आदमी गरीब हो अमीर...। उसके कुछ न कुछ शौक जरूर होते हैं। यह और बात है कि साधारणतः गरीब का शौक गरीबी के चलते ज्यादा परवान नहीं चढ़ पाता। लेकिन अमीर लोग या बड़े आदमी अाजीवन अपने शौक आजमाते रहने को स्वतंत्र है। जितना बड़ा आदमी , उसके उतने बड़े शौक। मैने गौर किया है कि ज्यादातर बड़े आदमी समाजसेवा या पेटिंग्स बनाने का शौक रखते हैं। जिसमें राजनेता भी शामिल हैं। तृणमूल कांग्रेस नेत्री और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी एक पेटिंग्स बनाई और मच गया महाभारत। अभी तक चित्रकारों द्वारा बनाए गए चित्र को लेकर विवाद की स्थिति अमूमन उसके विषयवस्तु को लेकर हुआ करती थी।
मुझे याद है कि करीब दो दशक पहले मकबूल फिदा हुसैन ने कुछ देवी - देवताओं के चित्र इस अंदाज में बनाए कि उन्हें जो नहीं भी जानता था, वह भी जान गया। लेकिन ममता बनर्जी की पेटिंग्स को लेकर उठे विवाद के मूल में उसकी विषय -वस्तु नहीं बल्कि खरीद - बिक्री है। पता नहीं विरोधियों को कहां से खबर लग गई कि कुछ साल पहले ममता बनर्जी द्वारा बनाई गई एक पेंटिग करीब पौने दो करोड़ रुपए में बिकी थी। अब सच्चाई या तो बेचने वाला जाने या खरीदने वाला। लेकिन विरोधियों को तो बस मसाला चाहिए। सो शुरू हो गया महाभारत। इसकी वजह भी कुछ खास है। दरअसल विरोधी नेताओं का आरोप है कि बंगाल की शेरनी की पेंटिग को इतनी ऊंची कीमत पर खरीदने वाला कोई और नहीं , बल्कि हजारों करोड़ वाले शारदा घोटाले का मुख्य अारोपी सुदीप्त सेन है। जेल से सेन ने कहा कि उन्होंने कभी कोई पेंटिंग नहीं खरीदी। लेकिन जेल में बंद मामले के एक और आरोपी सांसद - पत्रकार कुणाल घोष इसे सफेद झूठ करार देते हुए कह रहे हैं कि सेन ने पहले उनसे पेंटिंग खरीदने की बात मानी थी।
विरोधी नेताओं का तर्क है कि जेल में बंद सुदीप्त सेन से झूठे बयान दिलवाए जा रहे हैं। विरोधियों में राज्य स्तर के नेता तो पहले से शामिल थे। पश्चिम बंगाल से कांग्रेस सांसद व केंद्रीय रेल राज्य मंत्री अधीर चौधरी गाहे - बगाहे इस पेंटिंग की चर्चा करते ही रहते हैं। ताजा बयान में उन्होंने फरमाया है कि शारदा कांड के अारोपी के घर से उतार कर यदि अब उस पेंटिंग की बोली लगाई जाए, तो शायद उसे कोई पौने दो रुपए में भी न खरीदे। अब भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी भी इसमें शामिल हो गए हैं। जाने - माने संगीतकार बप्पी लाहिरी के लिए चुनाव प्रचार करते हुए नरेन्द्र मोदी ने भी इस पेंटिंग को मुद्दा बना कर ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के नेताओं को बुरी तरह से नाराज कर दिया। ममता बनर्जी की पार्टी के नेता मोदी से बिना शर्त माफी मांगने नहीं तो मानहानि का मुकदमा झेलने को तैयार रहने की चेतावनी दे रहे हैं। इस तरह यह पेंटिंग तो सचमुच आधुनिक भारत में महाभारत कराता नजर आ रहा है।
क्या पता कल को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद पता लगे कि फलां को सरकार बनाने के लिए इतने सांसदों की और जरूरत है लेकिन महज पेंटिंग प्रकरण के चलते सरकार न बन पाए, और देश को एक और मध्यावधि चुनाव झेलना पड़ जाए। दरअसल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन दिनों चौतरफा दबावों में नजर आ रही है। केंद्र में अपनी मजबूत करने के लिए वे राज्य की अधिकाधिक लोकसभा सीटें जीतने को बेताब हैं। लेकिन विरोधी इसी बीच शारदा कांड का मसला छेड़ उन्हें परेशान करने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे। अब उनकी बनाई एक पेंटिंग के पीछे पड़ गए हैं। इस तरह एक पेंटिंग भविष्य में पता नहीं क्या - क्या गुल खिलाए। जहां तक शारदा कांड का सवाल है तो यह बात साफ है कि 34 साल से पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज कम्युनिस्ट पार्टी को उखाड़ फेंकने के लिए ममता बनर्जी ने जो आंदोलन शुरू किया था, उसमें हर तरह के लोग शामिल थे। एक एेसे पत्रकार को उन्होंने राज्यसभा का सदस्य तक बना दिया। जो शारदा कांड में ही अब जेल में बंद है। लेकिन अब ममता बनर्जी कह रही है कि कोई पत्रकार इतना दुष्ट भी हो सकता है, मैं सोच भी नहीं सकती थी। बहरहाल पश्चिम बंगाल का पेंटिंग प्रकरण तो अब राज्य की सीमा से निकल कर राष्ट्रीय स्वरूप ग्रहण करता नजर आ रहा है। क्या पता कल को इसका दायरा अंतरराष्ट्रीय हो जाए...।
तारकेश कुमार ओझा,
खड़गपुर ( पशिचम बंगाल)
संपर्कः 09434453934
लेखक दैनिक जागरण से जुड़े हैं।
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