लंदन के ग्रेट अरमंड स्ट्रीट अस्पताल के डॉक्टरों ने इंसान के शरीर के वसा (फ़ैट) से स्टेम सेल निकालकर उससे चेहरा विकसित करने की योजना बनाई है. डॉक्टरों की एक टीम ने प्रयोगशाला में कार्टिलेज़ यानी नरम हड्डी विकसित कर लिया है. माना जा रहा है कि इसका उपयोग कान और नाक बनाने में किया जा सकता है.
'नैनोमेडिसिन' नाम की विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में डॉक्टरों ने कहा है कि यह तकनीक इलाज के क्षेत्र में क्रांतिकारी क़दम साबित हो सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में अभी और काम करने की ज़रूरत है. डॉक्टर इसके ज़रिए क्लिक करें 'माइक्रोटिया' जैसी समस्या का इलाज करना चाहते हैं, जिसमें इंसान के कान का बाहरी हिस्सा ठीक से विकसित नहीं हो पाता है.
अभी 'माइक्रोटिया' के इलाज के लिए बच्चों की पसलियों से कार्टिलेज लेकर डॉक्टर कोमलता से उससे कान बनाते हैं और उसे बच्चे में प्रत्यारोपित करते हैं. इसके लिए कई तरह के ऑपरेशन की ज़रूरत होती है, जो सीने पर घाव के स्थायी निशान छोड़ जाते हैं. वहीं पसलियों से निकाले गए कार्टिलेज की कभी भरपाई भी नहीं हो पाती है.
डॉक्टरों की इस टीम ने एक विकल्प पर ध्यान दिया, वह यह था कि वसा का एक छोटा सा टुकड़ा बच्चे के शरीर से निकाला जा सकता है. इस टुकड़े से क्लिक करें स्टेम सेल निकालकर उसे विकसित किया जा सकता है. कान के आकार के एक ढांचे को स्टेम सेल के घोल में रखा जाएगा. इससे कोशिका ठीक उसी प्रकार का आकार लेगी, जैसा ढांचा डाला गया है. इस प्रक्रिया में रसायनों का उपयोग स्टेम सेल को कार्टिलेज सेल में विकसित करने में किया जाएगा. बच्चे के कान को आकार देने के लिए इसे त्वचा के नीचे प्रत्यारोपित किया जा सकता है.
शोधककर्ता एक ढांचे में कार्टिलेज विकसित करने में सक्षम हैं. लेकिन इसे किसी मरीज़ में प्रत्यारोपित करने से पहले यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि यह सुरक्षित है या नहीं. इस शोध में शामिल डॉक्टर पैट्रिज़िया फ़ेरेटी ने बीबीसी से कहा, ''यह वास्तव में रोमांचक है कि हमारे पास इस तरह की कोशिकाएं हैं जिनसे ट्यूमर होने की संभावना न हो, जिन्हें उसी मरीज़ में डाला जा सकता है ताकि इम्यूनसिस्टम इसमें अड़चन न डाले, इसलिए हम वह काम कर सकते हैं, जो करना चाहते हैं.'' इस नई तकनीक से 15 साल के सैमुअल क्लॉम्पस जैसे रोगियों को फ़ायदा मिल सकता है, जिनका कान सुधारने के लिए ऑपरेशन करना पड़ा है. उनकी माँ सू ने कहा कि उनका परिवार इस तकनीक का स्वागत करता है. वो कहती हैं, ''अब सैमुअल को वहां एक घाव है. यह बहुत ही असुविधाजनक स्थिति थी.''
इस नई तकनीक का प्रयोग नाक जैसे अंगों के लिए ऊतक या टिश्यू तैयार करने के लिए कार्टिलेज बनाने में किया जा सकता है, जो कैंसर के ऑपरेशन के दौरान क्षतिग्रस्त हो सकती है. डॉक्टरों ने कहा है कि वो इसी तरह की शुरुआती सामग्री की मदद से हड्डी भी बना सकते हैं. पैट्रिज़िया फ़ेरेटी कहते हैं, ''ज़ाहिर है कि हम इसकी शुरुआत में हैं. अगला क़दम सामग्री के चयन का होगा और इसे विकसित करेंगे.''
इस अध्ययन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज के प्रोफ़ेसर मार्टिन बिरचाल ने कहा, ''अगर आपके पास कुछ है, जो वास्तव में पुनरोत्पादक है, तो वह परिवर्तनकारी होगा.'' प्रोफ़ेसर मार्टिन बिरचाल प्रयोगशाला में विकसित की गई श्वासनली के प्रत्यारोपण के लिए हुए ऑपरेशन में शामिल थे. उन्होंने कहा कि वसा पर आधारित इस तकनीक को अपनी अंतिम अवस्था में पहुंचने के लिए और सुरक्षा परीक्षणों की ज़रूरत होगी.
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