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मंगलवार, 29 अप्रैल 2014

मोदी बोले, ये दिल मांगे 300 कमल, कारगिल के हीरो परिवार की आपत्ति


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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता नरेंद्र मोदी ने यहां मंगलवार को मतदाताओं से पार्टी को 300 से अधिक सीटों पर विजयी बनाने की भावुक अपील की, लेकिन कारगिल के हीरो विक्रम बत्रा की उक्ति 'यह दिल मांगे मोर' का इस्तेमाल करने पर बत्रा के परिजनों की आपत्ति के बाद विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा ने अपने नेता मोदी का यह कहते हुए बचाव किया है कि शहीद की उक्ति परिवार की जागीर नहीं है, लेकिन कांग्रेस ने युद्ध के वीर का अपमान करने के लिए भाजपा को निशाने पर लिया है।

मोदी ने कांगड़ा जिले के पालमपुर में अपनी पहली रैली को संबोधित करते हुए कहा, "जब हम मेजर सोमनाथ शर्मा (पहले परमवीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित नवंबर 1947 के कश्मीर अभियान में शहीद वीर सेनानी) और विक्रम बत्रा का नाम लेते हैं तो हमें गर्व का अनुभव होता है। हमारे दिमाग में गूंजता है 'यह दिल मांगे मोर।" बत्रा पालमपुर के रहने वाले थे।

मोदी ने राज्य के लोगों के बीच भावुक अपील करने के साथ ही इस उक्ति का अन्य रैलियों में भी बार-बार इस्तेमाल किया। राज्य की आबादी का एक बड़ा हिस्सा रक्षा सेवाओं में है या सेवानिवृत्त है। परमवीर शहीद की उक्ति का इस्तेमाल करते हुए मोदी ने लोगों से भाजपा को 300 सीटें देने की अपील की। बाद में मंडी की सभा में उन्होंने कहा, "मैं आपसे यह सुनिश्चित करने के लिए कह रहा हूं कि कमल 300 सीटों पर खिले क्योंकि कारगिल युद्ध में अपनी जान देश पर न्योछावर करने वाले विक्रम बत्रा की तरह 'यह दिल मांगे मोर।"

कारगिल युद्ध में अदम्य साहस प्रदर्शित करने वाले शहीद विक्रम बत्रा को परमवीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया था। उन्होंने युद्ध के नारे के तौर पर 'यह दिल मांगे मोर' का इस्तेमाल किया था जो बाद में लोकप्रिय हो गया। मोदी के इस प्रयोग पर बत्रा परिवार ने यह कहते हुए आपत्ति जताई है कि उनके बेटे के बलिदान का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। बत्रा की मां कमल कांत हमीरपुर सीट से आम आदमी पार्टी (आप) की प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रही हैं। बत्रा के पिता जी.एल. बत्रा ने 'यह दिल मांगे मोर' का इस्तेमाल करने पर कड़ी आपत्ति जताई है।

पालमपुर से फोन पर आईएएनएस के साथ बातचीत करते हुए बत्रा ने कहा, "एक शहीद की उक्ति का इस्तेमाल कर भाजपा राजनीतिक लाभ लेने के फेर में जुटी है।" मोदी को चुनौती देने वाले लहजे में उन्होंने कहा, "यदि उन्हें शहीद के प्रति इतनी ही हमदर्दी है तो वे उनकी पत्नी के खिलाफ अपनी पार्टी के प्रत्याशी को वापस ले लें।" भाजपा के अनुराग ठाकुर को टक्कर दे रही कमल कांत ने कहा कि भाजपा के किसी नेता ने उनका हाल नहीं पूछा।

उन्होंने कहा, "कारगिल युद्ध के दौरान मोदी हिमाचल प्रदेश में भाजपा के प्रभारी थे। जब विक्रम शहीद हुए थे तब मोदी पालमपुर में ही थे। आखिर तब वे क्यों नहीं हमारे घर या उस युद्ध के अन्य किसी शहीद के घर गए। उन्हें 15 वर्ष बाद ही हम क्यों याद आ रहे हैं?" उन्होंने आगे कहा, "आप ने चुनाव लड़ने का मौका देकर हमें सम्मानित किया है। हमने कभी भी विक्रम के नाम का या उसकी उक्ति का सहारा लिया है, तो भाजपा ऐसा क्यों कर रही है? भाजपा ने तो कभी शहीदों की परवाह ही नहीं की।"

इस विवाद में घी डालते हुए भाजपा की प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने मोदी का यह कहते हुए बचाव किया कि बत्रा की उक्ति उनके परिवार की जागीर नहीं है। नई दिल्ली में लेखी ने कहा, "टिप्पणी शहीद के लिए थी, उनकी मां के लिए नहीं। शहीद की उक्ति का सम्मान किया गया है। यह एक परिवार की विरासत नहीं है, इसका कोई भी इस्तेमाल कर सकता।" कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि 'एक बहादुर सैनिक की स्मृतियों का इस्तेमाल कर मोदी राजनीति की नई परिभाषा गढ़ रहे हैं।'

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