लोकपाल की प्रमुख नियुक्तियों के लिए सरकार द्वारा अपनाई जा रही प्रक्रिया पर कड़ी आपत्ति जताते हुए भाजपा नेता अरूण जेटली ने इसे बेहद अनुचित बताया और आरोप लगाया कि कार्मिक विभाग चयन और खोज समितियों की भूमिका को कमतर कर रहा है। इस बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दो बाद पत्र लिख कर अपनी आपत्तियां जता चुके जेटली ने आज यहां फिर आरोप लगाया कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया लोकपाल अधिनियम का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि आपको सर्वोत्तम लोगों का चयन करना है न कि महज जगह भरनी है। मैं उम्मीद करता हूं कि सरकार अधिनियम के आधार पर प्रक्रिया को कड़ाई से अपनाएगी।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से केवल यह उम्मीद की जाती है कि वह चयन समिति और खोज समिति के लिए प्रशासनिक एवं अन्य जरूरी मदद जुटाए। इनकी भूमिका कमतर करके स्वयं कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग उनका इस्तेमाल कर रहा है। मुझे नहीं लगता कि ऐसी प्रक्रिया से प्रभावकारी लोकपाल बन सकता है। उनका आरोप है कि सरकार जिस तरह से आगे बढ़ रही है उसकी चलते लोकपाल अधिनियम की पूरी तरह अनदेखी हो रही है।
लोकसभा में विपक्ष की नेता और चयन समिति की सदस्य सुषमा स्वराज ने भी सरकार द्वारा अपनाई जा रही प्रक्रिया पर विरोध जताया है। उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता पी पी राव को पैनल का सहयोजित सदस्य चयनित किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए उस पर अपनी लिखित असहमति भी दर्ज कराई है। भाजपा का कहना है कि चूंकि भ्रष्टाचार निरोधी लोकपाल का पहली बार गठन होने जा रहा है इसलिए इसे लेकर नियुक्तियां सर्वानुमति के आधार पर की जाएं।
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