पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए तीनों दोषियों की फांसी की सजा उम्रकैद में बदल दी है। तीनों दोषियों संथन, मुरुगन और पेरारिवलन ने दया याचिका में देरी का हवाला देते हुए फांसी की सजा उम्रकैद में बदलने की गुहार लगाई थी।
चीफ जस्टिस पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए तीनों को राहत दे दी। इस खंडपीठ ने संथन, मुरूगन और पेरारिवलन की अपील पर 4 फरवरी को सुनवाई पूरी की थी।
केंद्र सरकार ने इन तीनों दोषियों की याचिका का जोरदार विरोध किया था। केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया था कि दया याचिकाओं के निबटारे में देरी के आधार पर मौत की सजा को उम्र कैद में बदलने का यह उचित मामला नहीं है।
दया याचिकाओं के निबटारे में देरी मानते हुए केंद्र ने कहा था कि यह विलंब अनुचित और बगैर स्पष्टीकरण वाला नहीं है। दूसरी ओर, इन दोषियों के वकीलों ने केंद्र की दलीलों का विरोध करते हुए कहा था कि दया याचिकाओं के निबटारे में ज्यादा देरी होने की वजह से उन्हें बहुत ज्यादा मानसिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा इसलिए सुप्रीम कोर्ट को इसमें दखल देकर उनकी मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करना चाहिए। दोषियों का तर्क था कि उनकी दया याचिकाओं के बाद दया याचिका दायर करने वाले दूसरे कैदियों की याचिका पर तो पहले फैसला हो गया, लेकिन उनकी याचिकाओं को सरकार ने लंबित रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने मई, 2012 में राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की मौत की सजा के खिलाफ दायर याचिकाओं पर विचार करके फैसला करने का निश्चय किया था। सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट को निर्देश दिया था कि तीनों की याचिकाएं उसके पास भेज दी जाएं।
1 टिप्पणी:
राजीव गांधी जी के हत्यारों की सज़ा के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए. निश्चित ही बारह वर्ष तक किसी को मौत के लिए इंतज़ार नहीं कराया जा सकता. यह क्रूरता है. यह फैसला आगे के लिए नजीर भी बनेगा.
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