भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के एक दिन पहले दिए बयान पर पलटवार करते हुए सोमवार को अब्दुल्ला परिवार पर कश्मीरी पंडितों के राज्य से पलायन का दोषी होने का आरोप लगाया। यह बयान फारूक अब्दुल्ला के उस बयान के एक दिन बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी को वोट देने वालों को समुद्र में कूद जाना चाहिए। मोदी ने उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर कहा, "मैं फारूक अब्दुल्ला को बताना चाहता हूं कि धर्मनिरपेक्षता न सिर्फ हमारे संविधान में, बल्कि हमारी रगों में भी है।"
फारूक पर पलटवार करते हुए मोदी ने कहा, "जम्मू-कश्मीर के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को सबसे ज्यादा नुकसान आपके पिता, आपने और आपके बेटे ने पहुंचाया है।" मोदी ने कहा, "यह आपकी और आपके बेटे की राजनीति है, जिस वजह से कश्मीर एकमात्र जगह है जहां से पंडित धार्मिक कारणों से पलायन कर रहे हैं। सूफीवाद और सद्भावना आपकी राजनीति की वजह से सांप्रदायिक हो गई है।" इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने भी इस जुबानी जंग में कूदते हुए फारूक अब्दुल्ला को डल झील में डुबकी लगाकर कश्मीरी पंडितों के पलायन पर पश्चाताप करने की सलाह दे डाली।
जेटली ने सोमवार को कहा कि कश्मीर में हुए 'जातीय संहार' देश में 'धर्मनिरपेक्षता' की सबसे बड़ी असफलता है। जेटली ने सोमवार को लिखे अपने ब्लॉग में कहा, "देश की जनता नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए अपना मत देगी। और इसके लिए किसी को समंदर में छलांग लगाने की जरूरत नहीं है।" उन्होंने अपने ब्लॉग में आगे लिखा है, "कश्मीरी पंडित जब अपने घर नहीं लौट सके, तब फारूक अब्दुल्ला और उनकी पार्टी मूकदर्शक बनी हुई थी। उन्हें पछतावा व्यक्त करने के लिए कम से कम डल झील में एक डुबकी लगानी चाहिए।"
अब्दुल्ला ने पिछले दिनों कहा था कि यदि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो देश सांप्रदायिकता के रंग में रंग जाएगा और तब कश्मीर भारत के साथ हर्गिज नहीं रहेगा। वह यह भी बोल गए, "मोदी को वोट देने से अच्छा है समंदर में डूब जाएं।" जेटली का ब्लॉग अब्दुल्ला के इसी बयान के प्रतिक्रियास्वरूप लिखा माना जा रहा है। जेटली ने आगे लिखा है, "देश में धर्मनिरपेक्षता की एकमात्र असफलता अब्दुल्ला के ही राज्य कश्मीर में देखने को मिलती है। देश में यदि किसी राज्य से किसी एक समुदाय को भगाए जाने की घटना घटी है, तो वह कश्मीर में घटी है, जहां से कश्मीरी पंडितों को राज्य से बाहर निकाल दिया गया।"
जेटली सवालिया लहजे में लिखते हैं, "देश में सांप्रदायिक राजनीति को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा। मुझे इस बात की खुशी होती है, जब अब्दुल्ला कहते हैं कि वह सांप्रदायिक राजनीति को स्वीकार नहीं करेंगे। लेकिन कश्मीर क्या वहां से भगा दिए गए कश्मीरी पंडितों को फिर से बसाने की कोशिश करेगा?" भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने भी अब्दुल्ला पर जवाबी हमला करते हुए सवालिया लहजे में कहा कि आखिर नेशनल कांफ्रेंस जम्मू एवं कश्मीर के संविधान में धर्मनिरपेक्षता को शामिल क्यों नहीं करना चाहती।
उन्होंने कहा, "अब्दुल्ला इस बात का जवाब दें कि भारतीय संविधान में संशोधन कर देश को धर्मनिरपेक्ष बनाए जाने को जम्मू एवं कश्मीर में स्वीकार क्यों नहीं किया गया है।" सीतारमन ने आगे कहा, "अगर ऐसा नहीं किया गया है, तो उन्हें धर्मनिरपेक्षता पर कुछ नहीं बोलना चाहिए। यहां तक कि उन्होंने कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए भी कोई कदम नहीं उठाया।"
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