गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने पत्रकारों की शिक्षा और वित्तीय स्थिति पर एक सप्ताह पहले दिए अपने बयान पर मंगलवार को अफसोस जाहिर किया। गोवा यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (जीयूजे) के अध्यक्ष किशोर नाइक गाओनकर को लिखे पत्र में पर्रिकर ने कहा कि जब उन्होंने बयान दिया था, उनका मतलब सूचना का सही तरह प्रसार करने से था और उन्होंने कहा था कि जिन संवाददाताओं की खबरें समाचार पत्रों में प्रकाशित होती हैं, वे सामान्य लोग और आमतौर पर स्नातक होते हैं और उनकी खबरों को लेकर अपनी समझ होती है।
पर्रिकर ने कहा, "मेरा मकसद किसी का अपमान करना नहीं था और न ही मेरा मकसद किसी भी मीडियाकर्मी को कलंकित करना था। हालांकि, अगर इस घटना से किसी को दुख पहुंचा है तो मैं अफसोस जाहिर करता हूं।" 23 फरवरी को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में पर्रिकर ने कहा था, "एक संवाददाता की तनख्वाह कितनी है? एक समाचार वाचक कितना कमाता है? शायद 25,000 रुपये। ज्यादातर स्नातक होते हैं। वे महान विचारक और बुद्धिजीवी नहीं होते। वे वैसी ही खबर लिखते हैं, जैसा समझते हैं।" पर्रिकर ने कहा कि गोवा में पेड न्यूज का प्रसार बढ़ा है और लोग पैसे लेकर लिख रहे हैं।
उनके इस बयान की काफी आलोचना हुई थी और कांग्रेस के एक नेता ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से उनकी शिकायत की थी। जीयूजे ने भी इस बयान पर आपत्ति जताते हुए विरोध जताया था और इसके सदस्यों ने विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन काला फीता लगाया था। गाओनकर ने कहा, "मुख्यमंत्री के अफसोस जाहिर करने के बाद हम विरोध समाप्त कर देंगे।"
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