केजरीबाल के कजरी में मदमस्त देश के पेड वैचारिक और दृश्य-श्रव्य माध्यम आम आदमी पार्टी के असंवैधानिक कृत्य को शहादत साबित करने में लगा था,उससे पूर्व लोकतंत्र के मंदिर में जो कुछ घटित हुआ वह आतंकवादी घटना से कम नहीं था.जिस तरह से कांग्रेस पोषित भिंडरावाले ने स्वर्ण मंदिर को अपवित्र किया उसी प्रकार कांग्रेसी चरित्र में गढ़ा उसके सांसद ने संसद रूपी मंदिर को अपवित्र कर लोकतंत्र को शर्मसार किया है ,अपने जन्मकाल से ही कांग्रेस सत्ता के खेल में करोडो हिन्दुस्तानियो को अकाल मौत दिया और वह चरित्र बदस्तूर आज भी जारी है.हर मुद्दे को देश हित के बजाय वोट बैक के राजशाही चश्मे से देखना इसकी नियति रही है जिसका खामियाज़ा इस देश के कर दाता भुगत रहे और इस देश का मूल शक्ति युवा भुगत रहे हैं .
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र और गणतंत्र की माँ भारत आज कांग्रेसी चरित्र के पापो से मुक्ति की बाट जोह ही रही थी की संसद फिर एकबार कांग्रेसी चरित्र से शर्मसार हुई. अंग्रेजो का दत्तक कांग्रस उसी तरह बांटो राज करो की निति के सहारे आज तक सत्ता सुख भोग रही है और उसी के तहत आन्ध्र प्रदेश का बटवारा कर अलग तेलंगना राज्य के गठन को लेकर एक बिल लोकसभा में पेश करना था.इस बिल पर सार्थक बहस की गुंजाइश थी किन्तु विजयवाड़ा से मेकेनिकल इंजीनियर और लैंको इन्फ्राटेक के धनकुबेर कांग्रेसी सांसद एल राजगोपाल ने संसद में जो जघन्य कुकृत्य किया वह संसद भवन पर हुए हमले से कमतर नहीं और यह गुनाह आतंकी अफज़ल की गुनाह से भी जघन्य था.कांग्रेसी सांसद राजगोपाल का यह तालिवानी पौध उसी कांग्रेस की प्रयोगशाला में तैयार किया गया है जो परदे के पीछे लोकतंत्र का गला घोट सार्वजानिक मंचो पर लोकतंत्र हितैषी की वाचालता से आम नागरिको को सदा दिग्भ्रमित करती रही है .
कांग्रेसी सांसद ने कांग्रेसी प्रयोगशाला की मानसिक उत्पाद पेपर स्प्रे का मारक इस्तेमाल संसद में किया.इस मारक हथियार यानी पेपर स्प्रे का उपयोग ब्रिटेन,अमेरिका और चीन जैसे देशो में वहाँ के सुरक्षाकर्मी करते है और आम नागरिको के उपयोग पर प्रतिबंध है. चूँकि यह पेपर स्प्रे काली मिर्च (गोलकी) के कैप्साइसीन तत्व को एथेनोल में मिलाकर बनया जाता है जिसकी मारक क्षमता ६-७ फुट तक की होती है .इस मारक स्प्रे के प्रयोग करने पर पीड़ित को आँखों से कुछ समय के लिए दिखना बंद होना, आँखों में तीव्र वेदना होना ,आंसू निकलना खांसी होना और वेचैनी की हालत में पीडिता की जान भी निकल जाती है
इंजीनियरिंग तथा कांग्रेसी पाठशाला में राजनीति का अध्ययन किये और इस पेपर स्प्रे की मारक् क्षमता से भलीभाती परिचित धनाढ्य कांग्रेसी सांसद एल राजगोपाल अपने पूर्व नियोजित अपराध को अंजाम देने के लिए यथासम्भव अधिकतम घातक हथियार का उपयोग संसद में किया है फिर इस सांसद के उपर आतंकवादी गतिविधिओ या देशद्रोह जैसे धारा का प्रयोग क्यों नहीं होना चाहिये ? ,कांग्रेसी सांसद के पास यदि आग्नेय हथियार होता तो संसद की कैसी स्थिति होती सोचकर रोयाँ काँप उठता है .
संसद में हो हल्ला मचाना तो संसद का बिजनेस है .संसद में सांसदों ने अपनी वैचारिक शक्ति के बजाय शारीरिक शक्ति का भोंडा प्रदर्शन भी किया है .१७ जून २००७ को उसी संसद में बाम दलों और द्रमुक के सांसदों के बीच मारपीट हुई तो ०६ मई २००८ को तत्कालीन कानून मंत्री भारद्वाज़ से हाथापाई की गयी.कांग्रेसी महिला सांसद रेणुका चौधरी ने सपा पुरुष सांसद को धक्का देकर पीछे धकेलने का तमगा अपने नाम किया ?२९ दिसम्बर २०१११ को राजद सांसद ने कार्मिक मंत्री के हाथ से लोकपाल बिल छीन फाड़ दिया और ०५ सितम्बर २०१२ को तो सपा सांसद नरेश अग्रवाल और वसपा सांसद अवतार सिंह करीमपुरी के बीच तो संसद सौंध रणक्षेत्र में ही बदल गया था.
चुकी इस देश के सांसद अपने आपको भारत का भाग्य विधाता मान बैठे है .कानून का निर्माण करने की हेकड़ी में ये सांसद कानून को अपनी पैर की जूती समझते है ,फलतः ए माननीय जब विदेशी धरती पर जाते हैं तो इनकी घिग्घी बंधी होती और नंगे होकर अपनी जांच करवाने को भी उताहुल रहते किन्तु ज्योंही इनके पाँव भारत की ज़मी पर पड़ते यहाँ के कानून को पैरो की नोक से कुचल अपनी हेकड़ी दिखातें है ? संसद भवन में इन सांसदों की जाच नही होती है, स्टीकर लगे अपने वाहन से ये सीधे मुख्यद्वार के पास उतरकर अपना परिचय पत्र दिखाते और संसद में प्रवेश कर जाते है . संसद में मोबाइल लैपटॉप कैमरा पेन ड्राइव यादि ले जाना वर्जित है किन्तु इनको शारीरिक जांच से छुट मिली हुई है ऐसे में माननीयो की जांच होती नहीं और मोबाइल लैपटॉप कैमरा पेन ड्राइव यादी तो क्या हथियार भी लेकर ये अन्दर चले जाय तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए,पेपर स्प्रे उसी का एक बानगी भर था ?
कुर्सी माइक पेपर चप्पल फेकने में माहिर कुछ माननीय संसद को दाग दिया वह पेपर स्प्रे से भी आगे जा सकता है ? ऐसे में इन माननीय के बारे में उसी संसद को गंभीरता पूर्वक विचार कर संसद की तार तार होती गरिमा की रक्षा भी करनी होगी .अभी कुछ दिन पूर्व मांग उठी थी की देश के हवाई अड्डो पर होने वाली सुरक्षा जांच से इन माननीय का समय जाया होता है अत: सुरक्षा जांच से इन्हें मुक्त किया जाय ? किन्तु संसद में कांग्रेसी सांसद के कुकृत्य से तो लगता है की इन्हें ह्वाइ अड्डे तो क्या सार्वजनिक शौचालयों के प्रयोग से पूर्व भी इनकी सघन जांच होनी चाहिए.
सदन की तार तार होती गरिमा पर पुलिश भी सीधे संज्ञान नही ले सकती और लोकतंत्र विरोधी ऐसे सांसदों के ऊपर अध्यक्ष भी अधिकतम निलंबन का ही आदेश दे सकती है, कांग्रेसी चरित्र का परिचायक कांग्रेसी सांसद एल राजगोपाल नियम ३७४(क) के तहत इस जघन्य कुकृत्य के बाद भी सिर्फ निलम्बित हुए जबकि ऐसे तत्वों को तो देश में मत देने का अधिकार से ही वंचित करना चाहिए.यदि क़ानून बनाने वाले इस तरह से क़ानून की होली ज़लाएगे तो वह दिन दूर नहीं जब लोकतंत्र करवला में दफन होगी और आम आवाम मुहर्र्म मनाने को मजबूर होगा.
संसद की पवित्रता और उसकी गंभीरता पर ही भारत का भविष्य टिका है. शर्मसार करती ऐसी घटनाओं पर समय रहते रोक नही लगी तो भारतीय लोकतंत्र पूंजीपतियो का गुलाम बनकर विश्व में परिहास का पात्र बनेगी .गणतंत्र की माँ अपने कुपुत्रों की कारगुजारिओं से विश्व में शर्मसार होगी,संसद को समवेत स्वर में ऐसे अलोकतांत्रिक आतंकी तरीको का प्रयोग करने वालो के ऊपर उसी तरह की कठोरतम कारवाई करनी चाहिए जैसे किसी संक्रमित अंग को शारीर की रक्षा के लिए शारीर से अलग करने में की जाती है . लोकतंत्र के मंदिर में जो कुछ भी एल राजगोपाल ने किया वह कांग्रेस के चरित्र पर ही सबाल पैदा करती है. कांग्रेस को यदि लोकतंत्र में विश्वास है तो अपनी उपनिवेशवादी निति और सत्ता सुख की अनुभूति से निकलकर ऐसे अराजकतावादिओ के साथ कड़ाई से निपटे अन्यथा इस देश की जनता अपने पवित्र लोकतंत्र की पवित्रता,पारदर्शिता और सुरक्षा के लिए इसका भी वही हश्र करेगी जो बड़े बड़े राजवाडों और राजशाहों का किया है .
---संजय कुमार आजाद---
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