मुंबई की एक सेशन कोर्ट ने बॉलीवुड के दबंग सलमान खान के खिलाफ 2002 के 'हिट एंड रन' मामले में अभियोजन पक्ष से आज कहा कि वह 25 फरवरी तक दस्तावेजों और गवाहों की अंतिम सूची पेश कर दें, जिससे इस मामले की सुनवाई का कार्यक्रम तय किया जा सके। सलमान के वकील श्रीकांत शिवाडे ने कहा कि वह दस्तावेजों की स्वीकार्यता पर अपना पक्ष 25 फरवरी को दाखिल करेंगे। सत्र न्यायाधीश डी. डब्ल्यू. देशपांडे ने कहा है कि स्वीकार किए जाने वाले दस्तावेजों पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत 25 फरवरी को सुनवाई का कार्यक्रम तय करेगी।
आपको बता दें कि इससे पहले दिसंबर 2013 में मुंबई की सेशन कोर्ट ने सलमान खान को राहत देते हुए उनके खिलाफ ‘हिट एंड रन’ मामले की फिर से सुनवाई करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने इस आधार पर मामले की सुनवाई फिर से कराने के आदेश इसलिए दिए थे, क्योंकि सलमान के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या के आरोप के संबंध में गवाहों से पूछताछ नहीं की गई थी। न्यायाधीश डी. डब्ल्यू. देशपांडे ने मामले की फिर से सुनवाई के लिए सलमान की याचिका पर यह आदेश दिया था। उन्होंने कहा था कि मामले की सुनवाई फिर से की जाएगी, क्योंकि गैर इरादतन हत्या के आरोप में सलमान को गवाहों से जिरह करने का मौका नहीं दिया गया। वैसे, सलमान पर अगर आरोप सिद्ध होते हैं तो उन्हें अधिकतम 10 साल जेल की सजा सुनाई जा सकती है। इस मामले में सभी सबूत और गवाहों की फिर से जांच की जाएगी।
2002 में सलमान खान पर लैंड क्रूजर कार से चार लोगों को कुचलने का आरोप लगा। इस हादसे में एक शख्स की मौत हो गई। आरोप के मुताबिक सलमान नशे में कार चला रहे थे। इस हादसे ने सलमान को पूरी तरह हिला कर रखा दिया था, इतना ही नहीं इसका फर्क उनके फिल्मी करियर पर भी देखने को मिला। ‘हिट एंड रन’ केस के बाद सलमान ने खुद कार चलाना भी बहुत कम कर दिया।
‘हिट एंड रन’ मामले में सलमान की कई बार सुनावाई हो चुकी है। यह मामला एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट जाता रहा है और हमेशा इस बात को लेकर सुनाई होती रही है कि जिस समय हादसा हुआ उस समय सलमान अपनी कार में थे या नहीं। मुंबई पुलिस का कहना है कि उनके पास इस मामले में पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
मोटर वाहन अधिनियम, 1988, सामाजिक विधान का एक अंग है और इसके प्रावधान, सड़क दुर्घटना के पीड़ितों के अधिकारों को संरक्षण प्रदान करने के लिए डिजाइन किए गए हैं, जहां दुर्घटना करने वाले मोटर वाहन की पहचान स्थापित नहीं की जा सकती हो। प्रासंगिक कानूनी प्रावधान, मोटर वाहन अधिनियम की धारा 161 में निहित है, जहां 'हिट एंड रन मोटर दुर्घटना' को ऐसी दुर्घटना के रूप में पारिभाषित किया गया है जो मोटर वाहन के उपयोग के कारण हुई हो और मोटर वाहन की पहचान करने के लिए सभी तर्कसंगत प्रयास करने के बावजूद पहचान सिद्ध नहीं की जा सकी हो। यह स्कीम, 01.10.1982 से लागू हुई।
इस धारा के अनुसार मुआवजे के भुगतान का निम्नानुसार प्रावधान किया गया हैः
किसी हिट एंड रन मोटर दुर्घटना के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर एकमुश्त रु. 25,000 की राशि दी जाती है।
किसी हिट एंड रन मोटर दुर्घटना के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचने पर एकमुश्त रु. 12,500 की राशि दी जाती है।
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