लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की सियासत में मचा तूफान थम नहीं रहा है। राजद विधायकों की बगावत थामने के बाद पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने अब आक्रामक रुख अपना लिया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजद नेता रघुवंश प्रसाद ने नीतीश कुमार कुमार को चुनौती देते हुए कहा कि देख लेते हैं कि किसकी नसों में खून है औऱ किसकी नसों में पानी है। रघुवंश के इस जुमले ने लालू यादव में जोश भर दिया। लालू ने घोषणा की और वह रिक्शे में बैठकर गर्वनर से मिलने राजभवन के लिए निकल गए ।
पार्टी विधायकों और कार्यकर्ताओं के साथ स्पीकर के घर के बाहर प्रदर्शन और नारेबाजी करने के बाद लालू विधानसभा परिसर पहुंचे। पहले सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें रोका लेकिन हंगामा बढ़ता देख उन्हें परिसर में प्रवेश की अनुमति दे दी। लालू यादव ने विधान सभा अध्यक्ष को अपने विधायकों की सूची सौंपी। उन्होंने विधान सभा अध्यक्ष की ओर से जारी की गई उस अधिसूचना पर सवाल उठाया जिसमें बागी विधायकों को सदन में अलग गुट के तौर पर मान्यता दी गई। इससे पहले लालू ने बागी विधायकों के साथ बैठक भी की, जिसमें 13 में से 9 विधायक ही पहुंचे। इसके बाद, लालू यादव पार्टी के विधायकों और कार्यकर्ताओं के साथ विधानसभा अध्यक्ष के घर के बाहर जमा हुए। लालू ने नीतीश पर लोकतंत्र की हत्या करने के प्रयास का आरोप लगाया।
बैठक से पहले राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव मंगलवार को भड़क गए। वह जब घर से बाहर निकले तो उनका सामना विधान परिषद का टिकट मांगने वाले नेताओं से हो गया। ये नेता नारेबाजी कर रहे थे। इन्हें लालू यादव ने जम कर लताड़ा और खदेड़ दिया। पार्टी में टूट की खबर मिलने के बाद लालू यादव मंगलवार सुबह ही दिल्ली से पटना पहुंचे थे। पटना पहुंचते ही उन्होंने नीतीश कुमार और विधानसभा अध्यक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'नीतीश डायवोर्स के बाद से पागल हो गया है। प्रलोभन देकर विधायकों को तोड़ रहा है। और स्पीकर के लिए पता नहीं क्या कहा जाए। 13 विधायकों का अलग ग्रुप बना दिया। वह कैसे बना सकता है? यह बहुत बड़ा षडयंत्र है।' उन्होंने नीतीश को 'स्कैंडल का मास्टर' बताया।
विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए लालू ने कहा, 'वह कभी मेरी कैबिनेट में मंत्री हुआ करता था और अब मेरी ही पार्टी तोड़ने में लगा है।'
राजद में बगावत के बाद लालू प्रसाद यादव डैमेज कंट्रोल में जुटे हैं। चार विधायकों को छोड़कर लालू बागियों को वापस पार्टी में लाने में सफल रहे हैं लेकिन बावजूद इसके वह अभी भी घाटे में ही हैं। मुश्किल की इस घड़ी से भी लालू चुनावी फायदा लेनी की कोशिश कर रहे हैं।
1- लालू ने बैठक के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं और विधायकों के साथ सड़क पर उतर पार्टी कैडर का मनोबल बढ़ाने का प्रयास किया। लालू जानते हैं कि विधायकों को सड़कों पर उतारकर डैमेज कंट्रोल का संदेश देना चाहते हैं।
2- जेल से बाहर आने के बाद लालू को पहली बार इतना मीडिया अटैंशन मिल रहा है कि जिसका इस्तेमाल वह पार्टी में चुनावी जोश भरने में कर रहे हैं।
3- नीतीश पर जिस तरह से लालू यादव आक्रामक रुख अपना रहे हैं, उससे साफ है कि लालू इस मुद्दे के सहारे यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि बिहार की सीएम जोड़-तोड़ की राजनीति कर रहे हैं।
4 -लालू ने रिक्शे से राजभवन जाने, विधानसभा अध्यक्ष के घर के बाहर प्रदर्शन करने और विधानसभा भवन में हंगामा करने जैसे तरीकों से यह साफ कर दिया है कि पार्टी में हुई बगावत से भी वह लोकप्रियता बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं।
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