गया। आज अन्तर्राष्ट्रीबाल बाल श्रम उन्मूलन दिवस है। यह सभी लोग जानते हैं कि बाल श्रम सभ्य एवं सुसंस्कृत समाज के लिए अभिशाप है। आप 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से काम ले नहीं सकते हैं। जो व्यक्ति अथवा नियोजक बच्चों से काम लेते हैं उनके विरूद्ध बाल श्रम (निषेध एव विनियमन ) 1986 एवं अन्य कानूनों के अन्तर्गत सरकार द्वारा कठोर कार्रवाई की जाती है। यह कम से कम जहानाबाद जिले में लागू नहीं है। यहां के प्रशासन को हिम्मत नहीं हैं कि बाल दास्ता के दलदल में फंसे बाल मजदूरों को मुक्ति कराए और उनको पुनर्वास करने की व्यवस्था करें।
नक्सल प्रभावित क्षेत्र जहानाबाद जिले के काको प्रखंड में मनियावां नामक ग्राम पंचायत है। इस पंचायत के मुखिया आदित्य शर्मा हैं। इस गांव का नाम दौलतपुर है। मगर यहां के हिन्दु और मुस्लिम समुदाय के लोग गरीब हैं। वक्त की मांग के अनुसार दोनों सम्प्रदाय दोस्ताना माहौल में रहते हैं। मगर दोनों समुदाय ने अपनी बच्चियों की जिन्दगी संवारने के बदले बाल मजदूरी के दलदल में ढकेल दिये हैं। एक छोटा-सा घर में बाल मजदूर बैठकर अगरबर्ती बनाने को मजबूर हैं। कुछ लोगों के साथ मजिस्द से आगे की ओर बढ़ा जा रहा था। कि अचानक चबूतरा पर अगरबत्र्ती को सूखाते देखा गया। उत्सुकतावंष अगरबर्ती को देखने आगे बढ़ा गया। चबूतरा के सामने वाले घर में प्रवेष करने से बाल मजदूरों के बीच में हड़कप मच गया। घर में इस तरह से अप्रत्याषित प्रवेष करने से सभी बच्चियां हक्काबक्का हो उठी। सभी बच्चियां उठकर भागने लगी। कोई भी बच्चियां फोटो खिंचवाने के लिए तैयार नहीं हो रही थी। काफी समझाने और बुझाने के बाद सामान्य होकर अगरबर्ती बनाने लगी। उन लोगों को विष्वास में लेने के लिए खुद अगरबर्ती बनाने का प्रयास किया जाने लगा। बातचीत में बच्चियां कहने लगी कि एक किलोग्राम बनाने पर 14 रू0 मिलता है। दिनभर में दो किलोग्राम बना पाती हैं। इसी से खुद की और परिवार की जरूरतों को पूर्ण करते हैं। यहां से जाते समय एक बच्ची ने लाल रंग की अगरबर्ती भेट की। कल विश्व मजदूर दिवस है। संपूर्ण विश्व में मजदूरों को लेकर लच्छेदार भाषण और आश्वासन परोसा जाएगा। मई माह ईसाई समुदाय के लिए खास महीना है। ईसाई समुदाय 1 मई को संत जोसेफ का त्योहार मानते हैं। चूंकि प्रभु येसु ख्रीस्त के पालक पिता जोसेफ भी एक साधारण बढ़ई थे। उस दिन जोसेफ को भी याद करते हैं।
आलोक कुमार
बिहार
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