फतेहपुर। वह खुद से ही खाना बनाती हैं, तब जाकर खाना खाती हैं। अगर ऐसा संभव न हो सका तो भूखले पेट सो जाती हैं। गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति के सिल्वर जुबली के अवसर पर सामूहिक भोज का आयोजन किया गया। पैक्स के कार्य क्षेत्र गया, जहानाबाद, अररिया, भोजपुर, नालंदा, दरभंगा, कटिहार और बांका से पुराने और नए सामाजिक कार्यकर्ता आए थे। वहीं ऑक्सफैम इंडिया के कार्य क्षेत्र मुजफ्फरपुर, मधेपुरा,सहरसा, पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चम्पारण, अरवल,बक्सर,भोजपुर, जमुई और पटना के अलावे सुपौल के हजारों की संख्या में उपस्थित लोगों ने प्रीति भोज का लुफ्त उठाए।
गया जिले के फतेहपुर प्रखंड के गिद्धनी गांव से आयी महिला ने प्रगति भवन में सेवारत दौलत कुमार अकेला और सन्नी कुमार से कहा कि दूसरे लोगों के हाथ से बना भोजन नहीं करती हूं। इसके आलोक में मुझे चालव,दाल और सब्जी उपलब्ध करा दें ताकि खुद ही भोजन बनाकर खा सकूं। अगर आप मांगी गयी सामग्री उपलब्ध नहीं कराएंगे तो भूखे ही रह जाऊंगी। उसे सामग्री उपलब्ध करा दिया गया। आप तस्वीर में देख सकते हैं। इनका कहना है कि अगर किसी जगह पर साधन उपलब्ध नहीं हो पाता है तो फल खाकर रह जाती हूं।
उसी तरह जहानाबाद जिले के मखदुमपुर प्रखंड में रहने वाली फूलमंती देवी भी हैं। मगर वह खाना नहीं बनायी। अलबता चना खाकर भूख को मिटायी। वह अपने साथ चना और फल लेकर आती हैं। उसी का सेवन करती हैं। फूलमंती देवी जनादेश 2007 और जन सत्याग्रह 2012 सत्याग्रह पदयात्रा के दौरान खुद ही खाना बनाकर खाती थीं। चना खाकर भी गुजारा कर लेती थीं। इसी तरह अजय कुमार मुखर्जी भी थे। जो सिर्फ घर में निर्मित भोजन को ही ग्रहण करते हैं। बाजारू भोजन को छूते भी नहीं हैं।
आलोक कुमार
बिहार
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