सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय को गिरफ्तार करने के लिए गैर जमानती वारंट जारी किए जाने के बाद गुरुवार शाम को सुब्रत राय के घर पहुंची लखनऊ पुलिस की टीम बैरंग लौट गई। लखनऊ पुलिस की एक टीम यहां गोमती नगर इलाके में स्थित सहारा प्रमुख के घर 'सहारा शहर' में पहुंची। पुलिस अधीक्षक (गोमती पार) हबीबुल्ला हसन के नेतृत्व में पुलिस की टीम सहारा शहर के अंदर करीब साढ़े चार बजे शाम में घुसी और करीब डेढ घंटे बाद बाहर निकली। हसन ने बाहर आकर संवाददाताओं को बताया, "घर में सुब्रत नहीं मिले। उनकी मां व अन्य परिजनों से मुलाकात हुई। उन्होंने कहा कि सुब्रत कहां हैं उन्हें नहीं पता है। घर के अंदर डॉक्टर भी थे।"
पुलिस का अगला कदम क्या होगा इस सवाल पर हसन ने कहा, "इसका जवाब वरिष्ठ पुलिस अधिकारी देंगे।" सुब्रत के घर के अंदर जाने से पहले हसन ने कहा था, "सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उन्हें गिरतार करने के आदेश का पालन किया जाएगा।" सुब्रत राय के सर्वोच्च न्यायालय में व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित नहीं होने के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को उनके विरुद्घ गैर-जमानती वारंट जारी किया और अदालत के आदेश का पालन करने के लिए चार मार्च तक की मोहलत दी।
अदालत ने इससे पिछली सुनवाई में राय को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया था, लेकिन वह पेश नहीं हुए थे। न्यायमूर्ति क़े एस़ राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति ज़े एस़ खेहर की पीठ ने कहा, 'हम सुब्रत राय सहारा को गिरतार करने के लिए गैर जमानती वारंट जारी करते हैं। उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा और चार मार्च को दो बजे दिन में इस अदालत में उनकी पेशी होगी।'
अदालत वरिष्ठ वकील रामजेठमलानी के तर्क से प्रभावित नहीं हुई कि राय की 94 वर्षीय माता की हालत गंभीर है और राय उनके पास रहने के लिए गए हैं। जेठमलानी ने कहा, "उनकी माता मर रही हैं। वह उनके साथ हैं, उनका हाथ थामे हैं।" सवाल उठ रहा है कि अगर सुब्रत के वकील ने कहा कि वह अपनी बीमार मां के साथ हैं तो वह घर में लखनऊ पुलिस को मां के साथ क्यों नहीं मिले?
सर्वोच्च न्यायालय ने 20 फरवरी को राय को और सहारा इंडिया रियल एस्टेट कारपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) तथा सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) के तीन निदेशकों-अशोक राय चौधरी, रवि शंकर दूबे और वंदना भार्गव-को 26 फरवरी को अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया था।
राय और तीनों निदेशकों को इसलिए व्यक्तिगत रूप से अदालत में पहुंचने का निर्देश दिया गया था, क्योंकि सहारा की कंपनियां निवेशकों से वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर के जरिए जुटाई गई 24 हजार करोड़ रुपये की राशि में से 19,000 करोड़ रुपये की राशि चुकाने के लिए गारंटी के रूप में सेबी के पास बिना कर्ज वाली संपत्ति का मालिकाना हक जमा करने में असफल रही है। सहारा ने हालांकि दिसंबर 2012 में सेबी के पास 5,120 करोड़ रुपये जमा कर दिए थे।
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