तेजाब हमलों को रोकने की मुहिम छेड़ने वाली भारतीय युवती लक्ष्मी को अमेरिका के प्रतिष्ठित इंटरनेशनल वुमन ऑफ द करेज अवार्ड प्रदान किया गया है। स्टॉप एसिड अटैक कैंपेन की सदस्य लक्ष्मी खुद तेजाब हमले का शिकार हो चुकी हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से आयोजित एक समारोह में दिल्ली की लक्ष्मी ने मिशेल ओबामा के हाथों पुरस्कार ग्रहण किया। उनके साथ नौ और साहसी महिलाओं ने भी यह पुरस्कार अर्जित किया। इनमें फिजी की भारतीय मूल की रोशिका देव भी हैं।
लक्ष्मी तब महज 16 साल की थीं, जब नई दिल्ली के व्यस्त खान मार्केट के पास बस स्टैंड पर एक व्यक्ति ने उनके चेहरे पर तेजाब फेंक दिया था। हमलावर और कोई नहीं उसके बड़े भाई का एक दोस्त था। लक्ष्मी ने उसके शादी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था, जिसका बदला लेने के लिए उसने 2005 में इस खौफनाक वारदात को अंजाम दिया। विदेश विभाग ने बयान में कहा, 'तेजाब हमले की शिकार महिलाएं दोबारा सामान्य जिंदगी शुरू नहीं कर पाती हैं। वे पूरी जिंदगी विकृत चेहरे को छिपाती रहती है। वे स्कूल, कॉलेज या नौकरी पर जाना छोड़ देती हैं। सार्वजनिक रूप से लोगों से घुलना मिलना छोड़ देती हैं। कुछ आत्महत्या का रास्ता चुन लेती हैं। लक्ष्मी ने इसे नहीं छिपाया। उसने दुनिया का सामना किया।'
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