प्रदेश की विलुप्त होती शिल्प कला को बचाने हेतु राज्य में बनेगा अंर्तराष्ट्रीय शिल्प संस्थानः हरीश रावत
देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पहाड¨ं में म©जूद बेशुमार लेकिन विलुप्त ह¨ती जा रही शिल्पकलाओं क¨ पुनर्जीवित करने का बीडा उठाते हुए 100 कर¨ड़ रुपये की शुरुआती निघि से एक अन्र्तराष्ट्रीय ख्याति का संस्थान ख¨लने के प्रस्ताव मंजूरी दी है जिसका लक्ष्य प्रारंभिक द¨ वर्षो में ही दस हजार हुनरमंद लोगों को विकसित करने का है। एक मुलाकात में मुख्यमंत्री रावत ने बताया कि उनकी प्राथमिकता छ¨टे-छ¨टे प्रयास¨ं द्वारा स्थानीय स्तर पर ही र¨जगार के अवसर सृजित करने की है और इसी कड़ी में शिल्पकलाओं के पुर्नजीवन के लिये बागेश्वर जिले में उस स्थान पर संस्थान बनाया जायेगा जहां प्रसिद्ध शिल्पी हरिराम टम्टा का जन्म हुआ था। पत्थर¨ं क¨ अनूठे ढ़ंग से आपस में ज¨ड. कर मकान बनाने की पहाड़¨ं शैली, पत्थर और काष्ठ पर नक्काशी, लकड़ी के र्बतन बनाने की कला जैसी पहाड़¨ं की अनगिनत शिल्पकलाओं का उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, इन प्राचीन विद्याओं क¨ ल¨ग आजकल छ¨ड़ते जा रहे हैं. इन्हें पुर्नजीवित कर हम हुनरमंद पैदा कर सकते हैं। रावत ने कहा कि इस संस्थान के जरिये पहाड़¨ं के विलुप्त ह¨ते जा रहे ढ़¨ल तथा अन्य वाद्ययंत्र¨ं क¨ भी पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जायेगा. उन्ह¨ंने कहा कि हैदराबाद में स्थित इसी प्रकार की एक संस्था से प्रेरित ह¨कर बनाये जाने वाले इस संस्थान क¨ स्थापित करने के लिये धन की कमी आडे नहीं आने दी जायेगी और इसके लिये केंद्र से भी मदद मांगी जायेगी। मुख्यमंत्री रावत ने उम्मीद जतायी कि इस संस्थान के खुलने के द¨ र्वष के भीतर विभिन्न कलाओं के कम से कम 10000 मिस्त्री तथा अन्य शिल्पी पैदा ह¨ जायेंगे ज¨ भविष्य में आर्किटेक्ट का पेशा भी अपना सकते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्थान के प्रशिक्षण में क©न-क©न सी शिल्प तथा कलाओं क¨ शामिल किया जाये, इसके लिये कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य की अध्यक्षता में एक 11 सदस्यीय समन्वय समिति बनायी गयी है जिसमें द¨ पूर्व आईएएस भी बत©र सदस्य शामिल किये गये हैं. हरीश रावत ने कहा, पहाड़¨ं में दलित¨ं के गांव के गांव खाली ह¨ना एक चिंता का विषय है और इन शिल्पकलाओं के जरिये र¨जगार पैदा ह¨ने से पलायन की समस्या पर भी नियंत्रण ह¨ पायेगा. चीड. के पेड़¨ं से हर साल जंगल¨ं में आग लगने और वातावरण खराब ह¨ने पर चिंता व्यक्त करते हुए रावत ने कहा कि इस समस्या पर लगाम लगाने के लिये उन्ह¨ंने वन विभाग क¨ खेती करने वाले ल¨ग¨ं क¨ भीमल और बांस के पेड¨ं की प©द्य मुफ्त में बांटने क¨ कहा है. रावत ने कहा कि चार साल तक पेड. की देखभाल करने वाले ल¨ग¨ं क¨ न केवल उससे चारापत्ती और लकड़¨ं जैसे सभी लाभ मिलेंगे बल्कि चार साल बाद सरकार उसे 100 रुपये प्रति पेड़ के हिसाब से ग्रीन बोनस भी देगी. इससे अलावा, जंगल¨ं में चीड़ के स्वतः उगने वाले पेड़¨ं की संख्या में भी कमी आयेगी. मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि कम उंचाई वाले क्षेत्र¨ं में भीमल और बांस की जगह पर नींबू और अखर¨ट और उससे भी नीचे आम के वृक्ष लगाये जा सकते हैं जिससे बंदर¨ं तथा अन्य जंगली जानवर¨ं के आबादी वाले इलाक¨ं में आने की समस्या भी दूर ह¨गी. रावत ने कहा कि अगर ये प्रयास 25 फीसदी भी सफल ह¨ जाये त¨ न केवल स्थानीय स्तर पर एक आर्थिक चक्र विकसित ह¨ जायेगा बल्कि ल¨ग¨ं का झुकाव खेती और पशुपालन की तरफ ह¨ जायेगा और पलायन भी रुकेगा. पहाड़¨ं में बेम©समी सब्जिय¨ं के उगने की खासियत का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर राज्य में भी सब्जियों को क्लस्टर के रुप में उगाया जायेंगा. उन्ह¨ंने कहा कि प्र¨टेक्टेड क्लस्टर के रुप में उगायी जाने वाली इन सब्जिय¨ं की देखरेख के लिये एक ग्राम च©कीदार की व्यवस्था की जायेगी जिसे 100 रुपये दिये जायेंगे। उन्ह¨ंने कहा कि मंडुए जैसे पहाड़ी अनाज¨ं के उत्पादन क¨ भी बढ़ावा दिया जायेगा और यह फैसला लिया गया है कि इससे शराब बनाने वाले उद्यमिय¨ं क¨ प्रदेश में 25 फीसदी बिक्री अधिकार दे दिये जायेंगे. पहाड़¨ं में रहने वाले ल¨ग¨ं के स्वास्थ्य क¨ दवाइय¨ं की बजाय सेहतमद खाना खिलाकर ठीक रखने की वकालत करते हुए मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि वह राशन की दुकान¨ं के जरिये गेंहूं, चावल और चीनी के अलावा एक किल¨ मंडुआ, एक किल¨ काला भट्ट और द¨ किल¨ नमक भी प्रदान किया जायेगा. उन्ह¨ंने कहा कि इससे पहाड़¨ं में रहने वाले ल¨ग¨ं क¨ आयरन तथा आय¨डीन की समस्या से न केवल निजात मिलेगी बल्कि दवाइय¨ं पर ह¨ने वाले सरकारी व्यय क¨ भी 50 फीसदी तक कम किया जा सकेगा।
गंगा जीवन की शुद्धता का प्रतीक: सुशील कुमार शिंदे
- गंगा का उपयोग योग के लिए हो भोग के लिए नहींः हरीश रावत
देहरादून, 02 मार्च, (निस)। रविवार को परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में आयोजित अन्र्तराष्ट्रीय योग महोत्सव को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने कहा कि गंगा जीवन की शुद्धता का प्रतीक है। हमारा कर्तव्य है कि हम गंगोत्री से गंगा सागर तक की इसकी स्वच्छता का ध्यान रखें। उन्होंने कहा उत्तराखण्ड में हाल ही में आयी आपदा के कारण पूरे देश को धक्का लगा है। उन्होंने कहा कि आपदा के दौरान वे स्वयं गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ क्षेत्र गये और वहां की तबाही को अपनी आंखों से देखा। आपदा से हुए नुकसान के लिए पुननिर्माण के लिए प्रधानमंत्री को रिपोर्ट सौंपी जिसके लिए प्रधानमंत्री ने प्रदेश को एक हजार करोड़ की सहायता स्वीकृत की। उत्तराखण्ड अपने पुराने स्वरूप में शीघ्र लौटे इसके लिए प्रयास किये जा रहे हैं। केन्द्रीय गृह मंत्री श्री शिंदे ने उत्तराखण्ड के सीमान्त क्षेत्रों को सम्पर्क मार्ग से जोड़ने तथा टनकपुर जालजीवी तक सड़क निर्माण के लिए सहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि गंगा की स्वच्छता के लिए एवं हिमालयी पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए हमारे सभी शंकराचार्य, सन्त महात्मा लगे हुए हैं। गंगा पर बड़े बांध न बने इसके लिए सरकार ने भी सन्तों की बात को ध्यान में रखते हुए लोहारी नागपाला जैसे प्रोजेक्टों पर काम रोक दिया है। उन्होंने कहा कि परमार्थ निकेतन में आयोजित इस योग शिविर में आये विश्वभर के प्रतिनिधि मास्टर ट्रेनर बनकर अपने-अपने देशों में योग के प्रचार-प्रसार में भागीदारी निभायेंगे तथा गंगा को साफ रखने का सन्देश देंगे। उन्होंने क्लीन गंगा अभियान के लिए स्वामी चिदानन्द सरस्वती मुनि के प्रयासों की सराहना की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड के सन्त हमारे ब्रान्ड ऐम्बेस्डर हैं। जो देश व दुनिया की योग व गंगा का सन्देश देते आये हैं। उन्होंने कहा कि गंगा हमे मानवता का सन्देश देती है। इसकी पवित्रता के लिए हम सभी को योगदान देना होगा। गंगा यमुना की पवित्रता से हमारे जीवन की पवित्रता जुड़ी है। उन्होंने कहा कि गंगा हमें जीवन का संदेश देती है। सर्वधर्म सम्भाव का भी संदेश देती है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि गंगा हमारी सभ्यता व संस्कृतियों को जोड़ने का कार्य करती है। हमें गंगा के प्रेम के संदेश को आत्मसात करना होगा। उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश को पिछले वर्ष गंगा की नाराजगी का सामना करना पड़ा। हम मां गंगा से ही प्रदेश के पुननिर्माण के लिए आगे का रास्ता मांग रहे हैं। हमारे सभी तीर्थ गंगा व यमुना के किनारे स्थित हैं। देश दुनिया के करोड़ों लोगों की आस्था गंगा पर है। उनके विश्वास से हम उत्तराखण्ड को 16 जून 2013 से पूर्व की स्थिति में लाने में सफल होंगे। इसमें केन्द्र सरकार का भी आशीर्वाद हमारे साथ हैं। मुख्यमंत्री रावत ने गंगा की पवित्रता बनाये रखने की अपील करते हुए कहा कि वे स्वयं अप्रैल में प्रदेश के नदियों की किनारे पैदल यात्रा कर नदियों की पवित्रता के लिए जन जागरण में सहयोगी बनेंगे। उन्होंने कहा कि गंगा का उपयोग योग के लिए हो भोग के लिए नहीं। उन्होंने गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे का काली नदी के किनारे टनकपुर से जौलजीवी तक सड़क निर्माण एवं प्रदेश के सीमान्त क्षेत्रों को जोड़ने के लिए सम्पर्क मार्ग निर्माण की स्वीकृति के लिए उनका आभार व्यक्त किया। श्री स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने इस अवसर पर भारत भूमि को ‘पीस आॅफ लैण्ड’ की बजाए ‘लैण्ड आॅफ पीस’ की संज्ञा दी। उन्होंने राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से हो रहे बदलाव के इस समय में प्रेम, शान्ति, साम्प्रदायिक एकता एवं वैश्विक भाईचारे को बहुत जरूरी बताया। श्री स्वामी जी के आह्वान पर सभी योगगुरुओं, योगाचार्यों एवं योग प्रशिक्षणार्थियों ने ‘योगीज फाॅर गंगा’ का उद्घोष किया और गंगा सहित विभिन्न नदियों एवं अपने-अपने देश की नदियों के लिए काम करने का आह्वान किया। उन्होंने दुनिया भर की धरती को हरीतिमा से भर देने की अपील भी की। इस अवसर पर अन्तरराष्ट्रीय योग महोत्सव से सम्बन्धित पुस्तिका का भी विमोचन किया गया।
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