- झाबुआ जिले की राजनैतिक हलचल
मिशन 2014 को फतह करने के लिए दोनेा प्रमुख राजनैतिक दल भाजपा और कांग्रेस संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं पर अपने अपने अंदाज में डोरे डालते हुए नजर आ रहे है। परंतु इस बार हमारे ब्यूरो चीफ द्वारा ठेट ग्रामीण क्षेत्र से लगाकर शहरी क्षेत्र के मतदाताओं की राजनैतिक इच्छा शक्ति को जानने का प्रयास किया कि वे इस बार क्या चाहते है। अधिकांष ग्रामीण क्षेत्र के आदिवासी मतदाताओ का कहना है कि संसदीय क्षेत्र का दोनेा भूरियाओ ने समुचित विकास करने के लिए कोई सार्थक पहल नही की है अतः आगामी लोकसभा चुनाव में दोनो भूरियाओ को मुक्त कर जिले की राजनीति को एवं संसदीय क्षेत्र को भूरिया मुक्त बनाना चाहिए ।
इसी तर्ज पर शहरी मतदाताअेा का कहना है कि दोनेा भूरिया यू तो राजनैतिक मंच पर एक दुसरे के खिलाफ बयानबाजी कर एक दुसरे के घोर प्रतिद्वंदी होने का नाटक करते है परंतु किसी एक भूरिया पर भी राजनैतिक संकट आता है तो दुसरा भूरिया उसके साथ नजर आता है और संसदीय क्षेत्र की राजनीति में ये दोनो भूरिया भूरियावाद से मुक्त नही होने देना चाहते है वैसे दोनो भूरियाओ ने संसदीय क्षेत्र के सामान्य मतदाताओ के लिए कोई खास काम नही किया है अतः अब संसदीय क्षेत्र केा दोनेा भूरिया से मुक्त करना चाहिए ।
वैसे इन दिना राजनैतिक हलको में भाजपा के भूरिया एवं कांग्रेस के भ्ूारिया द्वारा एक दुसरे पर विकास को लेकर जो आरोप प्रत्यारोप की नौटंकी की जा रही है। इसकी संसदीय क्षेत्र के मतदाताओ में व्यापक स्तर पर चर्चा व्याप्त है वही राजनैतिक गलियारो में भी दोनो भूरियाओ के आरोप प्रत्यारोप की गुंज है ।भाजपा के भूरिया अर्थात दिलीपसिंह वर्तमान सांसद कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया पर संसदीय क्षेत्र के मतदाताओ को गुमराह करने का आरोप लगाकर कहते है कि देष के प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह तत्कालिन रेलमंत्री लालुप्रसाद यादव को झाबुआ लाकर रेल लाने का सब्जबाग दिखाया और कहा कि 2011 में झाबुआ में रेल दोडने लगेगी परंतु रेल के अते पते ही नही है इस तरह क्षेत्र के मतदाताओ को छला है।
तो कांग्रेस के भूरिया पूर्व सांसद भाजपा के दिलीपसिंह भूरिया पर आरोप लगाते है कि क्षेत्र का समुचित विकास दिलीपसिंह भूरिया की गलत नीति के कारण अवरूद्ध हो गया । भाजपा के भूरिया हम पर रेल नही लाने का आरोप लगाते है परंतु वे भुल जाते है कि 1985 में पूर्व प्रधानमंत्री स्व इंदिरागांधी को मेघनगर उद्योगिक क्षेत्र मे ंलाकर संसदीय क्षेत्र के मतदाताओ का बडा आयोजन कर फाइबर प्लास्टिक कारखाना खोलने का उद्योगपति स्वराजपाल को लाकर भुमिपुजन कराया था का क्या हुआ? विषाला उद्योगिक कारखाना खोलने का सब्जबाग आदिवासी मतदाताओ को दिखाया जो आज तक भाजपा के भूरिया नही कर पाए। इसलिए वे किस दम पर हम पर आरोप लगाते है ।
वैसे दोनो भूरियाओ का ये आरोप प्रत्यारोप का द्वंद जैसे जैसे लोकसभा चुनाव की तिथी निकट आती जायेगी बढता जायेगा। मतदाताओ के अनुसार दोनो भूरिया अपनी तीव्र आर्थिक महत्वकांक्षाओ के चलते एवं दोनो दलो के कार्यकर्ताओ को घुमराह करते रहते है देखने में आता है कि पिछले लोकसभा चुनाव में जब भाजपा की ओर से दिलीपसिंह भूरिया के लोकसभा की टिकट अपरिहार्य कारणो से कट गई थी उस समय भाजपा प्रत्याषी के रूप् मे रेलम चैहान लोकसभा चुनाव के मैदान में थी उस समय भाजपा जीतने की स्थिती में थी परंतु भाजपा के भूरिया अर्थात दिलीपसिंह कांतिलाल भूरिया के पाले में नजर आए और रेलम को हराने के लिए जो प्रयास इनके द्वारा किए गए वे विभिन्न समाचार पत्रो में समय समय पर उजागर भी हुए है इस आधार पर कहा जा सकता है कि यदि इस बार फिर दिलीपसिंह भूरिया की अपरिहार्य कारणो से टिकट कट जाती है तो क्या ये अपने पुराने इतिहास केा दोहरायेगें यह राजनैतिक गलियारो में चर्चा है।
वैसे दोनो दल अपने अपने मंचो से तो वर्गवाद के खिलाफ बयानबाजी करते हुए नजर आते है पंरतु वास्तविकता कुछ ओर है देखने में आ रहा है कि अपनी अपनी राजनैतिक महत्वकांक्षा की पुर्ति के लिए दोनेा भूरिया वर्गवाद को भी बढाते नजर आ रहे है। इन दोनेा भूरियाओ की समान राजनैतिक जंग को अब संसदीय क्षेत्र के मतदाता समझने लगे है इसलिए संसदीय क्षेत्र के मतदाताओ का रूझान और अभिव्यक्ति खुल कर सामने आ रही है उसके अनुसार अब भूरिया मुक्त संसदीय क्षेत्र को चाहते है अतः दोनेा प्रमुख राजनैतिक दलो के नीति निर्धारको को क्षेत्र के मतदाताओ के भावनाओ का भी सम्मान करते हुए आगामी लोकसभा चुनाव में प्रत्यासी चयन के लिए पहल करना चाहिए?
---अनिल श्रीवास्तव---
झाबुआ
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