रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के साथ गठबंधन के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बिहार इकाई में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इसकी झलक भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की मुजफ्फरपुर में सोमवार को आयोजित 'हुंकार रैली' में साफ दिखाई दी। भाजपा के कई वरिष्ठ नेता न केवल मंच से गायब थे, बल्कि रैलीस्थल पर भी कहीं नहीं दिखाए दिए। हालांकि भाजपा के कोई नेता अब तक स्पष्ट रूप से इस मामले पर खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं। वैसे कुछ लोग इसे लोकसभा के टिकट से भी जोड़कर देख रहे हैं। मुजफ्फरपुर में मोदी की हुई रैली में भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सी़ पी़ ठाकुर, पूर्व मंत्री अश्विनी चौबे, पूर्व मंत्री गिरिराज सिंह और अच्युतानंद सिंह समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल नहीं हुए।
पार्टी के एक नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि अब तो मोदी (नमो) की हवा चल रही है, तब भाजपा के कई नेता इस तरह तरफदारी में लग गए हैं जैसे वही नमो के सबसे बड़े पक्षधर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब बिहार के मंत्रिमंडल में अश्विनी चौबे और गिरिराज सिंह थे, तब भी उन्होंने खुलकर नमो का पक्ष लिया था और आज भी ले रहे हैं, जबकि कई ऐसे अवसरवारदी नेता हैं जो बिहार में मंत्री पद पर रहकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद के योग्य बताते थे। पार्टी नेता ने कहा कि सी.पी. ठाकुर भी नमो का खुलकर समर्थन करते रहे हैं, लेकिन अब ऐसे लोगों की उपेक्षा हो रही है।
वैसे गिरिराज सिंह ने नाराजगी को नकारते हुए कहा कि कहीं कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा, "मैं तो नमो की अगवानी करने पटना हवाईअड्डे पर गया था।" लोजपा के साथ गठबंधन पर उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य नमो को प्रधानमंत्री बनाना है, इसके अलावा और कुछ नहीं है। लोकसभा टिकट के विषय में पूछने पर सिंह ने कहा कि पार्टी अगर बेगूसराय से टिकट देगी तब वह जरूर लड़ेंगे।
इधर, नाराज नेताओं का यह कहना है कि लोजपा के साथ गठबंधन के बाद उन्हें भाजपा समर्थक सवर्ण मतदाताओं के नाराज होने की आशंका है। वैसे अश्विनी चौबे भागलपुर से और अच्युतानंद वैशाली के टिकट के दावेदार हैं।
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