कनाडा ने यूक्रेन में रूस के सैन्य हस्तक्षेप पर कड़ा रुख अपनाते हुए जी-8 से रूस को बाहर करने की आंशका जताई है। दूसरी तरफ अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने भी रूस के जी-8 में बने रहने पर सवालिया निशान खड़े किए हैं। लेकिन, रूस अपने सख्त रूख पर कायम है। उसने चेतावनी दी है कि यूक्रेन या तो हथियार डाले या युद्ध के लिए तैयार रहे।
कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन से एक बार फिर यूक्रेन से अपनी सेना वापस बुलाने की पुरजोर अपील की गई है। पुतिन की इस कार्रवाई से रूस के राजनयिक और आर्थिक रूप से दुनिया भर में अलग-थलग पड़ने की स्थिति कायम हो गई है। इस कार्रवाई के चलते रूस को ग्रुप आठ से भी बाहर किया जा सकता है।
हार्पर के प्रवक्ता की ओर से जारी बयान में बताया गया कि हार्पर ने यूक्रेन के प्रधानमंत्री आर्सेनी येत्सेनयुक से बात कर उन्हें कनाडा की ओर से मदद की पेशकश की है। इसके अलावा कनाडा की संसद ने यूक्रेन में रूस के सैन्य हस्तक्षेप पर निंदा प्रस्ताव भी पारित किया है। प्रस्ताव में रूस को यूक्रेन से अपनी सेना वापस बुलाने को कहा गया है।
इधर, यूक्रेन में सैन्य हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुये अमेरिका ने रूस के साथ सभी सैन्य संबंध फिलहाल टाल दिए हैं। पेंटागन द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि फिलहाल रूस के साथ प्रस्तावित सभी सैन्य अभ्यास और एक दूसरे के बंदरगाहों पर आने जाने के कार्यक्रम को टाल दिया गया है। पेंटागन के प्रवक्ता एडमिरल जान किर्बी ने कहा कि अमेरिका ने रूस से अपील की हैं कि यूक्रेन के संकट को शांत करने की कोशिश करे और रूस के काला सागर बेड़े को नियंत्रित करने वाले समझौते के अनुरूप क्रीमिया से अपनी सेना को वापस बुलाये।
इस घटनाक्रम के बीच, रूस ने कहा है कि यूक्रेन के पूर्व राष्ट्रपति यानुकोविच ने क्रीमिया में सेना भेजने का अनुरोध किया था। संयुक्त राष्ट्र में मौजूद रूसी दूत ने सोमवार को कहा कि क्रीमिया में अभी 16 हजार के करीब रूसी सेना मौजूद है। उनकी सेना क्रीमिया में शांति, कानून और संविधान की रक्षा के लिए तैनात की गई है। गौरतलब है कि विक्टर यानुकोविच को यूक्रेन में भगोड़ा घोषित कर दिया गया है। उनके नाम वारंट जारी हो चुका है।
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