सामूहिक विवाह सम्मेलन आज
मुख्यमंत्री कन्यादान योजनांतर्गत दो मई को विदिशा एवं ग्यारसपुर जनपद पंचायत में सामूहिक वैवाहिक सम्मेलन का आयोजन किया गया है। सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग के उप संचालक ने जानकारी देते हुए बताया कि विदिशा जनपद पंचायत के ग्राम देवखजूरी और अहमदपुर में 60 जोड़ो का तथा ग्यारसपुर जनपद पंचायत के शासकीय उत्कृृृष्ट विद्यालय ग्यारसपुर में 105 जोड़े दाम्पत्य सूत्र में बंधेगे।इसके अलावा बासौदा एवं नटेरन जनपद पंचायत में 19 मई को तथा लटेरी में 21 मई को और सिरोंज में 29 मई को तथा कुरवाई में 08 जून को मुख्यमंत्री कन्यादान योजनातंर्गत सामूहिक विवाह सम्मेलनों का आयोजन किया गया है।
मध्यस्थता जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन तीन को
जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री रंजीत सिंह की अध्यक्षता में तीन मई को मध्यस्थता जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। उक्त कार्यक्रम जिला न्यायालय विदिशा के पक्षकार भवन मंे दोपहर दो बजे से प्रारंभ होगा। जिला विधिक सहायता अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि मध्यस्थता जागरूकता कार्यक्रम में जिला न्यायालय में पदस्थ सभी न्यायाधीशगण, जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष और मध्यस्थता समिति के सदस्यगण, अधिवक्तागण एवं प्रशिक्षित मीडिएटर्स व पक्षकारगण उपस्थित होंगे। उन्होंने सभी पक्षकारगणों से अनुरोध किया है कि जागरूकता कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होने का कष्ट करें ताकि मध्यस्थता के संबंध में दी जाने वाली विस्तृृत जानकारी से अवगत हो सकें।
अपने सत्य और आनंद स्वरूप के कारण ही परमेष्वर सच्चिदानंद हैं
विदिषा-01 मई 2014/स्थानीय मेघदूत टाॅकीज में श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ कथा का श्री गणेष जानी-मानी नन्ही सी भजन गायिका कु. सौम्या शर्मा के दो मधुर भजनों से हुआ। तत्पष्चात व्यासपीठ पर विराजमान भागवताचार्य पं. रविकृष्ण शास्त्री ने प्रथम दिवस की कथा का विधिवत शुभारंभ करते हुए कहा कि परमेष्वर साक्षात् सत्य और आनंद स्वरूप होने के कारण सच्चिदानंद कहलाते हैं। पे्रमी बनकर ही भगवान की श्री चरण-षरण प्राप्त हो सकती है। वैराग्य और ज्ञान की तुलना में पे्रम-भक्ति कहीं अधिक सरल पर सुनिष्चित फलदायी होती है। प्रारंभ में भजन-गायिका बालिका कुमारी सौम्या के ‘‘ओ माँ’’ तथा भगवान श्री कृष्ण को समर्पित भजनों पर अनेक श्रद्धालुओं के नयनों से आंसू टपकते देखे गए। सौम्या ने सबको आनंदित और भाव-विभोर कर दिया। वहीं, कथा में पं. रविकृष्ण शास्त्री ने कहा कि भगवान श्री विष्णु सदैव शेषनाग पर विराजमान होने के बाद भी सर्वथा शांत चित्त रहते हैं, जबकि साधारण नाग दिखने पर ही कोई भी अषांत और भयभीत हो जाता है। उन्होंने इस अवसर पर संत महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि संत बड़े परमार्थी-परोपकारी होते हैं, जो दूसरों के कष्टों-संकटों को भी अपने ऊपर ले लेते हैं। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण-जरासंध युद्ध के संदर्भ में ब्राह्मणों की विषिष्ट महिमा सहित गौ, गंगा, गणेष, गायत्री की विषिष्ट गरिमा-महत्ता पर भी प्रकाष डाला। उन्होंने गौ-माता को जूठन और पतित-पावनी गंगा में गंदगी डालकर प्रदूषित करने पर कठोर रोक का आह्वान करते हुए गौ और गंगा संरक्षण पर विषेष बल दिया।
श्रीमद् भागवत कथा में आज 2 मई शुक्रवार का प्रसंग
विदिषा-01 मई 2014/स्थानीय मेघदूत टाॅकीज में श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ कथा में आज 2 मई शुक्रवार को कपिलोपाख्यान, अष्टांगयोग का वर्णन सती दाक्षायणी चरित्र, धु्रव चरित्र एवं भरत चरित्र का वर्णन पं. भागवताचार्य पं. रविकृष्ण शास्त्री के श्रीमुख से संपन्न होगा।
अपने सत्य और आनंद स्वरूप के कारण ही परमेष्वर सच्चिदानंद हैं
विदिषा-01 मई 2014/स्थानीय मेघदूत टाॅकीज में श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ कथा का श्री गणेष जानी-मानी नन्ही सी भजन गायिका कु. सौम्या शर्मा के दो मधुर भजनों से हुआ। तत्पष्चात व्यासपीठ पर विराजमान भागवताचार्य पं. रविकृष्ण शास्त्री ने प्रथम दिवस की कथा का विधिवत शुभारंभ करते हुए कहा कि परमेष्वर साक्षात् सत्य और आनंद स्वरूप होने के कारण सच्चिदानंद कहलाते हैं। पे्रमी बनकर ही भगवान की श्री चरण-षरण प्राप्त हो सकती है। वैराग्य और ज्ञान की तुलना में पे्रम-भक्ति कहीं अधिक सरल पर सुनिष्चित फलदायी होती है। प्रारंभ में भजन-गायिका बालिका कुमारी सौम्या के ‘‘ओ माँ’’ तथा भगवान श्री कृष्ण को समर्पित भजनों पर अनेक श्रद्धालुओं के नयनों से आंसू टपकते देखे गए। सौम्या ने सबको आनंदित और भाव-विभोर कर दिया। वहीं, कथा में पं. रविकृष्ण शास्त्री ने कहा कि भगवान श्री विष्णु सदैव शेषनाग पर विराजमान होने के बाद भी सर्वथा शांत चित्त रहते हैं, जबकि साधारण नाग दिखने पर ही कोई भी अषांत और भयभीत हो जाता है। उन्होंने इस अवसर पर संत महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि संत बड़े परमार्थी-परोपकारी होते हैं, जो दूसरों के कष्टों-संकटों को भी अपने ऊपर ले लेते हैं। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण-जरासंध युद्ध के संदर्भ में ब्राह्मणों की विषिष्ट महिमा सहित गौ, गंगा, गणेष, गायत्री की विषिष्ट गरिमा-महत्ता पर भी प्रकाष डाला। उन्होंने गौ-माता को जूठन और पतित-पावनी गंगा में गंदगी डालकर प्रदूषित करने पर कठोर रोक का आह्वान करते हुए गौ और गंगा संरक्षण पर विषेष बल दिया।
श्रीमद् भागवत कथा में आज 2 मई शुक्रवार का प्रसंग
विदिषा-01 मई 2014/स्थानीय मेघदूत टाॅकीज में श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ कथा में आज 2 मई शुक्रवार को कपिलोपाख्यान, अष्टांगयोग का वर्णन सती दाक्षायणी चरित्र, धु्रव चरित्र एवं भरत चरित्र का वर्णन पं. भागवताचार्य पं. रविकृष्ण शास्त्री के श्रीमुख से संपन्न होगा।
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