बाल विवाह पर नजर रखने हेतु दल गठित
कलेक्टर श्री एम0बी0ओझा ने अक्षय तृृतीया के अवसर पर होने वाले सामूहिक विवाह सम्मेलनों पर निगरानी रखने हेतु कुल छह दल गठित किए है प्रत्येक दल में पांच-पांच अधिकारियों को शामिल किया गया है। उक्त निगरानी दल खासकर बाल विवाह को रोकने हेतु कारगर कदम उठायेंगे। कलेक्टर श्री ओझा द्वारा बाल विवाह रोकने हेतु जो दल गठित किए है उसमें अनुविभागीय राजस्व अधिकारी, तहसीलदार, महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी, थाना प्रभारी, मुख्य नगरपालिका अधिकारी/जनपद पंचायत के सीईओ को शामिल किया गया है। प्रत्येक दल अनुविभागीय राजस्व अधिकारी के मार्गदर्शन में कार्य करेगा जो क्षेत्रों में होने वाले सामूहिक विवाह सम्मेलनों पर विशेष नजर रखेंगे। कलेक्टर द्वारा कुल छह दल गठित किए गए है जिसमें विदिशा विकासखण्ड के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र हेतु अलग-अलग इसके अलावा बासौदा, त्योंदा, नटेरन, कुरवाई, सिरोंज, लटेरी और ग्यारसपुर विकासखण्ड के लिए एक-एक दल गठित किया गया है। कलेक्टर श्री ओझा ने संबंधित अनुविभागीय राजस्व अधिकारियों से कहा है कि वे महिला एवं बाल विकास विभाग के समस्त पर्यवेक्षक अपने-अपने सेक्टरों में उपस्थित कराना सुनिश्चित करें और अक्षय तृृतीया के पूर्व ही समस्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से क्षेत्र में होने वाले सामूहिक विवाह सम्मेलनों की जानकारियां प्राप्त कर जिला कार्यालय को अवगत कराना सुनिश्चित करें। किसी भी ग्राम में बाल विवाह होने की सूचना प्राप्त होने पर परियोजना अधिकारी तत्काल संबंधित परिवार से सम्पर्क कर उन्हें बाल विवाह के दुष्परिणामों की समझाईश देकर कानूनी प्रावधानों की जानकारी दें आवश्यकता होने पर पुलिस से तत्काल सम्पर्क कर बाल विवाह को रोकने की सख्त कार्यवाही की जाएं।
खेतों में नरवाई ना जलाने की अपील
किसान कल्याण तथा कृृषि विकास विभाग के अधिकारी ने किसानों से आग्रह किया है कि वे नरवाई को जलाएं ना। उन्होंने किसानों से कहा कि वे कचरा समझकर नरवाई को जला देते है जिससे भूमि के अन्दर उपस्थित सभी सूक्ष्म जीव तापक्रम बढ़ने से नष्ट हो जाते है साथ ही साथ प्रकृृति, पर्यावरण को भी प्रदूषित करता है। नरवाई जलाने से कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती है जिसमें मुख्यतः भूमि मेें उपस्थित लाभदायक सूक्ष्म जीवाणुओं का नष्ट होना, मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होना, भूमि कठोर हो जाती है जिससे जलधारण क्षमता कम होने लगती है और जुताई में अधिक मेहनत की आवश्यकता पड़ती हैै। इसके अलावा मिट््टी में कार्बन की मात्रा कम हो जाती है और भूसे की कमी का भी सामना करना पड़ता है इसके अलावा आग से जन, धन, वन के भी नष्ट होने का खतरा हो सकता है। विभाग के अधिकारी ने कृृषकों से आग्रह करते हुए कहा है कि नरवाई का उपयोग खाद एवं भूसा बनाने मेें रोटावेटर यंत्र के माध्यम से किया जा सकता है इसके लिए कृृषि अभियांत्रिकी विभाग के माध्यम से संचालित कस्टम हायरिंग केन्द्रों पर रोटावेटर एवं स्ट्रारीपर यंत्र किराए पर उपलब्ध कराए जाते है अतः कृृषकबंधु नरवाई को जलाएं ना बल्कि पूर्व उल्लेखित यंत्रों का उपयोग कर प्राकृृतिक वातावरण बनाएं रखने में सहयोग करें साथ ही साथ भूमि के सूक्ष्म जीवाणुओं को नष्ट होने से बचाने में कारगर पहल करें। किराए से उपकरणों की प्राप्ति हेतु समीप के कस्टम हायरिंग केन्द्र पर सम्पर्क किया जा सकता है।
समर्थन मूल्य पर गेहंू का क्रय जारी
किसानों से समर्थन मूल्य पर गेहूं के क्रय कार्य जिले में 125 उपार्जन केन्द्रों पर जारी है। जिला आपूर्ति अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया है कि अब तक 19 हजार 505 किसानों से एक लाख 87 हजार 650 मैट्रिक टन गेहूं की खरीदी की जा चुकी है जिसमें से एक लाख 50 हजार पांच मैट्रिक टन का परिवहन वेयर हाउसों में किया जा चुका है। समर्थन मूल्य पर विक्रय करने वाले कृृषकों को उनके बैंक खातों के माध्यम से राशि का भुगतान अधिकतम सात दिन में किया जा रहा है। ज्ञातव्य हो कि केन्द्र सरकार द्वारा गेहूं का समर्थन मूल्य 1400 रूपए प्रति क्ंिवटल घोषित किया गया है जिस पर राज्य सरकार द्वारा 150 रूपए का बोनस दिया जा रहा है इस प्रकार किसानों को प्रति क्ंिवटल 1550 रूपए के मान से राशि भुगतान की जा रही है।
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