साल 2005 से पहले जारी नोट अब एक जनवरी 2015 तक बदले जा सकेंगे। यह जानकारी आज जारी भारतीय रिजर्व बैंक के एक बयान से मिली। रिजर्व बैंक ने जनवरी के आखिर में 2005 से पहले जारी नोटों के वापस लिए जाने की घोषणा की थी और कहा था कि यह कदम जाली नोटों को प्रचलन से हटाने की एक कवायद है। उन्होंने कहा था कि 2005 के बाद जारी नोटों में सुरक्षा की बेहतर व्यवस्था है।
राजन ने कहा था कि इस कदम का मकसद मुद्रा को प्रचलन से हटाना नहीं है। यह सिर्फ कम प्रभावी नोट को हटाकर अधिक प्रभावी नोट को प्रचलन में लाने के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि 2005 के बाद जारी नोटों के पिछले हिस्से में प्रकाशन वर्ष काफी महीन अक्षरों में अंकित है, जिसकी नकल आसानी से नहीं की जा सकती है।
राजन ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने काफी पहले इसके लिए सिफारिश की थी। इसे बस लागू अब किया गया है। उन्होंने यह भी कहा था कि इसका संबंध चुनाव से नहीं है। आरबीआई ने जनवरी में जारी बयान में कहा था कि 31 मार्च 2014 के बाद (आरबीआई) 2005 के पहले जारी सभी बैंक नोटों को वापस ले लेगा। एक अप्रैल 2014 के बाद से लोगों को उन नोटों को बदलने के लिए बैंक जाना होगा।
आरबीआई ने आम लोगों से अनुरोध किया कि परेशान न हों और वापसी प्रक्रिया में मदद करें। बहरहाल रिजर्व बैंक ने सोमवार को फिर से एक बयान जारी कर नोट वापस लिए जाने की तिथि को आगे खिसका कर एक जनवरी 2015 कर दी। बैंक के इस बयान के बाद आम आदमी अब एक जनवरी 2015 तक बिना चिंता किए इन नोटों का प्रयोग कर सकेंगे।
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