झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की विधायक और पार्टी अध्यक्ष शिबू सोरेन की पुत्रवधु ने मंगलवार को अदालत में समर्पण कर दिया जहां से उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। 2012 के विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले में झारखंड उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद सीता सोरेन ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत में समर्पण किया। अदालत ने उन्हें एक सप्ताह के भीतर समर्पण करने का निर्देश दिया था।
वर्ष 2010 और 2012 के विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में सीबीआई ने 23 से अधिक विधायकों के आवास पर छापेमारी की। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की झारखंड इकाई ने हालांकि आरोप लगाया है कि 2012 के विधायक खरीद-फरोख्त मामले में लिप्त झामुमो, कांग्रेस एवं अन्य कई विधायकों को सीबीआई बचा रही है।
भाजपा विधायक रघुबर दास ने आईएएनएस से कहा, "हम 2012 के विधायक खरीद-फरोख्त मामले की जांच के लिए विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित करने की मांग करते हैं और चाहते हैं कि जांच की निगरानी झारखंड उच्च न्यायालय करे। सीबीआई कांग्रेस की जांच एजेंसी की तरह काम कर रही है।"
30 मार्च 2012 को राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव में आयकर विभाग के दस्ते ने एक वाहन से 2 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि जब्त की थी। वह वाहन निर्दलीय प्रत्याशी आर. के. अग्रवाल के किसी रिश्तेदार की बताई गई थी। बाद में चुनाव आयोग ने 'विधायकों की खरीद-फरोख्त और मतदाताओं को लुभाने के लिए पैसे का खेल' होने को ध्यान में रखते हुए चुनाव निरस्त कर दिया था।
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