तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने सोमवार रात कांग्रेस के साथ विलय से इंकार किया और आगामी लोकसभा चुनाव में गठबंधन करने को लेकर कोई वादा करने से भी इंकार कर दिया। टीआरएस की महासभा की बैठक में यह फैसला किया गया कि अगर कोई पार्टी गठबंधन के लिए कहती है तो फिर इस मुद्दे पर विचार करने के लिए टीआरएस के वरिष्ठ नेताओं की एक समिति का गठन किया जाएगा।
टीआरएस का यह फैसला कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है क्योंकि वह लोकसभा की 17 और विधानसभा की 117 सीटों पर नजर बनाए हुए है। पार्टी प्रमुख क़े चंद्रशेखर राव ने बैठक के बाद कड़े रुख का संकेत दिया। बैठक में फैसला किया गया कि वरिष्ठ नेताओं की एक समिति किसी दल द्वारा गठबंधन के लिए संपर्क किए जाने की स्थिति में इस मुद्दे पर विचार करेगी।
राव ने केंद्र और कांग्रेस के रुख की आलोचना करते हुए कहा कि आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक पर राष्ट्रपति की अनुशंसा से पहले ही संप्रग सरकार आंध्र को विशेष दर्जा देने के लिए अध्यादेश लेकर आ गई जबकि नए राज्य तेलंगाना को इससे वंचित कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि यह एक अलोकतांत्रिक कदम था जिसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जाएगी। कांग्रेस के साथ विलय के संदर्भ में पिछले साल उनकी ओर से दिए गए बयान के बारे में पूछे जाने पर राव ने कहा कि उन्होंने यह भरोसा उस स्थिति के लिए दिया था जब तेलंगाना का गठन बिना शर्त किया जाता। राव ने केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश के उस कथित बयान को लेकर आलोचना की जिसमें कहा गया था कि टीआरएस दूसरी आम आदमी पार्टी बन जाएगी।
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