समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता आजम खान ने गुरुवार को एक बार फिर निर्वाचन आयोग को राज्य विधानसभा से अपनी सदस्यता रद्द किए जाने की चुनौती दी। रामपुर में पत्रकारों से आजम ने कहा कि वह निर्वाचन आयोग से नहीं डरते और वह उससे कभी भी दया की भीख नहीं मांगेंगे। आजम ने गुस्से में कहा, "वे और क्या कर सकते हैं? उन्हें जो सही लगे वैसा करने के लिए स्वतंत्र हैं।" आजम ने आगे कहा, "मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है, लेकिन यह बेहद आपत्तिजनक है कि मेरी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता को निर्वाचन आयोग का अनुदेश पर हनन किया गया है।"
आयोग ने आजम पर जनसभा को संबोधित करने और अपनी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करने से रोक लगा दी है। आजम खान द्वारा लगातार भड़काऊ भाषण दिए जाने के बाद आयोग ने यह कार्रवाई की। आजम ने अपने भाषणों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ और सेना में धर्म को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं।
उसके बाद से आजम निर्वाचन आयोग पर गंभीर आरोप लगाते रहे हैं, और आयोग को तानाशाही और 'अल्पसंख्यक विरोधी' कहते आ रहे हैं। आयोग ने भाजपा के महासचिव अमित शाह पर भी इसी तरह का प्रतिबंध लगाया था, लेकिन शाह द्वारा माफी मांगे जाने के बाद आयोग ने शाह पर लगे प्रतिबंध हटा दिए।
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