ढाई महीने की जांच के बाद गोवा पुलिस की अपराध शाखा ने सोमवार को औपचारिक रूप से तहलका के प्रधान संपादक तरुण तेजपाल के खिलाफ अपनी एक कनिष्ठ सहयोगी के साथ दुष्कर्म करने का आरोप पत्र दायर कर दिया। 2,846 पृष्ठों के आरोप पत्र में तेजपाल पर यौन उत्पीड़न और नए अपराध कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 के तहत अन्य धाराओं में भी आरोप लगाए गए हैं। पुलिस ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनुजा प्रभुदेसाई की अदालत में आरोप पत्र दायर किया है जिसमें 150 गवाहों और 1400 पृष्ठों की अनुसूचि सौंपी गई।
सौंपे गए दस्तावेजों में स्केच, होटल के बिल, ईमेल से हुए संदेश की सत्यापित प्रतियां, सीसीटीवी की प्रतियां और दंडाधिकारी के समक्ष दर्ज कराई गई शिकायत शामिल हैं। पुलिस सूत्रों ने कहा कि तेजपाल द्वारा महिला पत्रकार और तहलका की पूर्व प्रबंध संपादक शामा चौधरी को भेजे गए दर्जनों ईमेल वास्तव में आरोप पत्र में उल्लेखित आरोप की पुष्टि के लिए महत्वपूर्ण सबूत हैं। तेजपाल के ईमेल के अंश को आरोप पत्र में उद्धृत किया गया है।
आरोप पत्र दायर होने के बाद निरीक्षक सुनीता सावंत, उप महानिरीक्षक ओ.पी. मिश्र ने संवाददाताओं से बताया कि मामला अकाट्य है और उन्हें उम्मीद है कि 16 दिसंबर 2012 के दिल्ली दुष्कर्म के बाद हुए संशोधन के आलोक में मामले की सुनवाई 60 दिनों में पूरी हो जाएगी। मिश्र ने कहा, "विशेष लोक अभियोजक सुनवाई करने वाले न्यायाधीश से रोजाना आधार पर सुनवाई करने का आग्रह करेंगे। भारतीय दंड विधान की धारा 309(1) सुनवाई 60 दिनों में पूरी होनी है।"
सौंपे गए दस्तावेजों में स्केच, होटल के बिल, ईमेल से हुए संदेश की सत्यापित प्रतियां, सीसीटीवी की प्रतियां और दंडाधिकारी के समक्ष दर्ज कराई गई शिकायत शामिल हैं। पुलिस सूत्रों ने कहा कि तेजपाल द्वारा महिला पत्रकार और तहलका की पूर्व प्रबंध संपादक शामा चौधरी को भेजे गए दर्जनों ईमेल वास्तव में आरोप पत्र में उल्लेखित आरोप की पुष्टि के लिए महत्वपूर्ण सबूत हैं। तेजपाल के ईमेल के अंश को आरोप पत्र में उद्धृत किया गया है।
आरोप पत्र दायर होने के बाद निरीक्षक सुनीता सावंत, उप महानिरीक्षक ओ.पी. मिश्र ने संवाददाताओं से बताया कि मामला अकाट्य है और उन्हें उम्मीद है कि 16 दिसंबर 2012 के दिल्ली दुष्कर्म के बाद हुए संशोधन के आलोक में मामले की सुनवाई 60 दिनों में पूरी हो जाएगी। मिश्र ने कहा, "विशेष लोक अभियोजक सुनवाई करने वाले न्यायाधीश से रोजाना आधार पर सुनवाई करने का आग्रह करेंगे। भारतीय दंड विधान की धारा 309(1) सुनवाई 60 दिनों में पूरी होनी है।"
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