उत्तराखंड़ में मुख्यमंत्री बदलने से बदले लोकसभा के समीकरण
देहरादून, 1 मार्च । महीनो से चल रही कुर्सी की खींचतान में मुख्यमंत्री विजय पराजित हो गए और मुख्यमंत्री का ताज पाने में केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत सफल हो गए। कांग्रेस के नेतृत्व परिवर्तन ने प्रदेश में लोकसभा चुनाव के समीकरणों को भी बदल कर रख दिया है। इस परिवर्तन से जहां कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में नये उत्साह का संचार हुआ है वहीं मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी को भी अपनी लोकसभा चुनाव की रणनीतियों को परिवर्तित करने पर विवश होना पड़ा है। भाजपा ने हरीश रावत की प्रदेश में लोकप्रियता और जमीन से जुड़ाव को देखते हुए उत्तराखंड का राज्य चुनाव प्रभारी मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को बनाया है। भाजपा को विश्वास है कि उमा भारती की उत्तराखंड की भौगोलिक सिथतियों की जानकारी और लंबे अर्से से जुड़ाव का लाभ आम चुनाव 2014 में पार्टी को मिल सकता है। हालांकि इससे पहले उमा भारती स्वयं हरिद्वार लोकसभा सीट चुनाव से लड़ने का संकेत दे चुकी थी। लेकिन अब उनके चुनाव प्रभारी बनने से स्पष्ट है कि इस सीट पर भाजपा का कोर्इ अन्य नेता ही फार्इट करेगा। बताते चले कि उत्तराखंड राज्य में लोकसभा की कुल पांच सीटें है जिनके नाम क्रमश: टिहरी,पौड़ी गढ़वाल,अल्मोड़ा,हरिद्वार और नैनीताल है। टिहरी से पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा सांसद थे लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इससे त्यागपत्र दे दिया और अपने बेटे साकेत बहुगुणा को उप चुनाव लड़ाया जिसमें उन्हें भाजपा की महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह से मुंह की खानी पड़ी और ये लोकसभा सीट भाजपा के खाते में चली गर्इ। पौड़ी गढ़वाल सीट से कांग्रेस के सतपाल महाराज सांसद है। नैनीताल सीट पर कांग्रेस के ही केसी सिंह बाबा सांसद है जबकि हरिद्वार सीट से वर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत स्वयं और अल्मोड़ा सीट पर मुख्यमंत्री के करीबी कांग्रेसी प्रदीप टम्टा सांसद है। आम चुनाव 2009 में कांग्रेस प्रदेश की पांचो लोकसभा सीट पर जीत दर्ज कर इंतिहास बना दिया था और भाजपा का सूपड़ा साफ कर दिया था। इसके चलते तत्कालीन भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी को अपना मुख्यमंत्री पद भी छोड़ना पड़ा था। उन पर संगठन और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप लगा था और पांचों सीटें हारने का जिम्मेदार भी माना गया था। लेकिन इस बार सिथति बिल्कुल उलट है। राज्य में कांग्रेस की सरकार है। जैसे 2009 में भाजपा गुटबाजी और आपसी कलह का शिकार थी ठीक वैसे ही इस बार यहां कांग्रेस में गुटबाजी और आपसी कलह चरम पर है। इसी गुटबाजी और आपसी कलह के चलते मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को बिना किसी गंभीर आरोप के अपने पद से हटना पड़ा है। विगत दो साल से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और जितने भी चुनाव हुए है उसमें उसे बुरी तरह से हारना पड़ा है। पहले मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा द्वारा खाली की गर्इ लोकसभा सीट पर उनका बेटा हारा फिर बाद में प्रदेश में हुए नगर निगम चुनाव में पार्टी की बुरी तरह हार हुर्इ। प्रदेश की छह में से पांच नगर निगमों पर भाजपा ने जोरदार जीत दर्ज की जबकि एक पर भाजपा का बागी उम्मीदवार जीता। इन परिणामों ने मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की कुर्सी की चूलें हिला दी थी और अन्तत: उन्हें हटना पड़ा। अब राज्य के मुखिया बने है हरीश रावत और उन पर लोकसभा चुनाव में पार्टी की इज्जत बचाने की जिम्मेदारी आन पड़ी है। हालांकि रावत राजनीति में मंझे हुए खिलाड़ी माने जाते है लेकिन जिस तरह से पिछले दिनों उनके नाम चयन को लेकर केन्द्रीय पर्यवेक्षकों के सामने विधायकों ने उनका विरोध किया और आधे घंटे में होने वाले फैसले को लेने में सात घंटे से अधिक का समय लगा उससे स्पष्ट है कि आने वाले चुनाव में कांग्रेस के लिए कोर्इ सकारात्मक परिणाम लाना मुख्यमंत्री के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण होगा। लोकसभा सीटों की दृषिट से देखे तो टिहरी से पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा अपने बेटे साकेत के लिए फिर से टिकट मांग रहे है जबकि उनके बेटे के प्रति राज्य के आम लोगों में बेहद गुस्सा है। यदि उनको ये सीट मिलती है तो उनकी हार भी तय मानी जा रही है। पौड़ी सीट पर सतपाल महाराज का लड़ना तय है लेकिन उनके सामने इस बार भाजपा के कददावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी भाजपा से चुनाव लड़ सकते है यदि ऐसा हुआ तो उनको विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के बतौर चुनाव हराने वाली जनता की सहानुभूति मिलनी तय मानी जा रही है इसके साथ ही केन्द्रीय कांग्रेस सरकार के खिलाफ बना माहौल भी सतपाल महाराज के खेल को बिगाड़ सकता है। हरिद्वार में भी भाजपा की सिथति मजबूत मानी जा रही है क्योंकि यहां साधु सन्यासियों की संख्या ज्यादा है जिन पर मोदी का भगवा रंग चढ़ा हुआ है। वैसे यहां मुख्यमंत्री हरीश रावत अपनी पुत्री अनुपमा रावत या बेटे आनन्द रावत को भी चुनाव लड़ाने की जुगत में है यदि मुख्यमंत्री का कोर्इ परिजन चुनाव लड़ता है तो मुकाबला रोचक होगा। यहां से भाजपा के पूर्व केन्द्रीय गृहराज्य मंत्री रहे स्वामी चिन्मयानन्द और पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक व पूर्व विधायक सुरेश जैन और पूर्व प्रदेश संगठन मंत्री नरेश बंसल भी दावेदारी जता रहे है। चारों ही दावेदार वर्तमान में प्रदेश के मजबूत नेताओं में गिने जाते है। नैनीताल से इस बार भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी और गदरपुर से विधायक अरविंद पांडे के नामों पर विचार कर रही है। कोश्यारी वर्तमान में राज्यसभा के सदस्य है और उनका कार्यकाल सितंबर में समाप्त हो रहा है। कोश्यारी को प्रदेश के सर्वाधित जमीनी पकड़ वाले नेता की हैसियत प्राप्त है तो अरविंद पांडे तीन बार से विधानसभा का चुनाव जीतने के चलते अपनी दावेदारी को मजबूत मान रहे है। इनकी तुलना में वर्तमान में कांग्रेस सांसद राजा केसी सिंह बाबा इस बार काफी कमजोर माने जा रहे है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि केन्द्र और राज्य में कांग्रेस सरकार के खिलाफ जो एंटी इंकबेसी फैक्टर है वह बाबा की राह की बड़ी रूकावट बन सकता है। इसी तरह अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर भाजपा इस बार पिछड़े वर्ग से आने वाले अपने सोमेश्वर से तीसरी बार विधायक अजय टम्टा को उतारने पर विचार कर रही है। अजय टम्टा अल्मोड़ा के निचले तबके के साथ ही सवर्णो में भी अपनी गहरी पैठ रखते हंै जबकि कांग्रेस सांसद प्रदीप टम्टा की नजदीकी मुख्यमंत्री से ज्यादा है इसलिए मुख्यमंत्री के कि्रयाकलापों का उनके चुनाव पर भी खासा असर पड़ने वाला है। एक दूसरी लेकिन अत्यन्त महत्वपूर्ण बात यह है कि कांग्रेस राज्य की सत्ता में काबिज है लेकिन आपस में बुरी तरह बंटी हुर्इ है। नेतृत्व परिवर्तन से यह तो जरूर बदलाव हुआ है कि पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की उपेक्षा से परेशान आम कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में नये जोश का संचार हुआ है लेकिन सतपाल महाराज और विजय बहुगुणा के समर्थक अभी से हरीश रावत की सरकार को असिथर करने में जिस तरह से लगे है उससे पूरी उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव में भी यह आपसी गुटबाजी थमने वाली नहीं है जिसका पूरा खामियाजा कांग्रेस को ही उठाना पड़ेगा। दूसरी तरफ भाजपा एक तो सत्ता से बाहर है इसलिए उसके साथ एंटीइंकबेसी फैक्टर जैसा कोर्इ मामला नहीं है। दूसरा गत दिनों चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में पार्टी की जोरदार जीत ने कार्यकर्ताओं में भी उत्साह फूंका है। इसके साथ ही पार्टी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की पिछले दिनों देहरादून में हुर्इ शंखनाद रैली ने भी पार्टी को अपनी जीत के प्रति आश्वस्त किया है। इसपर उमा भारती जैसी कुशल संगठनकर्ता के चुनाव प्रभारी बनने का भी भाजपा को पूरा लाभ मिलने की संभावना है। बताते चले कि कांग्रेस में गुटबाजी विधानसभा चुनाव के बाद ही उभर कर सामने आ गर्इ थी। क्योंकि विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक केन्द्रीय जलसंसाधन मंत्री और राज्य की राजनीति में अपना की गहरी पैठ रखने वाले हरीश रावत गुट के विधायक जीत कर आए थे लेकिन सतपाल महराज और विजय बहुगुणा ने आपस में मिलकर हरीश का पत्ता काट दिया था। विधानसभा चुनाव में बहुमत के लिए किसी भी पार्टी को कुल 70 विधानसभा सीटों में से 36 हासिल करना अनिवार्य था लेकिन कांग्रेस को मिली 32 जबकि मुख्य विपक्षी भाजपा ने सबको चकित करते हुए 31 सीटें हथिया ली थी। चुनाव में तीन निर्दलीय और एक क्षेत्रीय पार्टी उत्तराखंड क्रांति दल को मिली थी जबकि 03 सीटे बहुजन समाज पार्टी को मिली थी। इसमें जो तीन निर्दलीय जीते थे वे तीनों ही कांग्रेस के बागी थे। देवप्रयाग विधानसभा से जीते मंत्री प्रसाद नैथानी सतपाल महाराज के समर्थक है तो लालकुंआ विधानसभा से इंदिरा हृदयेश के करीबी हरीशचंद दुर्गापाल ने विजय हासिल की थी,टिहरी से निर्दलीय के तौर पर दिनेश धनै ने बाजी मारी थी। इस चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। सबको लगा कि अब प्रदेश की बागडोर हरीश रावत को ही मिलेगी लेकिन एक सप्ताह तक चले रस्साकसी में मुख्यमंत्री की कुर्सी हथियाने में बहुगुणा सफल रहे। हालांकि उस समय हरीश रावत ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी लेकिन आला कमान के आदेश के आगे उनकी नहीं चली और मुख्यमंत्री की कुर्सी बहुगुणा ले उड़े। उस समय प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी के तौर पर हरियाणा से राज्यसभा सांसद चौधरी वीरेन्द्र सिंह काम देख रहे थे। चौधरी वीरेन्द्र से बहुगुणा की नजदीकी मानी जाती थी। हरीश समर्थकों का कहना है कि उन्होंने आलाकमान को गुमराह किया और बताया कि प्रदेश के सभी विधायक बहुगुणा के समर्थन में है। इस तरह से हरीश का मामला लटक गया। दूसरी तरफ हरीश रावत के नाम पर सतपाल महाराज भी राजी नहीं थे। उनके समर्थक मंत्री प्रसाद नैथानी भी बहुगुणा के साथ थे। उस समय बहुगुणा की कमजोर सिथति इस बात से समझी जा सकती है कि वे मुख्यमंत्री बन तो गए लेकिन उनको विधायक बनने के लिए कौन सीट छोड़े यह तय नहीं हो पाया। अन्त में उन्होंने धनबल का प्रयोग कर भाजपा के सितारगंज से विधायक किरण मंडल से इस्तीफा लिया और उस सीट पर विधायक निर्वाचित हुए। मुख्यमंत्री के खिलाफ झंडा उठाए लोगों ने उनको कमजोर करने के लिए उनके द्वारा खाली की गर्इ टिहरी लोकसभा उपचुनाव में उनके बेटे साकेत बहुगुणा को हरा कर उनको कमजोर साबित करने की सफल कोशिश की। हालांकि हरीश रावत ने उसके बाद विधायको की संख्या के आधार पर दबाव बनाया और अपने एक रिश्तेदार को राज्यसभा भेजवाया और दूसरे रिश्तेदार को विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी दिलार्इ। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने रावत की सभी मांगे तो मानी लेकिन अन्दरखाने रावत गुट के विधायको ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा जारी रखा। इसी बीच प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में आर्इ प्राकृतिक आपदा ने मुख्यमंत्री की कुर्सी एक बार फिर से हिला दी। प्राकृतिक आपदा में मुख्यमंत्री की लापरवाही ने तो अपने विधायको को भी नाराज होने पर मजबूर कर दिया। आपदा के बाद राहत कार्यो में जिस तरह की लापरवाही मुख्यमंत्री की तरफ से की गर्इ उसने विजय बहुगुणा के सिंहासन को हिलाकर रख दिया। धीरे धीरे जहां बहुगुणा के खिलाफ राष्ट्रीय मीडिया ने मोर्चा खोला वहीं उनके अपने समर्थको ने भी उन पर आक्रोश जताया। इन सब गतिविधियों ने बहुगुणा का चेहरा बिगाड़ कर रख दिया। ये सब परेशानियां झेल रहे बहुगुणा के सामने बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने देहरादून में रैली कर और बड़ी कठिनार्इ खड़ी कर दी। इस रैली में जिस तरह की भारी भीड़ उमड़ी उसने कांगे्रस आलाकमान के भी कान खड़े कर दिए। कुछ ही महीनों में लोकसभा चुनावों का सामने करने जा रही पार्टी के लिए बहुगुणा को बनाए रखने पर पुनर्विचार करना मजबूरी बन गर्इ। अभी पार्टी आलाकमान बहुगुणा की रिपोर्ट ले ही रहा था कि कर्इ चैनलों के सर्वेक्षणों में आए परिणाम ने कांग्रेस आलाकमान की नींद उड़ा दी। इन सर्वेक्षणों में बताया गया कि जो माहौल इस समय प्रदेश में है उससे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने वाला है। उधर जैसे जैसे बहुगुणा के खिलाफ मामला बनता गया वैसे वैसे कांग्रेस ने प्रदेश में उनका विकल्प ढूढना शुरू कर दिया। इस बीच बहुगुणा ने सरकार को समर्थन दे रहे पीडीएफ के विधायको के माध्यम से आलाकमान पर दबाव भी बनाया लेकिन बहुगुणा की कुर्सी खिसकने की निशिचतता को देखते हुए अन्त में पीडीएफ ने भी कह दिया कि वो तो सरकार के साथ है मुख्यमंत्री के नहीं मुख्यमंत्री कोर्इ भी बने उससे उन्हें कोर्इ मतलब नहीं।
प्राकृतिक मौसम ठंडा,राजनीतिक पारा चढ़ा
देहरादून, 1 मार्च, । प्रदेश में प्राकृतिक मौसम ने आश्चर्यजनक करवट ली है और लगातार तीसरे दिन जारी भारी बरसात और बर्फबारी ने राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों समेत मैदानी स्थानों पर भी लोगों को ठिठुरने पर मजबूर कर दिया है। वहीं लोकसभा चुनावों के कम होते दिनों के साथ ही राजनीतिक लोगों के दिलों की धड़कने बढ़ती जा रही है जिससे राजनीतिक तापमान का पारा चढ़ान पर है। बात करते है पहले प्राकृतिक मौसम की। राज्य में पिछले तीन दिनों से बरसात का क्रम जारी है जिससे प्रदेश का जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। लगातार बारिश से प्रदेश के पर्वतीय अंचलों में जगह जगह बर्फबारी के सामचार है जबकि मैदानी जिलों बारिश की वजह से ठंड बढ़ने से जनजीवन अस्तव्यस्त होने की जानकारी मिल रही है। राज्य के गढ़वाल और कुमाउ मंडलों में कर्इ स्थानों पर भारी बर्फबारी से जगह जगह रास्ते बंद होने और ठंड के बढ़ने की सूचना के साथ फसलों को भी नुकसान पहुंचने की सूचना मिली है। उधर मौसम विभाग के सूत्रों ने अगले दो दिनों तक मौसम के इसी तरह बने रहने के संकेत दिए हैं। दूसरी तरफ राज्य के राजनीतिक जगत में लोकसभा चुनावों की हलचलों के चलते राजनीतिक पारे के चढ़ने की सूचना मिल रही है। सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस ने जहां चुनावी रफतार पकड़ ली है वहीं मुख्य विपक्षी भाजपा भी चुनावी ज्वार में तपने लगी है। पार्टी के सभी नेताओं को लग रहा है कि वह मोदी की लोकप्रियता की आंधी और कांग्रेस की केन्द्र सरकार और राज्य सरकार की विफलताओं की आड़ में उपजे जनाक्रोश का लाभ लेकर संसद का सफर तय कर सकते है इसलिए हर स्तर के नेता पार्टी सिंबल पर चुनावी समर में उतरने के लिए साम दाम दंड भेद के सभी जुगाड़ लगाने में व्यस्त है। उधर दिल्ली में सत्ता पाने से उत्साहित आम आदमी पार्टी भी कांग्रेस भाजपा के चुनावी गणित को बिगाड़ने में लगातार लगी हुर्इ। पार्टी के कर्ताधर्ताओं ने लोगों को भाजपा और कांग्रेस की कमियों को बताने का अभियान छेड़ा हुआ है। लेकिन दिल्ली की सत्ता को छोड़कर भागने वाले आपा के शीर्ष नेता अरविंद केजरीवाल को लेकर लोगों के मन में आम आदमी पार्टी के लिए गुस्सा है। जगह जगह आपा के सदस्य लोगों को अरविंद केजरीवाल के लिए फैसलों को जनहित में उठाया कदम समझाने की कोशिश करते दिखार्इ देते हैं। दूसरी तरफ भाजपा ने भी नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के अपनी योजना के तहत मोदी चाय चौपाल चर्चा और एक नोट एक वोट का अभियान छेड़ा हुआ है। इसके माध्यम से भाजपा के कार्यकर्ता आमजन से व्यकितगत संपर्क साधकर उन्हें मोदी के प्रधानमंत्री बनने का फायदे गिनाते देखे जा रहे है। उधर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने भी अपनी उपसिथति लोकसभा चुनाव में दर्ज कराने की कोशिश प्रारंभ कर दी है। इसके तहत एनडी तिवारी विचार मं चनामक गैरराजनीतिक संगठन ने जानकारी देते हुए बताया है कि एनडी तिवारी लोकसभा चुनावों में अपनी उपसिथति दर्ज कराएंगे। इसके तहत श्री तिवारी आगामी 03 मार्च से अपने प्रभाव क्षेत्र नैनीताल लोकसभा सीट का दौरा कर लोगों से मुलाकात करेंगे। तिवारी विचार मंच से प्राप्त जानकारी के प्रकाश में प्रदेश के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि एनडी तिवारी इस लोकसभा चुनाव में अपनी महत्ता कांग्रेस आलाकमान को बताने की ठान ली है। यदि कांग्रेस ने उनको गंभीरता से नहीं लिया तो वे कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में परेशानी में डाल सकते है। इस तरह देखे तो प्रदेश में प्राकृतिक मौसम के पारे में गिरावट के साथ राजनीतिक पारा अपने उफान पर है।
उत्तराखण्ड को खिलाडि़यों के पसंदीदा स्थल के रूप में उभारने की होगी कोशिश: मुख्यमंत्री
देहरादून, 1 मार्च,(निस) । खेल की भावना का जीवन में होना भी जरूरी है। खेल से ना केवल अनुशासन आता है बलिक इससे व्यकितत्व में भी निखार आता है। फ्रीमा गोल्फ कोर्स, आर्इएमए में दूसरे सारा गर्वनर गोल्फ टूर्नामेंट का उदघाटन करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सरकार प्रयास कर रही है कि उत्तराखण्ड को खिलाडि़यों के पसंदीदा स्थल के रूप में उभारा जा सके। देहरादून के अलावा कुछ अन्य स्थलों पर भी खेल आयोजन की योजना तैयार की जाएगी। इसमें कारपोरेट सोशियल रेस्पोंसिबिलिटी के तहत औधोगिक संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने टूर्नामेंट में भाग लेने वाले खिलाडि़यों के उत्साह की सराहना की। ले.जन. मानवेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री, अन्य विशिष्टगणों व प्रतिभागियों का स्वागत किया। बताया गया कि दूसरे सारा गर्वनर गोल्फ कप टूर्नामेंट में 110 खिलाड़ी प्रतिभाग कर रहे हैं। इसका आयोजन फ्रीमा गोल्फ कोर्स व सारा ग्रुप के संयुक्त तत्वाधान में किया जा रहा है। इस आयोजन को इंडियन गोल्फ यूनियन द्वारा भी मान्यता दी गर्इ है। इस अवसर पर केबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल, सारा ग्रुप के चेयरमैन विजय धवन, ले.जन (से.नि.) टीपीएस रावत व अन्य गणमान्य मौजूद थे।
जिलाधिकारी ने किया मेला अस्पताल व जिला महिला अस्पताल का निरीक्षण
हरिद्वार, 1मार्च (निस)। जिलाधिकारी डी सेंथिल पांडियन ने मेला अस्पताल एवं जिला महिला अस्पताल का निरीक्षण किया। मेला चिकित्सालय के निरीक्षण के दौरान उपसिथत डाक्टरों को निर्देश देते हुए कहा कि अस्पताल में साफ-सफार्इ,दवार्इयां व डाक्टराें की उपसिथति अनिवार्य रूप से होनी चाहिये। मलिन बस्तीयों में टीम बनाकर नियमित रूप से टीकारण करवायें तथा डेंगू की समस्या को देखते हुये ब्लड बैंक हेतु सेंप्रेशन उपकरण यथाशीघ्र लगवाएं तथा इस सन्दर्भ में ब्यापक कार्ययोजना बनाकर तैयार करें। जिलाधिकारी ने जिला महिला चिकित्सालय में मरीजों से अस्पताल में मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी 108 एम्बुलेंस, भोजन, टिकाकरण दवार्इयां आदि के बारे मे पूछने पर एक महिला ने बताया कि हम अपने घर से आटो आये है पर जिलाधिकारी ने उपसिथत डाक्टरों को निर्देश दिये कि मरिजो को मिलने वाली समस्त सुविधाओं की एक गार्डलाइन होनी चाहिये। समस्त मरिजों को अवगत कराया जाए कि 108 एम्बुलेंस सेवा नि:शुल्क उपलब्ध है इसका लाभ अस्पताल में आने जाने वाले मरिजों का मिलता है। इसके लिए मैनेजर की ब्यवस्था होनी चाहिये जो समस्त सुविधाओं का प्रचार-प्रसार व्यापक रूप से करे। उन्होने कहा कि पूर्व के निरीक्षण के बाद अब चिकित्सालय की व्यवस्थाओंं में काफी सुधार हुआ है। बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा जगह व स्टाफ की कमी बताये जाने पर जिलााधिकारी ने फोन द्वारा निमार्णाधीन अस्पताल के निमार्ण कर्ता एजेन्सी को निर्देश दिये कि माह मर्इ से पहले भूतल एवं प्रथम तल का निर्माण हो जाना चाहिये। उन्होन कहा कि डाक्टरों की कमी को देखते हुये संविदा पर नियुकित की जायेगी तथा जो काम बजट के अभाव में रूके है उनका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जायेगा साथ ही सुरक्षा की दृषिट से दो पी.आर.डी.तथा दो होमगार्ड के जवान भी चिकित्सालय में तैनात करने के निर्देश भी जिलाधिकारी ने दिये। निरीक्षण के दोरान चिकित्सालय के अधिकारी,कर्मचारी, नरेश चौधरी आदि उपसिथत थे।
रक्तदान संकल्प व यूथ सर्वे का विमोचन
देहरादून, 1 मार्च (निस) । युवा कल्याण विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तकें रक्तदान संकल्प युवा संकल्प तथा यूथ सर्वे पुस्तक 2012-13 का विमोचन कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल द्वारा आज एक स्थानिय होटल में किया गया। इस कार्यक्रम में उपसिथत लोगों को सम्बोधित करते हुए मंत्री दिनेश अग्रवाल ने कहा कि रक्त का कोर्इ विकल्प नही है। इस नाते स्वैचिछक रक्तदान को और अधिक बढावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुस्तक में रक्त एवं उससे सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारियों के माध्यम सेे जन सामान्य तक इसकी महत्ता को बढाने का प्रयास किया गया है। उन्होने कहा कि युवा देश का भविष्य है और हमारा युवा यदि सही दिशा मेंं जायेगा तो निश्चत ही देश का विकास होगा और देश स्र्वणीम युग मेें जायेगा। कहा कि हमें युवाओं और उनकी मन सिथति व भावनाओं को समझने का प्रयास करना चाहिए।उन्होने कहा कि युवा सर्वे में युवाओं से जूड़ी बातों को संकलित कर तैयार किया गया है। इस अवसर पर सचिव खेल कूद एवं युवा कल्याण डा. अजय कुमार प्रधोत ने कहा कि देश में आज भी 70 प्रतिशत आबादी युवाओं की है, तथा सभी विकसित देश युवाओं के बल पर आगे बड़े है। युवाओं को रक्तदान के प्रति जागरूक होकर आगे आने के साथ ही अन्य नागरिकों को भी रक्तदान के प्रति जागरूक करना होगा तभी हमारा देश वास्तव में एक विकासशील देश कहलाएगा। इस अवसर पर ऐकडमी आफ मैनेजमैन्ट स्टडी के यूनिट हैड एस.एन. जोशी, युवा कल्याण के उप निदेशक राकेश चन्द्र डिमरी उप निदेशक खेल अजय अग्रवाल सहायक निदेशक शकित सिंह, जयराज सहित भारी संख्या में युवा वर्ग, राष्ट्रीय सेवा योजना के कैडैट व विभिन्न विधालयों से आये छात्र,छात्राएं भी उपसिथत थे।
प्रदेश भर के कारखानों में 4 मार्च को होगी गोष्ठी
देहरादून, 1 मार्च (निस)। कारखाना, ब्वायलर्स के उप निदेशक आर.के.सिंह ने उत्तराखण्ड राज्य में समस्त कारखानों के प्रबन्धकों को आगामी 4 मार्च को अपने-अपने कारखानों में नियोजित श्रमिकों को उनके कारखानें में होने वाली सम्भावित दुर्घटनाओं से बचने के लिए कारखानों में सेमीनार, गोष्ठी का आयोजन करने व सुरक्षा स्लोगन, बैनर एंव सुरक्षा से सम्बनिधत पोस्टर आदि लगा कर कारखानें में नियोजित श्रमिकों को सुरक्षा की व्यापक जानकारी दिया जाने के निर्देश दिये ताकि कारखानों में प्रभावी सुरक्षा व्यवस्था सुनिशिचत की जा सके।
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