सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को दिसंबर 2000 लाल किला गोलीबारी कांड के दोषी मोहम्मद आरिफ के मृत्युदंड पर रोक लगा दिया। मृत्युदंड पर रोक आरिफ के कारावास में करीब 14 साल का समय बिता लेने की वजह से लगाया गया है। वकील त्रिपुरारी रे ने कहा कि आरिफ ने कारावास में 13 साल चार महीने का वक्त बिताया है और इसके बावजूद उसे मृत्युदंड देना संविधान का उल्लंघन होगा।
सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर.एम. लोढ़ा, न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की पीठ ने मामला संविधान पीठ को हस्तांतरित कर दिया है। न्यायालय ने मामले पर जल्द सुनवाई के निर्देश दिए हैं। रे ने अदालत से यह भी कहा कि आरिफ ने दया याचिका दाखिल नहीं की है।
आरिफ को 25 दिसंबर 2000 को गिरफ्तार किया गया था। उसे निचली अदालत ने 24 अक्टूबर 2005 को दोषी करार दिया था और 31 अक्टूबर 2005 को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 13 सितंबर 2007 को उसकी मृत्युदंड पर मुहर लगाया था। सर्वोच्च न्यायालय ने 10 अगस्त, 2011 को उसकी याचिका और 28 अगस्त 2011 को पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया था।
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