छत्तीसगढ़ में 6.5 करोड़ वर्ष पहले पश्चिम भारत में सक्रिय हुए ज्वालामुखी के अवशेष मिले हैं। रायपुर सहित राज्य के आसपास के इलाकों में बोरवेल में निकले पत्थरों के अध्ययन से इस बात की पुष्टि हुई है। इन्हीं पत्थरों के अध्ययन से पता चलता है कि बस्तर में हीरा मिल सकता है। यहां इसके अध्ययन की आवश्यकता है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के भूवैज्ञानिक चेलापति राव ने सोमवार को पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की भूविज्ञान अध्ययनशाला में आयोजित राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में यह बात कही।
भूविज्ञान अध्ययनशाला की ओर से 'रिसेंट रिसर्च इन अर्थ एंड एटमॉस्फेरिक साइंस' विषय पर आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार का उद्घाटन सोमवार को हुआ। इस अवसर पर कश्मीर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. तलत अहमद मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। विशेष अतिथि के रूप में आईएनएसए के प्रोफेसर डॉ. धीरज मोहन बनर्जी थे।
सेमिनार में उपस्थित युवा वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए डॉ. तलत ने कहा कि हिमालय, लद्दाख एवं काराकोरम जैसे क्षेत्रों में प्रचुर मात्रा में खनिज संपदा उपलब्ध है। यहां पर शोध की संभावनाएं भी अधिक हैं। ऐसे में युवा वैज्ञानिकों को इन क्षेत्रों में शोध के लिए आगे आना चाहिए।
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