कहा कि वे सुविधानुसार पत्र को सदन के पटल रखेंगे. हंगामें के कारण स्पीकर ने विधानसभा को 20 मिनट के लिए स्थगित कर दिया.
कार्यवाही शुरू होने के बाद स्पीकर ने एलजी कि चिट्ठी पढ़कर सुनायी. जिसमें एलजी ने कहा कि मुझे जनलोकपाल बिल नहीं दिया गया. इस चिट्ठी को लेकर विधानसभा में एकबार फिर हंगामा शुरू हो गया. सरकार ने कहा कि हम चर्चा के लिए तैयार है. उप राज्यपाल नजीब जंग ने आज दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष को सलाह दी कि वह आम आदमी पार्टी सरकार को जनलोकपाल विधेयक विधानसभा में पेश करने की अनुमति न दें. आप सरकार का कहना है कि वह इस मुद्दे पर पुनर्विचार नहीं करेगी.
उप राज्यपाल नजीब जंग ने कहा कि सदन में पेश करने के लिए विधेयक को आवश्यक मंजूरी नहीं मिल पाई है. विधानसभा अध्यक्ष एम एस धीर को लिखे पत्र में उप राज्यपाल ने कहा कि आप सरकार ने विधेयक सदन में पेश करने के लिए मंजूरी हासिल करने की खातिर आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया है. पत्र मे उन्होंने धीर से कहा है कि सदन का संरक्षक होने के नाते उन्हें इस मुद्दे से निपटते समय इन पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए. शीर्ष सूत्रों ने बताया कि जंग के पत्र का सार यह है कि विधानसभा अध्यक्ष को विधेयक सदन में पेश करने की अनुमति नहीं देना चाहिए. विधानसभा अध्यक्ष को उप राज्यपाल द्वारा पत्र भेजे जाने के तत्काल बाद आप सरकार के सूत्रों ने बताया कि वे विधेयक सदन में पेश करने के फैसले पर पुनर्विचार नहीं करेंगे.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीती रात फिर दोहराया कि अगर कांग्रेस और भाजपा प्रस्तावित विधेयक को पारित नहीं होने देते हैं तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे. उन्होंने कहा हम सत्र की अवधि आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं. हम यहां सरकार बचाने के लिए नहीं हैं. हम कल सदन में विधेयक पेश करेंगे. अगर वह अनुमति देते हैं तो ठीक है अन्यथा मैं इस्तीफा दे दूंगा. धीर को लिखे पत्र में जंग ने संकेत दिया है कि उनकी मंजूरी के बिना विधेयक सदन में पेश करना असंवैधानिक है.
केजरीवाल कहते रहे हैं कि विधेयक को सदन में पेश करने के लिए केंद्र या उप राज्यपाल से पूर्व अनुमति लेने की जरुरी नहीं है जबकि भाजपा और कांग्रेस की राय है कि ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रुल्स (टीबीआर) 2002 के तहत यह अनुमति जरूरी है. कानून मंत्रालय का कहना है कि टीबीआर के तहत यह जरूरी है कि उप राज्यपाल ऐसे प्रत्येक विधायी प्रस्ताव को केंद्र के पास भेजें जिसमें अतिरिक्त वित्त सहायता की जरुरत पड़ सकती है.
कल से शुरु हुआ चार दिन का विधानसभा सत्र जनलोकपाल और स्वराज विधेयकों को पारित करने के लिए आयोजित किया गया है. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के मुख्य प्रवक्ता मुकेश शर्मा ने बताया कि पार्टी असंवैधानिक जनलोकपाल विधेयक को सदन में पेश करने की अनुमति नहीं देगी क्योंकि आप सरकार ने आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया है.
शर्मा ने कहा हम आप सरकार को विधेयक पेश करने की अनुमति कभी नहीं देंगे. उप राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को विधेयक पेश करने की अनुमति न देने की सलाह पहले ही दे दी है. विधानसभा अध्यक्ष को उप राज्यपाल की सलाह का पालन करना चाहिए. भाजपा के वरिष्ठ नेता हर्षवर्द्धन ने कहा कि पार्टी सरकार के किसी भी असंवैधानिक कदम का समर्थन नहीं करेगी.
उपराज्यपाल का कहना है कि जब बिल उन्हें दिखाया ही नहीं गया, तो वे उस बिल को विधानसभा में पेश करने की इजाजत कैसे दे सकते हैं. सूत्रों ने बताया कि दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष को उप राज्यपाल के परामर्श के बावजूद आप सरकार जन लोकपाल विधेयक सदन में पेश करेगी. इधर खबर यह भी आ रही है कि हाईकोर्ट में एलजी के अधिकार को लेकर याचिका दायर की गयी है, जिसपर सुनवाई होना है.
इधर कांग्रेस और भाजपा दोनों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे जनलोकपाल बिल के समर्थक हैं, लेकिन यदि उसे असंवैधानिक तरीके से लोकसभा में पेश किया जायेगा, तो वे उसका समर्थन नहीं करेंगे. कांग्रेस नेता अरविंदर सिंह लवली ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि हम किसी भी असंवैधानिक बिल का समर्थन नहीं करेंगे. वहीं विपक्ष के नेता डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि हम प्रारंभ से ही जनलोकपाल बिल के समर्थक हैं, हम कोई अंवैधानिक काम नहीं करेंगे. अगर आज हम जनप्रतिनिधि हैं, तो वह सिर्फ इसलिए कि संविधान हमारे साथ है.
उपराज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष को जनलोकपाल विधेयक पेश करने की अनुमति नहीं देने की सलाह दी. राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि जनलोकपाल विधेयक मुद्दे पर उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. उन्होंने कहा बिल पर मेरी मंजूरी नहीं है. इस आदेश के बाद अरविंद केजरीवाल एक बार फिर मुश्किल में फंस गये हैं. इधर आज सुबह केजरीवाल ने कहा, जनलोकपाल पर वह समझौता करने वाले नहीं हैं. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कल रात कहा कि उनकी सरकार की योजना शुक्रवार विधानसभा में जनलोकपाल विधेयक पेश करने की है. साथ ही, उन्होंने प्रस्तावित विधेयक को कांग्रेस और भाजपा द्वारा पारित नहीं होने देने की सूरत में एक बार फिर इस्तीफे की धमकी दी.
उन्होंने कहा कि आप सरकार सत्र का विस्तार 16 फरवरी से आगे करने को तैयार है और विधेयक का पारित होना सुनिश्चित करेगी लेकिन इसके पारित नहीं होने की स्थिति में उनके पास इस्तीफा देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा. यह पूछे जाने पर कि यदि विधेयक को सदन में पेश नहीं करने दिया गया तो क्या वह इस्तीफा दे देंगे, केजरीवाल ने कहा कि इस मामले में सरकार अगले कुछ दिनों में इसे पेश करने की कोशिश करेगी और सत्र का विस्तार भी कर सकती है.
केजरीवाल ने संवाददाताओं से कहा, हम सत्र में विस्तार के लिए तैयार हैं. हम यहां सरकार बचाने के लिए नहीं हैं. हम शुक्रवार को सदन में विधेयक पेश करेंगे. यदि वे इजाजत देते हैं तो ठीक है, अन्यथा मैं इस्तीफा दे दूंगा. उन्होंने कहा, हम जनलोकपाल विधेयक और स्वराज विधेयक के लिए प्रतिबद्ध हैं तथा भारत से भ्रष्टाचार हटाने के लिए मैं मुख्यमंत्री पद 100 बार कुर्बान करने के लिए तैयार हूं. उन्होंने आरोप लगाया कि कानून मंत्री सोमनाथ भारती के इस्तीफे के मुद्दे पर सदन का कामकाज नहीं चलने देने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने हाथ मिला लिया है.
केजरीवाल ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि भारत के इतिहास में किसी विधानसभा में ऐसा हुआ होगा कि भाजपा और कांग्रेस एकजुट हो गई हो. इन्होंने खुद को बेनकाब कर दिया है. उन्होंने कहा, जिस तरह से वे मुझ पर आरोप लगा रहे हैं मुझे लगता है कि वे मुझे पीटने आ रहे हैं. उन्होंने मेरी सीट के सामने माइक तोड़ दी और कागज फाड़ दिए. उन्होंने स्पीकर के भी दो माइक तोड़ दिए. संसद में भी आज ऐसा ही हुआ. उन्होंने कहा कि हम भारती के मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं.
केजरीवाल ने कहा कि दोनों पार्टियों के हाथ मिलाने का कारण मुकेश अंबानी है. उन्होंने इन दोनों को एक साथ किया है. दो दिन पहले ही अंबानी के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज हुई और इनमें से कोई भी पार्टी उन्हें बचाने में सक्षम नहीं है. वे आप को नष्ट करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस कहती है कि वह आप का समर्थन कर रही है लेकिन आज यह स्पष्ट हो गया कि वह हमारा समर्थन नहीं कर रही है बल्कि भाजपा का समर्थन कर रही है.
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