पैराबैंकिंग और रियल एस्टेट के नाम पर निवेशकों से पैसे इकट्ठा करने वाले सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय ने शुक्रवार को लखनऊ पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। लेकिन सुब्रत रॉय की मुश्किलें खत्म नहीं हो रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस राधाकृष्णन ने उनकी गिरफ्तारी के लिए जारी गैर जमानती वारंट पर विचार करने से इनकार कर दिया है। अब उन्हें हर हालत में 4 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में पेश होना होगा।
इससे पहले सुब्रत रॉय ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के जज और मीडिया के नाम जारी दो पेजों के बयान में गुरुवार को लखनऊ के सहारा शहर स्थित अपने घर पर लखनऊ पुलिस को न मिलने की वजह बताई। उन्होंने कहा कि वह अपनी मां छबि रॉय की सेहत के बारे में डॉक्टरों से सलाह लेने घर से बाहर गए थे। उन्होंने बयान में कहा कि उन्हें 3 मार्च तक अपने घर में नजरबंद रहकर मां के साथ वक्त गुजारने की अनुमति दी जाए। गुरुवार को लखनऊ पुलिस ने कहा था कि सुब्रत रॉय न तो अपनी मां के साथ घर पर हैं और न ही अस्पताल में। पुलिस ने यह भी कहा था कि उनके परिवार को भी यह नहीं मालूम है कि वह कहां हैं। लेकिन गुरुवार को ही सुब्रत रॉय ने कई अखबारों में विज्ञापन देकर दावा किया था कि वह अपनी मां के साथ हैं और उन्हें छोड़कर कहीं नहीं जा सकते हैं। ऐसे में सुब्रत रॉय के विरोधाभासी बयानों से संदेह पैदा होता है। सवाल उठता है कि अगर उन्हें डॉक्टरों की सलाह लेने के लिए बाहर ही जाना था, तो वे इसकी जानकारी खुद परिवार को या पुलिस को फोन पर दे सकते थे।
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