एक नई जीवनी कहती है कि डा. भीम राव अंबेडकर को दलित नेता के रूप में वर्णित करना निहायत अनुचित है। कहा गया है कि भारत के संविधान निर्माता अंबेडकर एक राष्ट्रीय नेता से कम नहीं हैं। योजना आयोग और राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) के सदस्य और लेखक नरेंद्र जाधव 640 पृष्ठों की किताब 'अंबेडकर अवेकनिंग इंडियाज सोशल कान्शन्स' (कोणार्क प्रकाशक) में कहते हैं, "अंबेडकर को अछूत या दलितों के नेता के नेता के रूप में चिह्न्ति करना बिल्कुल गलत है जैसा कि अक्सर ही किया जाता है।" उन्होंने कहा, "वह एक राष्ट्रीय नेता और युग थे।"
किताब कहती है, "अंबेडकर का राष्ट्रवाद केवल ब्रिटिश शासन से भारतीयों को राजनीतिक सत्ता के हस्तांतरण तक ही सीमित नहीं था।" लेखक जाधव 29 किताबें लिख या संपादित कर चुके हैं, जिनमें से 12 किताबें अंबेडकर पर हैं। जाधव कहते हैं, "अंबेडकर ने एक विधिवेत्ता से अलग एक अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, मानवविज्ञानी, शिक्षाविद्, पत्रकार, तुलनात्मक धर्म पर एक अधिकारी के रूप में, नीति निर्माता और प्रशासक और एक सांसद के रूप में उत्कृष्ट योगदान दिया, जो भारतीय संविधान का प्रमुख निर्माता बन गए।" किताब कहती है कि भारत में किसी अन्य नेता की अपेक्षा अंबेडकर की प्रतिमाएं कहीं अधिक हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें