आलेख : मीटर लगवाने की मांग पर किराए में दस गुना इज़ाफा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 29 अप्रैल 2014

आलेख : मीटर लगवाने की मांग पर किराए में दस गुना इज़ाफा

जम्मू एवं कष्मीर के क्षेत्र पीर पंजाल को आज विकास की दौड़ में हर तरह से नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। सरकार ने एक हद तक कोषिष की है और कर भी रही है कि वह अपनी सभी जनता को मूलभूत सुविधाएं जैसे पानी, बिजली, दवा और अस्पताल मुहैया कराए। किसी भी लोकतंत्र की निर्वाचित सरकार की पहली कोषिष होती है कि वह अपनी जनता की मूलभूत समस्याओं का बेहतर हल तलाष करे। इसके  लिए सरकार अरबों रूपये खर्च कर रही है। आज के चुनावी दौर में अलग अलग राजनीतिक पार्टियां जनता को खासकर मतदाताओं को अपने करीब करने के लिए अपने रिपोर्ट कार्ड में तरह तरह के दावे कर रहीं हैं। लेकिन ज़मीनी सतह पर अगर इसका जायज़ा लिया जाए तो सच्चाई यह है कि आज भी बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं जो मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं, जिनमें जम्मू एवं कष्मीर का सीमावर्ती जि़ला पुंछ भी षामिल है। 

electricity bill
पुंछ हेडक्र्वाटर से तकरीबन 30 किलोमीटर की दूरी पीर पंजाल के दामन में स्थित सुरनकोट तहसील, बिजली की समस्या से दो चार है। तेज़ी से तरक्की करते इस दौर में आज भी यहां बिजली के हालात ऐसे हैं कि बिजली यहां कभी कभी देखने को मिलती है। क्षेत्र में जिन लोगों के यहां बिजली के मीटर नहीं हैं, उनका बिल एक ही फार्मूले के आधार पर 365 रूपये वसूला जाता है। जबकि इलाके के प्रभुत्वकारी लोग बगैर मीटर के 108 रूपये अदा करते हैं। सुऱनकोट तहसीलदार चैधरी मोहम्मद नवाज़ के मुताबिक ‘‘ डुगड़ा और पषाना मेें किराया बगैर मीटर के 8 और 10 रूपये आता है।’’  अगर हम केंद्र सरकार की ‘‘राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना’’ पर एक नज़र डालें तो इसके तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों को मुफ्त बिजली मुहैया करना इसका मिषन है। देष भर के ग्रामीण क्षेत्रों में ‘‘ राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना’’ के तहत सभी गांवो और बस्तियों में बिजली पहुंचाना, गांव की सभी जनता को बिजली मुहैया कराना और गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों को मुफ्त बिजली देना ष्षामिल है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए केंद्र सरकार 90 प्रतिषत और राज्य सरकार 10 प्रतिषत खर्च करेगी। 
           
ज़ाहिर सी बात है कि संसार की कोई भी सरकार जनता को जो भी सुविधा मुहैया कराती है, इसके लिए जनता को कुछ न कुछ ज़रूर दिया होता है ताकि यह सुविधा बराबर समय पर मिलती रहे। इसी तरह बिजली की सुविधा हासिल करने के बदले में जनता को पैसे अदा करने होते हैं। देष के दूसरे हिस्सों में बिजली विभाग जनता से पैसे हासिल करने के लिए मीटर का इस्तेमाल करती है ताकि जिसने जितनी बिजली खर्च की हो उसे उतनी ही कीमत अदा करनी पड़े। लेकिन अफसोस की बात यह है कि देष में कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें मीटर के बगैर हज़ारों में किराया अदा करना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर सुरनकोट बस स्टैंड के पास स्थित गैलेक्सी इंटरनेट कैफे के मालिक सज्जाद अहमद खटाना के मुताबिक, आज तक हम बिजली न मिलने के बावजूद हर महीने 365 रूपये किराया अदा करते हैं। लेकिन जब हमने बिजली विभाग के अधिकारियों से बात की कि हमें मीटर दिया जाए तो उनका कहना था, जिस कंपनी के मीटर हम इस्तेमाल करते थे, इनमें खामी थी कि यह मीटर कुछ कम रीडिंग देते हैं, जिसका उद्देष्य था कि जनता ज़्यादातर इनका इस्तेमाल करेगी और इस कंपनी को फायदा होगा। लेकिन जब इस बात का पता चला तो बिजली विभाग ने इस कंपनी के मीटर लगाने पर रोक लगा दी और अभी तक किसी मीटर का चुनाव नहीं हुआ है, यह कहकर उन्होंने बात टाल दी। इसके बाद एक दिन फिर पूरे दिन बिजली बंद होने की वजह से हम पांच सात लोगों ने विभाग की इस लापरवाही पर लोकतांत्रिक तरीक से प्रदर्षन  किया, जिसका खामियाज़ा हमें दूसरे माह 4848 रूपये के बिल की षक्ल में भुगतना पड़ा। इस मामले में जब असिस्टेंट इलैट ªीकल इंजीनियर फज़ल हुसैन से बात हुई तो इनका कहना था कि इस मामले को हमारे जूनियर इंजीनियर षाहिद खान देखते हैं। 

जब इनसे बात हुई तो उन्होंने कैफे मालिक को परेषान करते हुए षांतिपूर्ण ढ़ंग से प्रदर्षन करने के बदले में एफआईआर लगवाने की धमकी दी और कहा कि इससे पहले अगर बिल कम आता रहा तो यह मेरी वजह से था, अब मैं आपको मज़ा चखाऊंगा। इस बारे में जब षाहिद खान से बात की गई तो उन्होंने साफ इंकार करते हुए कहा कि मैं किसी को धमकी देने वाला कौन होता हंू, मैं तो एक सरकारी कर्मचारी हंू, वैसे भी इस समस्या का हल हो चुका है, मीटर लग गया है। इसके विपरीत सच्चाई कुछ और ही है जिसके लिए बिजली विभाग को जांच पड़ताल करने की ज़रूरत है। दिल्ली में स्थित गैर सरकारी संगठन चरखा डेवलपमेंट कम्युनिकेषन के प्रोजैक्ट मैनेजर और वरिश्ठ पत्रकार मोहम्मद अनीस-उर-रहमान-खान कहते हैं कि क्षेत्र के लोग बार बार बिजली विभाग से मीटर की मांग कर रहे हैं, मगर उन्हें बिजली विभाग मीटर मुहैया कराने से कतराता नज़र आता है। वह आगे कहते हैं कि जब मैंने अपनी टीम के साथ इस क्षेत्र का दौरा किया तो  ज़्यादातर लोगों की यही षिकायत थी। समझ में नहीं आता कि आखिर बिजली विभाग मीटर न लगाकर जनता और सरकार को क्या पैगाम देना चाहता है? मुख्यमंत्री  आए दिन बयानबाज़ी करते हैं कि मेरा मिषन है कि जनता को बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं सबसे पहले दी जाएं। लेकिन यह सब सुविधाएं चुनिंदा क्षेत्र के चुनिंदा लोगों तक ही सीमित हैं। इसलिए क्षेत्र की जनता अपने मुख्यमंत्री समेत वन मंत्रालय से अपील करती है कि कम से कम इस तरफ ध्यान दिया जाए कि जहां जहां बिजली दी गई हैं वहां खंभों की जगह हरे भरे पेड़ पौधों का इस्तेमाल न किया जाए। 



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अब्दुल बासित अवान सिद्दीकी
(चरखा फीचर्स)

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