साथियों को बचाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014

साथियों को बचाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी

मुंबई तट के पास पनडुब्बी सिंधुरत्न में हुए हादसे में देश के दो और जवान वीरता की गाथा लिख गए। ये दो जवान हैं लेफ्टिनेंट कमांडर कपीश मुवाल और लेफ्टिनेंट कमांडर मनोरंजन कुमार चौधरी। दोनों की वीरता की कहानी अब सामने आई है। सिंधुरत्न हादसे में शहीद हुए इन दो जवानों ने अपने सात साथियों को बचाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। लेफ्टिनेंट कमांडर मनोरंजन अपनी छुट्टी रद्द होने के कारण वापस लौटे थे और हादसे वाले दिन उन्हें अपनी भावी लाइफ पार्टनर से मिलने जाना था।

हादसे में बचे नौसैनिक दोनों की वीरता की कहानी बयां कर रहे हैं। सिंधुरत्न में आग के बारे में लेफ्टिनेंट कमांडर मुआल को सबसे पहले पता चला था। तुरंत हरकत में आते हुए मुआल ने सेलर्स चैंबर से अपने साथियों को बाहर जाने को कहा और खुद आग पर काबू पाने में जुट गए। उन्होंने लेफ्टिनेंट कमांडर मनोरंजन कुमार चौधरी को मदद के लिए बुलाया। लेफ्टिनेंट चौधरी तुरंत चैंबर की ओर दौड़ पड़े। इस दौरान दोनों साथियों को बाहर निकालने और पनडुब्बी को सतह पर लाने की कोशिशों में जुटे रहे।

पनडुब्बी को सतह पर आने में करीब 20 मिनट लगे। इसके बाद राहतकर्मियों ने सात नौसैनिकों को पनडुब्बी से एयरलिफ्ट किया, लेकिन लेफ्टिनेंट कमांडर मुवाल और लेफ्टिनेट कमांडर चौधरी सेलर्स चैंबर से बाहर नहीं आ पाए। दोनों के शव गुरुवार को पनडुब्बी के डॉकयार्ड में लाए जाने के बाद मिले। सेना के सूत्रों के मुताबिक दोनों की मौत आग बुझाने के लिए इस्तेमाल की गई फ्रीयोन गैस से दम घुटने से हुई होगी।

लेफ्टिनेंट चौधरी की छुट्टी आखिर समय पर कैंसल कर दी गई थी। लेफ्टिनेंट चौधरी ने फरवरी के शुरुआत में छुट्टी की अर्जी दी थी, लेकिन सिंधुरत्न के ट्रायल के कारण उनकी छुट्टी रद्द कर दी गई थी। जिस दिन यह हादसा हुआ, उसी दिन 25 साल के चौधरी को जमशेदपुर में अपनी होने वाली दुल्हन को देखने जाना था। चौधरी आर्मी इंजिनियरिंग कॉलेज से बीटेक की डिग्री के बाद 2007 में नेवी में सेकेंड लेफ्टिनेंट के तौर पर भर्ती हुए थे।

बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले चौधरी के भाई सुमंत ने बताया कि मनोरंजन को 25 फरवरी को मुंबई से जमशेदपुर आना था, लेकिन सिंधुरत्न के ट्रायल के कारण उनकी छुट्टी आखिर समय पर कैंसल हो गई थी। उनके रिश्ते की बात चल रही थी। सुमंत के मुताबिक मनोरंजन को शादी के लिए मनाने की काफी समय से कोशिश हो रही थी, लेकिन वह हाल ही में इसके लिए तैयार हुए थे।

लेफ्टिनेंट कमांडर कपीश मुवालः लेफ्टिनेंट मुवाल एक्स कमांडर ईश्वर सिंह के सबसे बड़े बेटे थे। दिल्ली में रहने वाले उनके परिवार को बेटे की शहादत पर गर्व है। लेफ्टिनेंट मुवाल स्कूली दिनों से ही पढ़ाई के साथ खेल में भी आगे थे। 27 साल के कपीश दिल्ली के नेवी पब्लिक स्कूल में पढ़े। वह 2004 में नेवी में सेकेंड लेफ्टिनेंट भर्ती हुए। मुंबई से पहले उनकी पोस्टिंग जामनगर में थी।

दिल्ली मे रहने वाले ईश्वर सिंह को अपने बेटे पर गर्व है। उन्होंने कहा, 'मुझे अपने बेटे पर गर्व है। उसने अपने जूनियर्स को बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी।' कपीश के बारे में उनके पिता बताते हैं कि वह खेल के साथ पढ़ाई में भी अचछा था। नेवी में जाना उसका सपना था। कपीश का शव शुक्रवार को दिल्ली लाया जाएगा


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