सर्वोच्च न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड के शेष चार दोषियों की रिहाई पर भी गुरुवार को रोक लगा दी है। अदालत ने कहा है कि फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील किए जाने के बाद सजा भुगतने वाले कैदियों को सजा में छूट देने के बारे में वह प्रक्रिया का निर्धारण करेगी। इससे पहले राजीव हत्याकांड के तीन प्रमुख साजिशकर्ताओं की रिहाई पर शीर्ष अदालत 20 फरवरी तक रोक लगा चुकी है।
मामले के जिन चार दोषियों को तमिलनाडु सरकार ने रिहा करने का प्रस्ताव किया था और गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगाया है उनमें जयकुमार, रॉबर्ट पायस, पी. रविंचंद्रन ओर एस. नलिनी हैं। प्रधान न्यायाधीश पी. सतशिवम, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एन. वी. रमण की पीठ ने कहा, "हमारी चिंता यह नहीं है कि राज्य उन्हें रिहा करने जा रहा है या नहीं, बल्कि हर राज्य को नियम और कायदे का ध्यान रखना होगा। हम उचित प्रक्रिया का निर्धारण करेंगे।"
तमिलनाडु सरकार द्वारा पेश किए गए दोषियों की रिहाई के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी.सतशिवम की पीठ ने केंद्र सरकार की याचिका पर छह मार्च को सुनवाई के निर्देश दिए हैं। अपने आदेश को और स्पष्ट करते हुए प्रधान न्यायाधीश सतशिवम ने कहा, "हमारा इरादा उनकी रिहाई रोकना नहीं है। हम सिद्धांत तय करना चाहते हैं जिसका सभी राज्यों को पालन करना होगा।"
उन्होंने कहा, "हम इस फैसले (फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने) के लिए जवाबदेह हैं। हम इस समस्या को एक सप्ताह के भीतर सुलझा देंगे।" इस बात का संकेत देते हुए कि तमिलनाडु सरकार ने सजा में छूट देने का फैसला लेने में अपनी शक्ति का हड़बड़ी में प्रयोग कर लिया, प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "सबसे पहले कैदी को सजा में छूट का आवेदन देना होगा, उसके बाद सरकार द्वारा कोई फैसला लेने से पहले उसे उपयुक्त न्यायालय के समक्ष पेश किया जाना चाहिए।"
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