बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के कथित तौर पर बागी हुए 13 विधायकों को अलग समूह के रूप में मान्यता देने के मामले पर बुधवार को बिहार विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने इसे न्यायोचित बताते हुए कहा कि दलित परिवार का होने के कारण उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। पटना में पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बजट सत्र के दौरान राजद के 13 सदस्यों का हस्ताक्षरयुक्त पत्र उन्हें मिला था जिसमें जनता दल (युनाइटेड) में विलय करने तथा अलग समूह के रूप में मान्यता देने का निवेदन किया गया था। उन्होंने कहा कि 10 दिनों में विभिन्न वर्गो के लोगों से पूरे मामले को संपुष्ट करने के बाद पिछले 24 फरवरी को अंतरिम निर्णय लेते हुए इन विधायकों को एक अलग समूह के रूप में मान्यता दी गई।
इस निर्णय को उन्होंने न्यायोचित और नियमानुकूल बताते हुए कहा कि इन्हीं में से नौ विधायकों ने 25 फरवरी को एक अलग पत्र लिखकर वापस करने का पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि इस पत्र पर भी वे मंथन कर रहे हैं और जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा।
उन्होंने मंगलवार को उनके आवास पर किए गए पथराव की घटना पर दुख जताते हुए कहा कि इस घटना से वे मर्माहत हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें महादलित होने के कारण उन पर निशाना साधा जा रहा है। चौधरी ने खुद की हत्या की आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि बौखलाहट में वे लोग उनके परिवार पर भी हमला कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि राजद के 13 विधायकों के एक हस्ताक्षरयुक्त पत्र विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा गया था जिसके बाद अध्यक्ष ने उन्हें अलग गुट की मान्यता दे दी। इसके बाद राजद में नौ विधायक वापस पार्टी के साथ आने का दावा किया। राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने विधानसभा अध्यक्ष चौधरी पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इशारे पर असंवैधानिक तरीके से मान्यता देने का आरोप लगाया था।
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