भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के साथ भारत में अमेरिकी राजदूत नैंसी पॉवेल की मुलाकात की घोषणा को मोदी के प्रति अमेरिका के रुख में बदलाव माना जा रहा था। लेकिन अमेरिका ने कहा है कि मोदी और पॉवेल की मुलाकात राजनेताओं से संपर्क के प्रयासों का हिस्सा मात्र है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जेन साकी ने मंगलवार को मोदी के प्रति अमेरिका के रुख में बदलाव के सवाल पर कहा, "जैसा कि आप जानते हैं कि हम अक्सर वरिष्ठ राजनेताओं और व्यवसाइयों से संपर्क करते हैं।"
"हमने महीनों पहले इसकी शुरुआत की थी, जाहिर है कि यह भारत-अमेरिका के संबधों को जारी रखने और उन पर रोशनी डालने के लिए है। हमारी नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है।" गौरतलब है कि 2002 के गुजरात दंगों में मोदी को धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन का जिम्मेदार मानते हुए अमेरिका ने 2005 में मोदी को वीजा देने से मना किया था।
लेकिन मोदी के राष्ट्रीय नेता बनकर उभरने के बाद से अमेरिकी व्यवसायी उनसे संपर्क साधने का प्रयास कर रहे हैं। पिछले साल तीन रिपब्लिकन सांसदों ने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधिमंडल के साथ अहमदाबाद में मोदी से मुलाकात की थी। एक वरिष्ठ राजनयिक भी उस बैठक में शामिल थे। लेकिन अभी तक किसी अमेरिकी राजदूत ने मोदी से मुलाकात नहीं की है। मोदी-पॉवेल की मुलाकात पर भारतीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की प्रतिक्रिया थी कि यह मुलाकात मानवाधिकार मुद्दों से जुड़ी है। इस पर साकी ने कहा, "हम निश्चित तौर पर उस धारणा या दावे का खंडन करते हैं।"
यह पूछने पर कि क्या अमेरिकी रुख में इस बदलाव का, आगामी चुनावों में मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना से कुछ लेना-देना है, साकी ने कहा, "हम चुनावों पर अपने रुख नहीं बदलते और यह इस बात का उदाहरण नहीं है कि हम अपना रुख स्पष्ट कर रहे हैं।" वीजा नीति में बदलाव पर साकी ने कहा, "हमारी लंबे समय से चली आ रही वीजा नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। यह एक सामान्य मुलाकात है। हमारी वीजा नीति में कुछ नहीं बदला है।"
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