पटना। मुख्यमंत्री सत्याग्रह करने वालों को तवज्जों नहीं देते हैं। सत्याग्रह करने वालों से संवाद भी करना नहीं चाहते हैं। इसका नतीजा सामने है। आंदोलन करने वालों का मनोबल घटता ही चला जाता है। अब खुद मुख्यमंत्री आंदोलन की राह पर चल पड़े हैं।
अगर कोई मुख्यमंत्री सत्याग्रह करना शुरू कर दें। तब शुभ सकेंत होता है कि यह मुख्यमंत्री जनता और राज्य के प्रति वफादार है। तब जाकर लोग स्नेह करने लगते हैं। आपने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को ही देख लें। जनता से पूछ कार्य किया करते थे। मानों जनता के ही होकर रह गए। लोकपाल को विधान सभा में नहीं रख पाने और लागू न कर सकने के कारण गद्दी छोड़ गए। इसमें हमारे मुख्यमंत्री नीतीश बाबू पीछे हैं। एक तो मुख्यमंत्री होकर विशेष राज्य का दर्जा दिलवाने की मांग पर आंदोलन करने पर उतारू हैं।
अपना बिहार के नीतीश बाबू ने राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिलवाने की मांग को लेकर सत्याग्रह किए। खुद गांधी मैदान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सत्याग्रह कर रहे हैं। इसके पहले बिहार बंद की पूर्व संध्या पर थाली पीटे। इसके पहले शनिवार की सुबह राज्य भर में प्रभात फेरी निकाली और शाम सात बजे थाली पीटा गया। मुख्यमंत्री ने खुद अपने आवास के बाहर आकर पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ थाली पीटे।
फेसबुक पर एक दिन में 8 मित्रों के मुंह पर ताले लगाने वाली चांदनी अग्रवाल कहती हैं कि इस तरह के बिहार बंद से कुछ नही होगा नीतीश बाबू । हिम्मत है तो एक दिन फेसबुक पर हड़ताल और बंद करवा के देखिये । कैसे तुरंत विशेष राज्य का दर्जा मिलता है । वहीं बिहार की जनता मुख्यमंत्री के साथ नहीं हैं। कारण कि मुख्यमंत्री जी सूबे की जनता की समस्याओं के निराकरण करने के लिए जनता दरबार लगाते हैं। मुख्यमंत्री के जनता दरबार में जनता से मिलते और जनता की समस्याओं को दूर करने का आदेश निर्गत करते। वहां पर क्या होता है। आवेदन लिए जाते हैं। कम्प्यूटर में लॉड करते और संबंधित विभाग के अधिकारी के पास अग्रसारित कर देते। आप पटना आए तो अब जिले के दफ्तर में चक्कर लगाए।
मुख्यमंत्री जी बहुत ही ताव में भूमि सुधार आयोग बनाए। आयोग के अध्यक्ष डी.बंधोपाध्याय ने अनुशंषा करके मुख्यमंत्री को सुपुर्द कर दिए। मगर मुख्यमंत्री अनुशंषा को लागू करने के बदले रद्दी नौकरी को सुपुर्द कर दिए। इस तरह के मुख्यमंत्री को कौन सपोर्ट करेगा? एक बार कहते हैं कि केन्द्र सरकार ने बिहार को विशेष का दर्जा मिल गया है। मिठाई बांटी गयी। तो फिर आंदोलन करने की जरूरत क्या है?
आलोक कुमार
बिहार
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